राम मंदिर आंदोलन के अग्रज एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का रीवा में निधन, अयोध्या जाएगा पार्थिव शरीर

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े डॉ. रामविलास वेदांती की फाइल फोटो, धार्मिक परिधान में शांत मुद्रा में दिखाई देते हुए

रीवा। राम मंदिर आंदोलन के अग्रज एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का रीवा में निधन हो गया है। उनके निधन की खबर लगते ही संत एंव राजनायकों में शोक की लहर दौड़ गई है। 67 वर्षीय डॉ. रामविलास वेदांती मूलत रीवा जिले के गुढ़ क्षेत्र के रहने वाले थे। रीवा के अस्पताल में उनके निधन के बाद पार्थव शरीर उनके गृह ग्राम गुढ़ ले जाया गया। अंतिम दर्शन के बाद गांव से उनका पार्थिव शरीर अयोध्या ले जाया जाया जा रहा है।

10 दिसंबर को आए थें रीवा

जानकारी के तहत डॉक्टर वेदांती 10 दिसंबर को रीवा पहुंचे थे। यहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। जिसके चलते उन्हे रीवा के सुपर स्पेस्लिटी अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती किया गया था। सोमवार को अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उन्हे रीवा से दिल्ली ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस पहुंचीं, लेकिन कोहरे के कारण लैंड नहीं कर सकी। थोड़ी देर बाद उनका निधन हो गया। उनके उत्तराधिकारी महंत राघवेश दास वेदांती ने उनके निधन की जानकारी दिए है, यू कहा जाए कि वेदांती जी अपनी जन्मभूमि में ही अंतिम सांसे ले लिए।

रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रहे

रामविलास दास वेदांती रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य रहे। इसके साथ ही भाजपा के टिकट से सांसद भी बने। वे हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य थे। वह अयोध्या में हिंदू धाम नया घाट पर रहते थे। उनका एक आश्रम वशिष्ठ भवन भी है।रामलला और हनुमानगढ़ी के सामने उन्होंने कई दशक तक रामकथा की। संस्कृत के वे विशिष्ट विद्वान माने जाते थे।

राम जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुचाया

डॉ. वेदांती राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी चेहरों में गिने जाते थे और उन्होंने इस आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी. अयोध्या से सांसद रहते हुए उन्होंने संसद से लेकर सड़कों तक राम मंदिर निर्माण की आवाज को मजबूती से उठाया था।

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