देश के पूर्व प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर के दिन निधन हुआ, 28 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार किया गया, 29 दिसंबर को उनकी अस्थियों का विसर्जन हुआ और उनके निधन पर सबसे ज्यादा दुखी होना जिसे कांग्रेस ने बताया था वो, राहुल गांधी 29 – 30 दिसंबर के बीच नए साल की पार्टी सेलिब्रेशन के लिए वियतनाम निकल गए. देश में पूर्व पीएम के निधन पर 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है, उनके निधन पर कांग्रेस ने बड़ा बवाल किया था, राहुल गांधी को बड़ा दुःख हुआ था कि डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध में हुआ लेकिन वो इसी बीच नए साल का जश्न मानाने के लिए वियतनाम चले गए।
अब जाहिर है एक तरफ कोई पूर्व पीएम के निधन पर खुद को सबसे ज्यादा दुःखी दर्शाए, सरकार पर उनका अंतिम संस्कार सम्मानजनक तरीके से न करने का आरोप लगाए फिर ठीक एक दिन बाद वियतनाम चले जाएं तो सवाल उठेंगे ही और भारतीय जनता पार्टी ने उठाए भी हैं. बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने X पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी पर हमला बोला है.
उन्होंने कहा – जहां एक और पूरा देश डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर शोक मना रहा है, वहीं नया साल मनाने के लिए राहुल गांधी वियतनाम निकल गए हैं. राहुल गांधी ने अपनी राजनीति के लिए डॉ. सिंह की मौत का राजनीतिकरण और शोषण किया,
वहीं बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी राहुल गांधी के न्यू ईयर पार्टी को लेकर तंज कसा उन्होंने कहा राहुल गांधी के समय में LOP का मतलब लीडर ऑफ़ ऑपोजिशन नहीं लीडर ऑफ़ पार्टी है. उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी तब भी पार्टी कर रहे थे जब 26/11 हमला हुआ था.
बीजेपी लीडर्स के जब राहुल गांधी के वियतनाम दौरे का मुद्दा उठाया गया तो राहुल की तरफ से भी कांग्रेस के लोग काउंटर करने के लिए सामने आए, तमिलनाडु के एक कांग्रेस सांसद मणिकम टेगौर ने अमित मालवीय को पलटवार करने हुए कहा कि ये संघी लोग भटकाने वाली राजनीति कब बंद करेंगे ? अगर राहुल गाँधी निजी यात्रा पर गए हैं इससे किसी को क्या दिक्कत है.
मतलब कांग्रेस के लोग ये तो मान रहे हैं कि राहुल गांधी राष्ट्रीय शोक के बीच विदेश गए हैं, लेकिन उनके विदेश जाने का मुद्दा उठाकर बीजेपी असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। वैसे देखा जाए तो अभी जो कांग्रेस ने मुद्दा उठाया था वो डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध में करने को लेकर था, और कांग्रेस के ही लीडर ये मुद्दा उठाकर विदेश निकल गए हैं. सोशल मीडिया में राहुल गांधी अब ट्रॉल किए जा रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि ये कैसी दुःख की घडी है जिसमे इंसान किसी के निधन के बाद वियतनाम निकल जाता है?
अच्छा मजे की बात ये है कि बीजेपी के लोगों द्वारा किए जा रहे दावे का कोई कोंग्रेसी खंडन नहीं कर रहा है, सुप्रिया श्रीनेत, पवन खेरा, जयराम रमेश ने अबतक इस मामले में कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है. सभी ने चुप्पी साध ली है. जबकि ये वही कांग्रेस प्रवक्ता हैं जो राहुल गांधी पर लगे हर आरोपों को तुरंत डिफेंड करने के लिए खड़े हो जाते हैं.
वैसे देखा जाए तो अपनी मर्जी से कहीं भी जाना, पार्टी करना, नया साल सेलिब्रेट करना कोई बुरी बात नहीं है. राहुल गांधी वियतनाम गए हों या थाईलैंड बात इसकी नहीं है, बात ये है कि दो दिन पहले तक वो मनमोहन सिंह के निधन पर बेहद दुःखी थे, उनके अंतिम संस्कार में हुई अव्यवस्था से उन्हें चोट पहुंची थी लेकिन वो इसी बीच एन्जॉय करने के लिए चले गए. तो जाहिर है मुद्दा बनेगा ही. वैसे आपको क्या लगता है राष्ट्रीय शोक के दौरान लीडर ऑफ़ ओपजिशन का वियतनाम जाना सही था ? या बीजेपी बेमतलब में उनकी इस यात्रा का मुद्दा बनाकर दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।