प्राइड ऑफ पाकिस्तान नाज़िया हसन

Nazia Hassan Death Anniversary: क़िस्मत ही थी जिसने उसका नाता फिल्म संगीत से जोड़ दिया और हमें उसकी शक्ल में एक नायाब नगीना दे दिया जिसकी चमक आज भी बरक़रार है और हमेशा रहेगी क्योंकि उसने महज़ 15 साल की उम्र में ऐसे काम कर लिए जो एक रिकॉर्ड बन गए,जैसे:- उनके एक गाने ने वो कमाल कर दिया कि वो फिल्मफेयर में बेस्ट फीमेल प्ले बैक सिंगर का अवॉर्ड पाने वाली पहली इतनी कम उम्र की गायिका बनीं तो दूसरी तरफ वो पाकिस्तानी की भी पहली गायिका हैं जिन्हें भारत में फिल्म फेयर मिला, ये अवॉर्ड उन्हें शो मैन राज कपूर के हाथों मिला था ।

स्कूल से छुट्टी लेकर पहुंची रिकॉर्डिंग स्टूडियो :-

जी हां आप हमारा इशारा समझ गए होंगे हम बात कर रहे हैं नाज़िया हसन की जो छोटी सी उम्र में स्कूल से हॉफडे लेकर यूनिफॉर्म पहेन कर , सन 1980 की फिल्म क़ुर्बानी का गीत ‘आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आए ‘ रिकॉर्ड करने आईं और फिल्म संगीत का जगमगाता सितारा बन गईं साथ ही पाकिस्तान के म्यूज़िक वर्ल्ड को भी नई ऊंचाई से वाबस्ता किया ।

ज़ीनत अमान ने दिया फिल्मों में गाने का सुझाव :-

उनकी मकबूलियत का ये आलम था कि लंदन ,अमेरिका और रशिया सहित पूरी दुनिया ने उनके मुख्तलिफ अंदाज़ और आवाज़ को पसंद किया , पर वो इंडिया आईं कैसे, उन्हें ये मौका मिला कैसे? तो हुआ यूं कि अभिनेत्री ज़ीनत अमान, नाज़िया हसन की मां ,मुनीजा हसन की अच्छी दोस्त थीं और एक दिन वो उनसे मिलने उनके घर पहुंची जहां नाज़िया का गाना सुना और इतना मुतासिर हुई की उन्होंने उनकी मां से नाज़िया को फिरोज़ खान से मिलवाने को कहा क्योंकि वो अपनी फिल्म कुर्बानी के लिए एक नई आवाज़ की तलाश में थे पर मुनीजा ने कहा कि नाज़िया के वालिद नहीं मानेंगे पर कुछ वक्त बाद उन्होंने अपने शौहर को मना लिया और फिर नाज़िया को लेकर यूनाइटेड किंगडम पहुंची फिरोज़ खान से मिलने ,जहां नाज़िया ने अपना ऑडिशन पास किया और तब फिरोज़ साहब ने उन्हें ,’ आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आए…’ गीत गाने का मौक़ा दिया ।

लोग उन्हें गाते हुए पर्दे पर देखना चाहते थे :-

देखते ही देखते वो नेशनल सेंसेशन होने के साथ ही इंटर नेशनल सिंगर बन गईं और 1981 में उन्होंने अपना पॉप एल्बम डिस्को दीवाने लांच किया और वो अपना एल्बम रिलीज़ करने वाली भी पहली प्ले बैक सिंगर बन गईं और ये एल्बम भारत और पाकिस्तान दोनों का सबसे ज़्यादा बिकने वाला एल्बम बना ,इस के बाद तो वो इतनी पॉपुलर हो गईं कि उनकी एक झलक पाने को लाखों कि भीड़ लग जाती थी ,उनकी खूबसूरती के चर्चे भी कम नहीं थे ,जिससे फिल्मों के ऑफर भी आने लगे पर वो अपने उसूलों के चलते उन्हें ठुकराती रहीं।
बिद्दू भी उनसे अपने 1982 के एल्बम स्टार में उनसे एक्टिंग और सिंगिंग दोनों कराना चाहते थे पर उन्होंने केवल गाना, गाना ही पसंद किया फिर 1984 में नाज़िया का एल्बम” यंग तरंग “आया जो पाकिस्तान का पहला वीडियो एल्बम था। उनका अगला एल्बम, “हॉटलाइन” 1987 में रिलीज़ हुआ जिसका ‘ आ हा …’ सबसे लोकप्रिय गीत था।
1988 में, वो और उनके भाई ज़ोहैब संगीत उस्ताद सोहेल राणा के साथ उनके टेलीविज़न कार्यक्रम, ‘ सुंग सुंग’ में दिखाई दिए इसके अलावा वो कई पॉप म्यूजिक शोज़ की मेज़बानी करती भी नज़र आईं। इन चंद सालों में वो बुलंदियों पर पहुंच गईं थीं।

