Site icon SHABD SANCHI

12 महीने के सबसे निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े ?

इससे पहले अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर 4.83% पर आ गई थी, उस समय यह 11 महीने के सबसे कम स्तर पर थी

नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने आज बुधवार को महंगाई ( inflation ) को लेकर कुछ आंकड़े जारी किये हैं। जिसमें बताया है कि मई में रिटेल महंगाई 4.75% रही।

खाने-पीने की चीजें महंगी जरूर हुई

यह साल के 12 महीने का निचला स्तर है। बात अगर जुलाई 2023 की करें तो यह 4.44% पर थी। इससे पहले अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर 4.83% पर आ गई थी। उस समय यह 11 महीने के सबसे कम स्तर पर थी। जबकि जून 2023 में यह 4.81% थी। इन सबके बीच अप्रैल महीने में खाने-पीने की चीजें महंगी जरूर हुई थीं।

ऐसे प्रभावित करती है महंगाई

पर्चेजिंग पावर से महंगाई ( inflation ) का सीधा संबंध है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। जिसके कारण महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। ऐसा न करने पर आपके पैसे की वैल्यू भी घट जाएगी।

कैसे बढ़ती-घटती है महंगाई ?

प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर महंगाई ( inflation ) का बढ़ना और घटना निर्भर करता है। लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। जिससे ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी। डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। फिर बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है।
CPI से तय होती है महंगाई

कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता

आप और हम एक ग्राहक के तौर पर रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इसमें जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। जहां हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं।

Exit mobile version