टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल सइंसेज (TISS) ने PhD के एक छात्र को सस्पेंड कर दिया है. उसे दो साल के लिए सस्पेंड किया गया है. छात्र पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. साथ ही उसपर आरोप है कि जनवरी में उसने प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फोरम (PSF) के साथ मिलकर आंदोलन में हिस्सा लिया था. ये आंदोलन केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ था. छात्र के सस्पेंशन को लेकर कॉलेज प्रशासन और PSF की तरफ से बयान भी सामने आया है.
क्यों सस्पेंड किया?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रामदास पिरनि शिवनंदन,TISS से पॉलिटिकल साइंस में PhD कर रहे हैं. 18 अप्रैल को कॉलेज ने उनके खिलाफ एक सस्पेंशन आर्डर जारी किया। इस नोटिस में कॉलेज ने कहा है,
‘कमिटी ने दो साल के लिए आपको सस्पेंड करने का फैसला लिया है. इस दौरान TISS के सभी कैंपस में आपके आने-जाने की मनाही होगी।’
कॉलेज का कहना है कि उन्होंने ये नोटिस रामदास पिरनी के खिलाफ 7 मार्च को हुई कार्यवाई के बाद जारी किया है. दरअसल कॉलेज ने रामदास को एक कारण बताओ नोटिस भेजा था. इसमें उन्हें 7 मार्च को कॉलेज कमिटी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था. इस दौरान उनसे दिल्ली में प्रोटेस्ट और TISS के मुंबई कैंपस में मार्च निकालने सहित कई गतिविधियों को लेकर सवाल पूछे गए थे. जिसके बाद उनका सस्पेंशन जारी किया गया है.
कॉलेज ने अपने नोटिस में रामदास पर लगे आरोपों का जिक्र किया। नोटिस में बताया गया कि रामदास जनवरी,2024 में दिल्ली में हुए एक प्रोटेस्ट में शामिल हुए थे. ये प्रोटेस्ट नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के खिलाफ था. आरोप है कि रामदास की इस हरकत ने कॉलेज की छवि पर बुरा असर डाला है. कॉलेज के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि रामदास एक छात्र से ज्यादा एक पॉलिटिकल ऐक्टिविस्ट हैं.
PSF ने क्या कहा?
इस पूरी घटना पर PSF ने भी शुक्रवार को एक बयान जारी किया। PSF की तारीफ़ से कहा गया,
‘ये मार्च बीजेपी के खिलाफ छात्रों की आवाज बुलंद करने और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए था. एक छात्र (रामदास) को दो साल के लिए सस्पेंड कर उसे कैंपस से बैन करके TISS वाले बीजेपी सरकार के गलत कामोंको छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.”