MP: सेवानिवृत्त प्रोफेसर को 28 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर ठगे 1.34 करोड़, 11 गिरफ्तार

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Ratlam Digital Arrest Case: रतलाम में साइबर ठगों ने एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को 28 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर करीब 1.34 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने व्हाट्सएप और वीडियो कॉल पर फर्जी कोर्ट रूम दिखाकर प्रोफेसर के कनाडा में रहने वाले बेटे को गिरफ्तार बताकर गोली मारने की धमकी दी। डर से पीड़ित ने परिवार से छिपाकर पैसे ट्रांसफर किए, यहां तक कि उधार लिया और मकान गिरवी रखने की नौबत आई। बेटे के लौटने पर मामला खुला। पुलिस ने SIT गठित कर 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया

Ratlam Digital Arrest Case: रतलाम में साइबर ठगों ने एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को 28 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और उनसे करीब 1.34 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने प्रोफेसर के बेटे को कनाडा में गिरफ्तार बताकर गोली मारने की धमकी दी। मामले का खुलासा होने पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 20 से अधिक फरार हैं। गिरोह के तार भारत के कई राज्यों के अलावा कनाडा और कंबोडिया से जुड़े बताए जा रहे हैं।

फर्जी कोर्ट रूम और बेटे को मारने की धमकी

पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता में मामले का खुलासा किया। आरोपियों ने प्रोफेसर को व्हाट्सएप कॉल कर उनके बैंक खातों और निजी जानकारी हासिल की। फिर दावा किया कि उनका खाता मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हुआ है। जब ठगों को पता चला कि प्रोफेसर का बेटा कनाडा में रहता है, तो उन्होंने झूठ बोला कि बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है।

वीडियो कॉल पर फर्जी कोर्ट रूम दिखाकर जज, वकील और गवाहों का नाटक किया गया। ठगों ने धमकी दी कि पैसे नहीं दिए तो बेटे को गोली मार दी जाएगी और भारत नहीं लौटने दिया जाएगा। डर के मारे प्रोफेसर ने आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज भी साझा कर दिए।

परिवार से छिपाई बात, उधार लेकर भी भेजे पैसे

आरोपियों ने बार-बार कॉल कर पीड़ित को चेतावनी दी कि किसी को बताएंगे तो बेटे को नुकसान पहुंचेगा। प्रोफेसर ने डर से न बेटे को और न ही परिवार को कुछ बताया। अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर कराते रहे। पैसे खत्म होने पर परिचितों से उधार लिया और मकान गिरवी रखने की नौबत आ गई।

बेटे के लौटने पर खुला राज

12 दिसंबर को जब प्रोफेसर का बेटा कनाडा से रतलाम लौटा और बैंक ट्रांसफर के बारे में पूछा, तब पूरी साजिश सामने आई। इसके बाद ई-एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 308 और आईटी एक्ट की धारा 66(सी) व 66(डी) के तहत मामला दर्ज किया।

11.40 लाख फ्रीज, SIT गठित

एएसपी राकेश खाखा और विवेक कुमार लाल के मार्गदर्शन में सीएसपी सत्येंद्र घनघोरिया के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) बनाया गया। साइबर सेल ने आरोपियों के खातों में 11.40 लाख रुपये फ्रीज कराए। ठगी की रकम क्रिप्टो करेंसी में बदली गई।

गिरोह का सरगना बिहार का, कश्मीर की युवती कर रही थी संचालन

गिरोह का मुख्य सरगना बिहार के सिवान निवासी राजेश कुमार है। जांच में पता चला कि कश्मीर की एक युवती गिरोह चला रही थी। उसके निर्देश पर बिहारी आरोपी असम जाकर ठगी करते थे। रकम जबलपुर, जामनगर, अहमदाबाद और नीमच के फर्जी खातों में ट्रांसफर होती थी, फिर सूरत के आढ़तियों से क्रिप्टो में बदलकर विदेश भेजी जाती थी। आरोपियों के फोन में पाकिस्तान के वर्चुअल नंबर भी मिले।

गिरफ्तार आरोपी और संदिग्ध लेनदेन

गिरफ्तार आरोपियों में अमरेंद्र कुमार मौर्य (गोरखपुर), अशोक, सनी, सारांश उर्फ शानू और एक नाबालिग (जबलपुर), आरिफ घाटा, हमीद खान, शाहीद कुरैशी, सादिक हसन समा (जामनगर) और पवन कुमावत (नीमच) शामिल हैं। गोरखपुर के एनजीओ संचालक अमरेंद्र के खाते में 2.36 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन मिला, जिसमें पीड़ित से आए 49 लाख भी शामिल हैं। पुलिस रिमांड पर पूछताछ जारी है.

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