Happy Birthday Rahat Fateh Ali Khan: यूं तो वो पाकिस्तानी गुलूकार और मौसिकार है ख़ासकर सूफियाना कलाम और रूहानी क़व्वाली के लिए मशहूर है पर जब उन्होंने बॉलीवुड के गीत गाए तो वो भी दिलकश अंदाज़ में दिल को छू गए जैसे :- ‘लागी तुझ से मन की लगन. .. ,जिया धड़क -धड़क जाए. ..’ओ रे पिया… ,तेरे मस्त मस्त दो नैन. … ‘,’मेरे रश्क-ए-क़मर …’,’दग़ाबाज़ रे…’,’आज दिन चढ़ेया …’,’तेरी मेरी … ,जग घूमिया…. ,’तू इतनी खूबसूरत है. … ‘,’सानु एक पल चैन…’और ‘दिल तो बच्चा है जी. …’ ।
बेशक ये गाने आपके दिल के भी क़रीब होंगे जो आज के दौर में भी फिल्म संगीत को एक दिलनशीं मोड़ दे रहें हैं तो फिर हम उन्हें बर्थडे विश करना कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने इतनी ख़ूबसूरती से गाने गाए हैं ,जी हाँ आज है राहत फतह अली खान की यौमे पैदाइश। आज के ही दिन फ़ैसलाबाद , पंजाब, पाकिस्तान में क़व्वालों और शास्त्रीय गायकों के पंजाबी परिवार में आप पैदा हुए ,वो फ़ारुख़ फ़तेह अली ख़ान के बेटे , फ़तेह अली ख़ान के पोते और क़व्वाली गायक नुसरत फ़तेह अली ख़ान के भतीजे हैं। संगीत के ऐसे उस्तादों के घर पैदा होना ही उनकी खुशकिस्मती थी जिसकी बदौलत वो बहुत छोटी उम्र से संगीत का रियाज़ करने लगे थे और हर सबक़ उनके लिए खाने के नेवाले जितना ही ज़रूरी होता था।
महज़ तीन साल की उम्र से ही वो अक्सर अपने चाचा और पिता के साथ गाने लगे थे और सात साल की उम्र से चाचा नुसरत फ़तेह अली ख़ान से क़व्वाली सीखने लगे थे। इसी शिद्दत का असर था कि नौ साल की उम्र में,अपने दादा की पुण्यतिथि पर,आपने अपनी पहली स्टेज परफार्मेंस दी और जब पंद्रह साल के हुए तब से वे नुसरत फ़तेह अली ख़ान के क़व्वाली ग्रुप का अहम हिस्सा हो गए। इस दौरान उन्होंने देश विदेश के दौरे किए और अकेले अपनी शानदार प्रस्तुतियां भी दीं ।
बालीवुड में राहत साहब की गायकी का सफर 2003 में पूजा भट्ट निर्देशित ‘पाप’ फिल्म के गाने ‘लागी तुझ से मन की लगन’ से शुरु हुआ। इस गाने के बाद से राहत साहब की शोहरत दिन ब दिन बढती गई।
यहाँ हम आपको ये भी बता दें कि कई विवादों में उनका नाम आया इसके बावजूद बतौर कलाकार उनकी मक़बूलियत का सिलसिला जारी है ।राहत साहब ने हालीवुड की फिल्मों के लिये भी काम किया है। 1995 में उन्होने उस्ताद नुसरत फतह अली ख़ान और अपने वालिद के साथ मिलकर ‘डेड मैन वाकिंग’ का संगीत दिया। इसके बाद 2002 में उन्होने ‘फ़ोर फ़ेदर्स ‘ के साउंड ट्रेक पर काम किया 2006 में आई एपोकैलिप्सो मूवी के साउंड ट्रैक में भी राहत जी ने आवाज़ दी है।
वो सूफी कलाम लिखते भी हैं, क़व्वाली के अलावा ग़ज़ल भी गाते हैं और बतौर प्ले बैक सिंगर वो भारतीय और पाकिस्तानी सिनेमा से जुड़े हैं। उनके परिवार में क़व्वाली गाने की परंपरा पीढी-दर-पीढी चली आ रही है। राहत के पूरे घर में ही संगीत का माहौल है। अप्रैल 2012 में, राहत साहब ने , 20,000 से ज़्यादा दर्शकों के सामने ऐसी ज़ोरदार परफॉर्मेंस दी की इस शो ने अधिकतम टिकट-बिक्री का रिकॉर्ड बनाया था।
राहत किसी भी नोबेल पुरस्कार समारोह में प्रदर्शन करने वाले पहले पाकिस्तानी हैं, उन्होंने नुसरत फतेह अली खान की सबसे यादगार क़व्वाली “तुम्हें दिल्लगी” ,”मस्त कलंदर” और ‘आओ परहाओ” को भी अपने बेमिसाल अंदाज़ में पेश किया। दूसरी और
राहत, पाकिस्तानी नग़्मे देने वाले कोक स्टूडियो के क़रीब -क़रीब हर सीज़न में नज़र आते हैं ।
अधिक जानने के लिए आज ही शब्द साँची के सोशल मीडिया पेज को फॉलो करें और अपडेटेड रहे।
- Facebook: shabdsanchi
- Instagram: shabdsanchiofficial
- YouTube: @ShabdSanchi
- Twitter: shabdsanchi
