Symptom Of Repetitive Stress Injury: कंप्यूटर और लैपटॉप पर देर तक टाइपिंग करने के कारण उंगलियों में एक ही जगह पर जोर लगने से चोट लगती है. ऐसा केवल उंगलियों में ही नहीं शरीर के बाकी हिस्सों में भी होता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी के बारे में.
ज्यादा टाइपिंग करने के नुकसान
आपने कभी सोचा है कि हम रोज कितना समय टाइपिंग करने में गुजार देते हैं? शायद नहीं..अरे शायद हटाइए मैं श्योर हूं. कभी नहीं। क्या आपको मालूम है कंप्यूटर लैपटॉप कुछ नहीं तो मोबाइल में जब आप टाइपिंग करते हैं तो उंगलियों और अंगूठे में जोर पड़ता है? और ऐसा अगर लंबे समय तक हो, तो उंगलियों में पहुंचती है चोट, जो आपको महसूस नहीं होती लेकिन आपकी उंगलियां, कलाई और अंगूठे में दर्द, अकड़न–जकड़न जरूर होने लगती है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो सावधान हो जाएं।
रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी
Repetitive Stress Injury: लंबे समय तक टाइपिंग करने से इंसान को रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी हो जाती है. यानी लगातार एक ही जगह जोर लगने के कारण होने वाली चोट. ऐसा सिर्फ उंगलियां बस में नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों में भी होता है।
तो आईए जानते हैं, रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी से कैसे बचे और इसकी पहचान कैसे करें?
रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी होती क्या है?
यह काम से जुड़ी चोट होती है जो काम के दौरान एक ही मूवमेंट को बार-बार करने से होती हैं. ये मांसपेशियों में टेढ़ान माने मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ती है, नसों को चोट पहुंचाती हैं।
क्यों होती है?
- एक ही स्तिथि में लंबे समय तक बैठना.
- ऐसी जगह बैठना जहा हाथ सर से उप्पर हो.
- भारी वजन उठाना और कमजोर मसल्स के कारण.
- कंप्यूटर या लैपटॉप यानी की डेस्क जॉब करने वालों को रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी ज्यादा होती है.
लक्षण क्या हैं?
- रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी के कारण पहले दर्द होता है, जो शुरुआत में हल्का होता है.
- कलाई, कोहनी, कंधों और गर्दन में दर्द होना।
- नुकसान बढ़ने से दर्द बढ़ने लगता है और मूवमेंट नहीं होने पर भी दर्द होना।
- जोड़ों की मांसपेशियों में अकड़न, जकड़न और दर्द होना।
- मांसपेशियां ठंडे और गर्म तापमान के प्रति काफी सेंसिटिव होना।
- मांसपेशियों में कमजोरी आना।
इलाज क्या है?
- रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी का सबसे बढ़िया इलाज है इससे बचाव.
- कंप्यूटर पर काम करते हैं तो कंप्यूटर की स्क्रीन और आंखों का लेवल एक हो.
- कंप्यूटर से एक हाथ की दूरी बनाए रखे.
- बैठकर काम करते समय ध्यान दे की कमर में जोर न पड़े कंधे सीधे हो.
- टाइपिंग करते समय ध्यान दे की दोनो कोहनी टेबल में टिक्की हो.
- काम की जगह पर ये बदलाव करने से रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी कम होगी.
- साथ ही यह भी अनुभव करे की की किस मूवमेंट से दिक्कत हो रही है.
- अगर आप इस समस्या से गुजर रहें हैं तो घर में ही आराम करें.
- दर्द और सूजन कम करने वाली नॉन स्टेरॉइड वाली दवाई लें.
- मसाज और व्यायाम करने से भी मदद मिलती है.
- लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो मासपेशियों को हर घंटे में स्ट्रेच कर ले.