शादी से मिला फरेब :-

नाज़िया ने 1991 में अपने भाई ज़ोहेब के साथ मिलकर ‘ कैमरा कैमरा’ एल्बम बनाया जिसे भी खूब पसंद किया गया।
“आपने जाना” और “डिस्को दीवाने” जैसे गाने जवां दिलों की तो मानों धड़कनों में बस गए पर 15 साल की उम्र से
शुरू हुआ शोहरत का ये सिलसिला कुछ ही साल जारी रहा। 3 अप्रैल 1965 को कराची ,पाकिस्तान में पैदा हुई नाज़िया एक नामी बिज़नेसमैन बसीर हसन की बेटी थी उन्होंने लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी की थी उसके बाद ,सिक्योरिटी काउंसलिंग में नौकरी करने लगीं और कुछ बरस बाद नाज़िया की शादी मिर्ज़ा इश्तियाक़ बेग से हो गई जिन्होंने उनकी ज़िंदगी को ग़मों से भर दिया ,एक तरफ दुनिया उनकी आवाज़ की दीवानी हो रही थी तो दूसरी तरफ वो अपनी उलझनों में उलझ कर बीमार रहने लगी थीं , अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को अच्छा बनाने के लिए ,अब उन्हें गाने के ऑफर आते तो वो मना कर देती बिद्दू के गाने ‘बूम बूम ‘के लिए भी उन्होंने मना कर दिया जिसके बाद इसे अलीशा चिनॉय ने गाया ।

ग़मों ने कर दिया बीमार –


पर नाज़िया की अपनी ज़िंदगी को खुशहाल बनाने की सारी कोशिशें नाकाम रही कुछ वक्त बाद वो कैंसर का शिकार हो गईं और महज़ 35 साल की उम्र में सन 2000 में 13 अगस्त को, हमें अलविदा कह गईं ,कहते हैं जब वो बीमार हुई तब भी इश्तियाक़ ने उनकी परवाह नहीं की यहां तक कि अपनी पहली शादी को भी राज़ रखा जिसकी वजह से मौत से तीन महीने पहले उन्होंने अपने शौहर से तलाक ले लिया था ।
फिर भी नाज़िया की बेवक्त मौत ने इश्तियाक़ को शक के घेरे में ला दिया और इस केस की जांच के लिए उनका शव कई महीनों तक घर वालों को नहीं दिया गया और जब मिला तो देर होने की वजह से इतनी बुरी हालत में था कि उन्हें पाकिस्तान न लाकर लंदन में ही दफनाया गया। ऐसी थी नाज़िया हसन की ज़िंदगी जिसमें वो खुद तो खुश नहीं हो पाईं , मगर हमें झूमने का मौक़ा दे गईं अपने गीतों के ज़रिए ।
उनका एक बेटा भी है अरेज़, नाज़िया अपनी कमाई का बहोत सा हिस्सा ज़रूरत मंदों को देती थी जो उनकी शख्सियत का एक और खूबसूरत पहलू रहा। सन 2002 में उन्हें ‘ प्राइड ऑफ पाकिस्तान’ के खेताब से नवाजा़ गया ।
वो केवल “पाकिस्तान की शान” ही नहीं बनीं ,उन्हें दक्षिण एशियाई पॉप की रानी भी माना जाता है और वे उपमहाद्वीप की पहली पॉप स्टार थीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *