Raja Raghuvanshi And Sonam Raghuvanshi Case: राजा रघुवंशी की शादी का सफ़र और सोनम का साथ शुरू होते ही, इतनी विभीत्स तस्वीर के साथ खत्म होगा ये शायद ही किसी ने सोचा होगा। किसने साज़िश की, किसने साज़िश को अंज़ाम दिया । ये भले ही लंबी जांच के बाद स्पष्ट हो लेकिन राजा रघुवंशी के माता-पिता अब अपने बेटे को कभी नहीं देख सकेंगे। उधर सोनम का आगे क्या होगा, फ़िलहाल कुछ भी कहना लाज़मी नहीं मगर ये तय है कि इसका अंजाम किसी के हक़ में नहीं होगा।
तीसरा ये कि इस षड़यंत्र के ताने-बाने में शामिल हर एक की ज़िन्दगी जहां जीते-जी थम जाएगी वहीं दोनों परिवारों में आया भूचाल, कब थमेगा कोई नहीं कह सकता। सुनते तो यही आए हैं कि प्यार-मुहब्बत-इश्क की शुरुआत हर इंसान की जिंदगी में एक मीठे ख्वाब की तरह शुरू होती है लेकिन जब उस ख्वाब में लालच, धोखा और हिंसा शामिल हो वो प्यार नहीं षड़यंत्र कहलाता है जो बहुतों की जिंदगी को नर्क बना देता है। राजा रघुवंशी का दुर्दांत और सोनम की लवस्टोरी का किस्सा और एक वो भयावह सच्चाई है जिससे समूचा मानव समाज विस्मृत है।
बड़ी गंभीरता से सोचना होगा कि समाज के युवाओं पर इसका क्या और कैसा असर पड़ेगा, जो न सिर्फ अपनी पसंद से शादी करते हैं बल्कि प्रेम विवाह में भी युवाओं का खासा विश्वास है। इस पूरे मामले की खौफनाक तस्वीरें कहीं युवाओं के प्यार,इश्क़-मुहब्बत से लबरेज़ कोमल मन को कहीं इस क़दर झकझोर न दें कि अपने आसपास के लड़के-लड़कियों या इंसानियत से ही इनका विश्वास ही न उठ जाएं। इस षड़यंत्र रचना के बात ये कहना अतिश्योक्ती न होगी कि प्यार,प्रेम, इश्क या मुहब्बत जब विवेक,धैर्य,मर्यादा की सीमाएं लांघता है तो परिणामत: कुछ ऐसी ही अमानवीयता से रजे चित्र न सिर्फ समाज में उमड़-घुमड़ मचाते तो बल्कि दो ज़िंदगियां ही नहीं,पूरा समाज ऐसी तबाही में बर्बाद हो सकता है।
ऐसे हर मुश्किल वक्त पर हमें अपने घर-परिवार,समाज के बच्चों, युवाओं के मन को समझना, उन्हें सुनना,उन्हें अपने नजदीक रखना और सुरक्षा प्रदान करने से पहले उन्हें ऐसीप परिस्थितियों के लिए आगाह करना बड़ी जिम्मेदारी है ताकि ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोका जा सके । यह लेख आज इसी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है ,आइए कुछ बातें इस विषयक समाधान की ओर एक कदम।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घटना का संक्षिप्त विवरण
इंदौर का नव-विवाहित जोड़ा राजा और सोनम, शादी के कुछ ही दिन बाद हनीमून पर शिलॉन्ग गया। परिवार वालों ने बच्चों की खुशी मानकर बड़े हर्ष से दोनों को विदा किया लेकिन उन्हें कहां पता था कि वो अपने कलेजे के टुकड़े को आज अंतिम बार जीवित देख रहे हैं। जब उनके लापता होने की खबर सोशल मीडिया पर चली तो पूरे देश,पूरी मानव समाज ने उनकी सलामती की दुआएं करना भी शुरू कर दिया।
मगर इसी बीच लापता राजा रघुवंशी का छत्तविछत्त शव शिलांग की एक घाटी में मिला, जिसने ये सुना इसे महज़ एक हादसा माना और सोनम के सही-सलामत होने लोगों ने अपने-अपने सोशल अकाउंट्स पर संवेदना व्यक्त की। लेकिन एक लंबे अंतराल के बाद इंसानियत की जो भयानक हकीकत सामने आई ये हकीकत खुलते ही हर कोई सन्न रह गया कि राजा रघुवंशी की पत्नी सोनम ने ही अपने प्रेमी और उसके दो साथियों के साथ मिलकर अपने पति राजा की हत्या की न सिर्फ साजिश रची बल्कि बल्कि इसे अंजाम देने बाकायदा सुपारी भी दी थी और ये स्पष्ट होते ही एक खौफनाक सन्नाटा जिसके पीछे हर एक माता-पिता जहां राजा रघुवंशी के माता-पिता का कष्ट देख तड़प कर रह जाता है वहीं उन्हें अपने उन बच्चों की फ़िक्र सताने लगी है जो अपनी पसंद से शादी करना चाहते हैं या किसी के प्यार में हैं।
लेकिन घबराने और चिंता करने से ज्यादा अहम है अपने बच्चों से नजदीकी और ऐसे मामलों पर उनके विचार जानना और उनकी हर बात को न सिर्फ सुनना बल्कि नीचे दिए गए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर समाधान पाने इन्हें मुस्तैदी से फॉलो भी करना।
क्योंकि यहां सवाल सिर्फ सोच का है,ज़रा सोचिए
- क्या युवाओं के लिए विवाह अब एक समझौता ही रह गया है ?
