Ratan Tata: नमक , कार , सेमीकंडक्टर ….. हर जगह टाटा की मौजूदगी , जानिए कंपनी के बारे में

Ratan Tata Death News: देश के मशहूर उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन एमिरेट्स  रतन टाटा नहीं रहे। 86 साल की उम्र में भी सक्रिय शीर्ष उद्योगपति ने बुधवार रात करीब 11 :30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। आपको बता दे कि टाटा समूह 2023 – 24 में 13 लाख 85 हजार करोड़ रूपए के राजस्व के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योग समूहों में से एक है।

भारत के रतन कहे जाने वाले दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा अरबपतियों में शामिल होने के बावजूद अपनी सादगी से हर किसी का दिल जीत लेते थे। वह उन शख्सियतों में शुमार थे, जिनका हर कोई सम्मान करता था। कई मौकों पर उन्होंने गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर भारतीयों को गर्व महसूस कराया।

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आपको बता दे कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर पूरा देश गम में डूबा है। आपको बता दे कि रतन टाटा वह शख्स थे जिन्होंने बड़े अधिग्रहणों के साथ एक स्थिर और विशाल भारतीय समूह को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। टाटा समूह ने बुधवार देर रात एक बयान में उनके निधन की जानकारी दी।

रतन टाटा 86 वर्ष के थे। मुंबई के एक अस्पताल की आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। गौरतलब है कि रिटायरमेंट के बाद भी समूह के संचालन में उनका अहम योगदान बना रहा। टाटा समूह में कितनी कंपनियां है? वे कितने क्षेत्रों काम करती हैं? देश में स्टार्टअप्स के विकास में रतन टाटा का क्या योगदान रहा? ये सारी बातें हम आगे जानेंगे, उससे पहले रतन टाटा के कारोबारी सफर पर एक नजर डालते हैं।

एक असाधारण नेतृत्वकर्ता थे रतन टाटा: टाटा समूह। ratan tata news

रतन टाटा के निधन के बाद टाटा समूह ने कहा ,” हम बहुत बड़ी क्षति के साथ रतन नवल टाटा को विदाई दे रही हैं , वे वास्तव में एक असाधारण नेता थे , जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र के ढांचे को भी आकर दिया। ” एक दूरदर्शी कारोबारी नेता , एक दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उनके निधन से मुझे बहुत दुख हुआ। इस दुःख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं।”

अमेरिका से वास्तुकला की डिग्री लेकर लौटे और 1962 में शुरू किया समूह में काम

आपको बता दे कि अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद रतन टाटा भारत लौटे और 1962 में उस समूह के लिए काम करना शुरू किया। जिसकी स्थापना उनके परदादा ने लगभग सौ साल पहले किया था।

गौरतलब है कि अपनी सेवा के दौरान उन्होंने टाटा समूह की कई टाटा कंपनियों में काम किया, जिनमें टेल्को (अब टाटा मोटर्स लिमिटेड) और टाटा स्टील लिमिटेड जैसी कंपनियों शामिल हैं। आगे चलकर उन्होंने टाटा की एक अन्य इकाई नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी में घाटे को खत्म करके बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई जिससे उनकी अलग पहचान बनी।

1991 में जेआरडी टाटा के रिटायर होने के बाद संभाली कमान। ratan tata death

आपको बताते चले कि 1991 में, जब रतन टाटा के चाचा जेआरडी टाटा ने पद छोड़ा, तब उन्हें  समूह की कमान सौंपी गई। उन्होंने 1991 से दिसंबर 2012 तक नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी ‘टाटा संस’ के अध्यक्ष के रूप में टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया।

यह कमान उनके हाथों में उस समय सौंपी गई जब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी सुधारों की शुरुआत की थी। उसी दौरान सरकार ने अर्थव्यवस्था को वैश्विक निवेश के लिए खोला जिससे और देश में बड़े विकास का दौर शुरू हुआ।

अपने शुरुआती दिनों में रतन टाटा समूह की कई कंपनियों में लंबे समय से काबिज कुछ दिग्गजों की शक्तियों पर लगाम लगाने की कोशिश की। कंपनियों में सेवानिवृत्ति की आयु निर्धारित की गई और युवा लोगों को वरिष्ठ पदों पर पदोन्नत किया गया। इस कंपनियों पर उनका नियंत्रण बढ़ता गया।

सेमीकंडक्टर से नमक तक बनाने के कारोबार में टाटा समूह। ratan tata death

गौरतलब है कि टाटा ग्रुप (Tata Group companies) कई दिग्गज कंपनियों का संचालन करती है। टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनियों में एयर इंडिया, टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा नमक, टाटा चाय, जगुआर लैंड रोवर, टाइटन, फास्ट्रैक, तनिष्क, स्टारबक्स, वोल्टास, जारा, वेस्टसाइड, कल्टफिट, टाटा एआईजी, टाटा एआईए लाइफ, टाटा प्ले, टाटा वनएमजी और टाटा कैपिटल ब्रांड्स शामिल हैं।

टाटा समूह की कंपनियों ने हाल ही में देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण में भी कदम रखा है। टाटा ग्रुप के मार्केट कैप की ही बात करें, तो यह पाकिस्तान की जीडीपी से भी ज्यादा है।

पाकिस्तान की जीडीपी के इस साल के आखिर तक 347 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। जबकि टाटा ग्रुप का मार्केट कैप जुलाई 2024 में ही 400 अरब डॉलर को पार कर गया था। टाटा ग्रुप देश का पहला ऐसा कारोबारी ग्रुप है, जिसकी कंबाइंड वैल्यूएशन 400 अरब डॉलर को पार कर गई है।

यह भी देखें :https://youtu.be/BB5JpMou2PQ?si=Oe5Fu3XxfiKxMR_n

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