प्रधान मंत्री का रूस दौरा तय ,विदेश मंत्रालय नें किया तारीखों का एलान ;

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस दौरा तय हो गया है. विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री 8 और 9 जुलाई को दो दिवसीय रुस की यात्रा पर जाएंगे। जहां वह 22 वें भारत रुस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगें। यह प्रधानमंत्री की 5 साल बाद रुस की यात्रा है. इससे पहले प्रधानमंत्री 2019 में रुस के दौरे पर गए थे. प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद अहम् माना जा रहा हैं। रूस दौरे के बाद वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएंगे।

जंग के बीच प्रधानमंत्री का दौरा अहम

रुस यूक्रेन जंग के बीच प्रधानमंत्री का ये दौरा बेहत अहम हो जाता है. आपको बता दे कि दोनों देशो के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी 09-10 जुलाई 2024 के दौरान ऑस्ट्रिया की यात्रा करेंगे। यह 41 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा होगी। पीएम मोदी ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन से मुलाकात करेंगे और ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ बातचीत भी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को के साथ-साथ वियना में भी भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत करेंगे। 

दौरे पर अमेरिका की नजर

आपको बता दें कि इस पूरे दौरे पर अमेरिका समेत तमाम पश्चिम के देशो की नजर होंगी। रुस पर जारी तमाम प्रतिबंध के बावज़ूद भारत उससे कच्चा तेल लेता रहा. लेकिन बीच में लम्बे समय तक दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच कोई मुलाक़ात नहीं हो सकी.इस लिहाज से सबकी नजरें इस दौरे पर हैं.

भारत के लिए क्यों जरूरी है रुस

  • चीन को संतुलित करना: पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रमण ने भारत-चीन संबंधों को एक मोड़ पर ला दिया, इससे यह भी प्रदर्शित हुआ कि रूस चीन के साथ तनाव को कम करने में योगदान दे सकता है।
    • लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की। 
  • आर्थिक जुड़ाव के उभरते नए क्षेत्र: हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, आर्थिक जुड़ाव के नए क्षेत्रों के उभरने की संभावना है – खनन, कृषि-औद्योगिक और उच्च प्रौद्योगिकी, जिसमें रोबोटिक्स, नैनोटेक, और बायोटेक।
    • रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत के पदचिन्हों का विस्तार होना तय है। कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को भी बढ़ावा मिल सकता है। 
  • आतंकवाद का मुकाबला: भारत और रूस अफगानिस्तान के बीच की खाई को पाटने हेतु कार्य कर रहे हैं और दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय  आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया गया है। 
  • बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन: इसके अतिरिक्त रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है। 
  • रूस का सैन्य निर्यात: रूस भारत के लिये सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक रहा है। यहाँ तक कि पिछले पाँच वर्षों (2011-2015) की तुलना में पिछले पाँच साल की अवधि में भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 50% से अधिक गिर गई।
    • वैश्विक हथियारों के व्यापार पर नज़र रखने वाले स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में भारत ने रूस से 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार आयात किये हैं। 

 

मुश्किल की हर घड़ी में दिया भारत का साथ

अपने मित्र देश भारत को रुस हर तरह से सहयोग प्रदान करता है. फिर वह 1971 की भारत पाक जंग में अमेरिका के 7 वें बेड़े को रोकना हो या फिर कश्मीर के मामलें में भारत का समर्थन करना। जब जब भारत के खिलाफ दुनिया खड़ी हुयी ,तब रुस ने भारत का समर्थन किया। आज भारत रुस से हथियार लेता है. भारत भी अपने इस मित्र की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है. जब लगभग पूरी दुनिया ने सयुक्त राष्ट्र में रुस यूक्रेन युध्य में रुस के खिलाफ वोट किया उस वक्त भारत ने वोटिंग से खुद को रक्खा।

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