Hidden Human Musical Talent In Hindi: दिल को खुश करने के लिए संगीत से अच्छा कुछ नहीं है। ये हमारा दिल ही नहीं बहलाता, बल्कि स्वर लहरियों के उतार चढ़ाव को महसूस कर जब हम गाते या गुनगुनाते भी हैं तो श्वास का व्यायाम भी हो जाता है। जो हमारे मस्तिष्क को चिंताओं से मुक्त कर, इन सुरीली मार्मिक भावनाओं को महसूस करने में व्यस्त कर देता है। फिर भले ही ये बोल में किया गया हो या केवल धुनों में, हम उसकी रौ में बह कर जो जुगलबंदी सर अंजाम देते हैं, वो हमें फ्रेश और एनर्जेटिक फील कराती है। जिससे हम नई ऊर्जा के साथ अपने दूसरे काम करते हैं।
संगीत सुकून देता है
ये ऐसा मनोरंजन है जो हमें ताज़गी और सुकून तो देता ही है हमें सेहत मंद भी रखता है। इसलिए संगीत तो सुनना ही चाहिए लेकिन अगर आप सुनते-सुनते गाना या नाचना यानी ताल से ताल मिलाना सीख गए हैं, और आपके दिल में संगीत को बतौर करियर चुनने की ख्वाहिश जाग रही है। तो ज़रा ग़ौर से सोचें कि गायक, वादक या नर्तक में क्या ख़ासियत होनी चाहिए और आपमें क्या खूबियां हैं। जिसे आधार बना कर हम किसी गुरु की शरण में जा सकते हैं और संगीत की दुनिया में पहला क़दम रख सकते हैं।
अपनी प्रतिभा को पहचाने
पर खुद को परखने के लिए सबसे पहले ये देखिए कि हम जिस भी संगीत को सुनते हैं वो कैसा है मतलब उसकी शैली क्या है? और उसको हम कहां तक पकड़ पा रहे हैं, क्या बिना सीखे भी हम उस शैली की बेसिक खूबी को व्यक्त कर पा रहे हैं? जब हम गा रहे हैं या नाच रहे हैं तो बस उसे कॉपी करने की कोशिश कर रहे हैं, या उसके भावों को व्यक्त करने के लिए कुछ नया भी जोड़ लेते हैं अगर जोड़ लेते हैं तो यक़ीन मानिए हम थोड़े बहुत प्रतिभावान तो हैं।
क्या इस कला के लिए हम परफेक्ट हैं :-
जी हां ये भी देखना ज़रूरी है कि हम कैसे गाते, नाचते या बजाते हैं उसमें इतना सुरीला पन है, कि अगर वो बे सुरा या बेताल भी है तो किसी को हँसी न आए थोड़े बहुत आनंद की अनुभूत सामने वाले को भी हो जाए।
स्वर से ज़्यादा महत्वपूर्ण है लय:-
आनंद केवल मीठे स्वरों में ही नहीं होता, बल्कि करीने से सजीस्वर लहरियां यानी तर्ज़ भी हमें आनंद की अनुभूति कराती है। तो देख लें कि हमारा कोई नोट या स्वर छूट तो नहीं रहा है।
क्या लय अपना भाव व्यक्त कर पा रही है:-
हर लय की गति में निहित होता है उसका भाव या रस
मतलब हम जो भी व्यक्त करना चाहते हैं यानी सुख ,दुख या आश्चर्य या प्रेम और भी भावों का बोध हमारी प्रस्तुतियों में आम जन को सरलता से हो जाए तो आनंद का अनुभव भी हो जाता है जो एक कलाकार के लिए उसकी साधना का फल होता है और अगर ये केवल अपने रियाज़ और बड़े कलाकारों को देखकर आ जाए तो बेशक गुरु से ज्ञान मिल जाए तो हम भी बड़े कलाकार बन सकते हैं।
कहीं आप बोर्न आर्टिस्ट तो नहीं :-
अगर कोई खूबी कुदरती तौर पर आपके पास है जैसे- कुछ मुख्तलिफ आवाज़ या नाचने में बहुत सटीक बॉडी लेंग्वेज या चेहरे में आकर्षण होना तो ये भी आपकी विशेषता बन सकती है। यहां हम केवल गायक और नर्तक की बात कर रहें हैं लेकिन इसके अलावा भी कोई ऐसी प्रतिभा आपके अंदर हो सकती है, जो विधाता ने आपको उपहार स्वरूप दी हो तो उसको भी न भूलें।
हिचके नहीं
अगर हम इस हद तक संगीत को बिना सीखे व्यक्त कर सकते हैं तो हमें इसे ब कायदा सीखना चाहिए और अपने करियर के रूप में चुन ने पर विचार भी करना चाहिए। शास्त्रीय संगीत तो हमारे संगीत का आधार है इसलिए इसे ज़रूर सीखें। फिर आगे का सफ़र हमारी मेहनत, अभ्यास और धैर्य पर टिका होगा क्योंकि ये एक साधना है। इसमें सुरों को साधने में ही बहोत वक़्त लग जाता है और बहोत सीखने पर भी कभी कभी सुर नहीं लगते। इसके पीछे की वजह बहुत सारी हो सकती हैं जिनमें खुद पर विश्वास न होना या लोगों को देखकर डर जाना भी हो सकता है। इसलिए ये देखिए कि हम खुद भी आनंद लें ताकि घबराहट नज़दीक न आए हमें संगीत से खेलना आ जाए।