- क्या युवाओं को रिश्तों की कोई परवाह नहीं या रिश्तों के प्रति ज़रा भी भावनाएं नहीं, सिर्फ योजनाएं रह गई हैं ?
- युवाओं के प्रति माता-पिता लिए “विश्वास” रखना अब सबसे बड़ा खतरा बन गया है ? क्योंकि ये केस सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं, बल्कि रिश्तों में छिपे जहर की पहचान कराने वाली हकीकत है।
युवाओं के लिए सबक-सिर्फ दिखावे पर न जाएं युवा
आज सोशल मीडिया और बाहर की चमक-धमक ने इंसानों और विशेष रूप से युवाओं को मास्क पहना दिया है जिसके चलते चेहरा देख कर या अपने निजी स्वार्थ के चलते रिश्ते अब दिल से नहीं निभाए जाते। जहां तक विवाह का बंधन लंबा नहीं चला ये दुःखद है लेकिन राजा रघुवंशी जैसी निर्मम कहानी की पुर्नावृत्ति न हो इसके लिए अपने आसपास के लोग को आशंकाओं पर सचेत करें और अपना बेटरहाफ चुनते वक्त चरित्र और व्यवहार की गहराई को पहचानना युवाओं के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
खुद अंधेरे में रहकर न बने क्योंकि प्यार अंधा नहीं होता
प्यार करना गलत नहीं क्पयोंकि मानव जीवन समाज और परिवार बिना प्रेम के, बिना विश्वास के रिश्तों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सकता लेकिन आज के शिक्षक और और समझदार दूरदर्शी युवाओं के परिपूर्ण समाज में युवाओं में मानवीय रिश्तों की समझ,परख, धैर्य की कमी के परिणाम देखते हुए आंखें मूंदकर भरोसा करना कितना खतरनाक हो सकता है यहां कोई उदाहरण पेश करने की आवश्यकता नहीं है बस रिश्तों में पारदर्शिता रखें लेकिन विवेकहीनता और अंधा समर्पण कभी नहीं।
जानकारी और पारिवारिक समझ जरूरी
रिश्ता तय करने से पहले व्यक्ति की पृष्ठभूमि,मित्र मंडली और मानसिकता को समझना जरूरी है। क्योंकि ये बातें “संकोच” नहीं, बल्कि “सुरक्षा कवच” हैं।
खामोशी को नजरअंदाज न करें
कई बार रिश्तों में कुछ बातें असहज लगती हैं, लेकिन हम टाल जाते हैं। कुछ विशेष इशारों को नजरअंदाज करना आत्मघाती हो सकता है।
समाज की जिम्मेदारी
यह मामला हमें नवविवाहितों के जीवन में मानसिक स्वास्थ्य, वैवाहिक काउंसलिंग और पारिवारिक संवाद की ज़रूरत का भी एहसास कराता है। शादी सिर्फ एक संस्कार नहीं, बल्कि दो व्यक्तियों की जीवन भर की जिम्मेदारी है इसलिए इस तरह मानवीय रिश्तों पर आघात की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए समूची समाज को ज़िम्मेदारी लेनी होगी ताकि किसी के भी बच्चे के साथ युवाओं और मानवीयता का ये हश्र न हो।