Raj Thackeray Alliance With Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) (Shiv sena UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Udhav Thackeray) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) के बीच गठबंधन की संभावनाओं ने जोर पकड़ लिया है। राज ठाकरे ने हाल ही में एक बयान में संकेत दिया कि उनके और उद्धव के बीच राजनीतिक मतभेद और पुराने विवाद होने के बावजूद, महाराष्ट्र के हित में एकजुट होना असंभव नहीं है। यह बयान आगामी नगर निगम चुनावों, विशेष रूप से मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आइए, इस संभावित गठबंधन और इसके सियासी निहितार्थों पर एक नजर डालें।
राज ठाकरे का बयान: मतभेद हैं, लेकिन महाराष्ट्र पहले
शनिवार को मुंबई में एक सभा को संबोधित करते हुए MNS प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “मेरे और उद्धव के बीच राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, और कुछ हद तक निजी झगड़े भी रहे हैं। लेकिन अगर बात महाराष्ट्र के हित की हो, तो ये सब किरकोळ (छोटी) बातें हैं। मैं पहले शिवसेना में था, और उस समय उद्धव के साथ काम करने में मुझे कोई परेशानी नहीं थी।” यह बयान उन अटकलों को बल देता है कि दोनों चचेरे भाई, जो कभी एक ही पार्टी में थे, फिर से एक मंच पर आ सकते हैं।
राज ठाकरे ने यह भी जोड़ा कि उनकी प्राथमिकता “मराठी मानुस” और महाराष्ट्र की संस्कृति को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि अगर उद्धव की शिवसेना के साथ गठबंधन से यह लक्ष्य हासिल हो सकता है, तो वह इस पर विचार करने को तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दोनों नेताओं को हाल के महीनों में कई सामाजिक आयोजनों, जैसे शादियों, में एक साथ देखा गया है, जिसने सियासी हलकों में चर्चा को और हवा दी।
उद्धव-राज का इतिहास: एकता से टकराव तक
उद्धव और राज ठाकरे का रिश्ता सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक भी है। दोनों शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के परिवार से हैं। राज, बाल ठाकरे के भाई श्रीकांत ठाकरे के बेटे हैं, जबकि उद्धव बाल ठाकरे के पुत्र हैं। दोनों ने शुरुआती दिनों में शिवसेना में एक साथ काम किया, लेकिन 2005 में मतभेदों के चलते राज ने पार्टी छोड़ दी और 2006 में MNS की स्थापना की। इसके बाद दोनों के बीच तल्खी बढ़ती गई, और कई बार सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ तीखे बयान दिए गए।
हालांकि, हाल के वर्षों में दोनों नेताओं के बीच तनाव कम होता दिखा है। दिसंबर 2024 और फरवरी 2025 में दोनों को परिवारिक शादियों में एक साथ देखा गया, जहां उनकी बातचीत ने गठबंधन की अटकलों को जन्म दिया। खासकर, फरवरी में अंधेरी में एक शादी समारोह में दोनों ने एक-दूसरे से गर्मजोशी से मुलाकात की, जिसे सियासी विश्लेषकों ने एक बड़े बदलाव का संकेत माना।
- BMC और अन्य नगर निगम चुनाव: BMC, जो देश की सबसे धनी नगर निगम है, पर दोनों पार्टियों की नजर है। 2022 से लंबित ये चुनाव अब जल्द होने की उम्मीद है। शिवसेना (UBT) ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह इन चुनावों में अकेले उतरेगी, लेकिन MNS के साथ गठबंधन से उसकी स्थिति मजबूत हो सकती है, खासकर मुंबई और ठाणे जैसे मराठी बहुल इलाकों में।
- मराठी वोट बैंक: दोनों पार्टियां “मराठी मानुस” के मुद्दे पर सक्रिय रही हैं। राज ठाकरे की MNS ने हाल ही में मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग को लेकर आंदोलन किया, हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया। उद्धव की शिवसेना भी मराठी अस्मिता को अपनी राजनीति का केंद्र बनाए रखती है। गठबंधन से यह वोट बैंक एकजुट हो सकता है, जो सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (BJP, शिंदे गुट की शिवसेना, और NCP) के लिए चुनौती बन सकता है।
- महायुति और MVA की कमजोरियां: 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) को केवल 20 सीटें मिलीं, जबकि MNS कोई सीट नहीं जीत सकी। दूसरी ओर, महायुति ने भारी जीत हासिल की। हालांकि, महायुति में BJP और शिंदे गुट के बीच तनाव की खबरें हैं, और MVA (कांग्रेस, शिवसेना UBT, NCP-SP) में भी एकता की कमी दिख रही है। ऐसे में उद्धव और राज का गठबंधन एक नया विकल्प बन सकता है।
चुनौतियां और सियासी समीकरण
गठबंधन की राह आसान नहीं है। उद्धव और राज के बीच पुरानी कड़वाहट, खासकर 2006 के बाद MNS के गठन और उसके द्वारा शिवसेना के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं, कार्यकर्ताओं में संदेह पैदा कर सकती हैं। इसके अलावा, राज ठाकरे ने हाल ही में BJP और महायुति को समर्थन देने के संकेत दिए थे, जिसके चलते शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने MNS को “BJP की B-टीम” करार दिया था। ऐसे में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाना चुनौतीपूर्ण होगा।
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ महायुति भी MNS को अपने साथ लाने की कोशिश में है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे की डिनर मीटिंग ने इसकी अटकलें बढ़ा दी थीं। हालांकि, राज ने शिंदे पर महायुति में MNS को शामिल न करने का आरोप लगाया, जिससे उनके BJP के साथ गठबंधन की संभावना कमजोर दिख रही है।