Gross negligence of the education department in Rewa! मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शासकीय स्कूलों के हजारों बच्चे नए सत्र के महीनों बाद भी बिना मुफ्त पाठ्यपुस्तकों के पढ़ाई करने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ, ब्लॉक रिसोर्स सेंटर यानी बीआरसी कार्यालयों में किताबों के विशाल जखीरे डंप पड़े हैं, जिन्हें दीमक धीरे-धीरे खा रही है। यह शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही का जीता-जागता सबूत है।
सूचना मिलने पर जिला पंचायत अध्यक्ष ने अपनी टीम के साथ रायपुर कर्चुलियान स्थित बीआरसी कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। वहां किताबों का भारी स्टॉक देखकर वे हैरान रह गईं। ये पुस्तकें बच्चों तक अधिकतम जुलाई तक पहुंच जानी चाहिए थीं, लेकिन अब दिसंबर बीतने को है और वितरण नहीं हुआ। इस निरीक्षण से जिला शिक्षा अधिकारी, डीपीसी सहित पूरे विभाग की पोल खुल गई है।
बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर
शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चे बिना किताबों के ही क्लास अटेंड कर रहे हैं। शिक्षक पुरानी किताबों या फोटोकॉपी के सहारे पढ़ा रहे हैं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर जिला पंचायत अध्यक्ष का निरीक्षण हुआ, जिसने विभागीय अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। दीमक से क्षतिग्रस्त हो रही किताबों से सरकारी धन की बर्बादी भी हो रही है।
यह कोई नई बात नहीं!
पहले भी मध्य प्रदेश में कई जिलों में किताब वितरण में देरी की शिकायतें आई हैं। रीवा में यह लापरवाही शिक्षा तंत्र की कमजोर कड़ियों को उजागर कर रही है। सवाल यह है कि बिना पाठ्यपुस्तकों के बच्चों की पढ़ाई कैसे हो रही है? डीईओ और अन्य अधिकारी इसकी जिम्मेदारी कब लेंगे? जिला पंचायत अध्यक्ष ने मामले की जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। अब देखना यह है कि किताबें बच्चों तक कब पहुंचती हैं और विभाग सुधरता है या नहीं। यह घटना रीवा की शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान लगा रही है।
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