Prabodhini Ekadashi 2025 : अल्पना से देवघर बनाने की परंपरा,सुख-समृद्धि व शुभता को प्रतिक

Prabodhini Ekadashi 2025 : अल्पना से देवघर बनाने की परंपरा,सुख-समृद्धि व शुभता को प्रतिक – देव उठनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ पर्व है। यह वह दिन होता है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और ब्रह्मांड में पुनः शुभता का संचार होता है। इस दिन न केवल व्रत और पूजा का महत्व होता है, बल्कि एक विशेष परंपरा भी निभाई जाती है , अल्पना या ‘देवों का घर’ बनाने की। यह परंपरा भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और देवी तुलसी को सम्मानित करने के साथ-साथ घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक मानी जाती है।

अल्पना बनाने की पारंपरिक प्रक्रिया

अलपन की तैयारी – अल्पना के लिए सबसे पहले गेरू और चावल के आटे का घोल तैयार किया जाता है। एक कटोरी में दोनों को पानी के साथ मिलाकर हल्का गाढ़ा मिश्रण बना लें। यही घोल अल्पना की रेखाएं बनाने में उपयोग होता है।

रंग भरने आकृति बनाना – अब इस घोल से जमीन पर एक आयताकार आकार बनाएं। याद रहे जिसका एक सिरा खुला हो ,यही ‘देवों का घर’ कहलाता है। इस घर के भीतर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतीकात्मक आकृति बनाई जाती है।

ऐंसे करें सजावट – देवों के घर को सुंदर बनाने के लिए पारंपरिक धार्मिक चिन्ह बनाएं जैसे –

  • अष्टदल कमल
  • सूरज और चांद
  • स्वास्तिक
  • स्वर्ग की सीढ़ी
  • तुलसी का प्रतीक
    इन सबका उद्देश्य देवता के आवास को शुभ और पवित्र बनाना होता है।

प्रतीकात्मक रेखा और चक्र

विष्णु भगवान से एक रेखा नीचे की ओर खींचकर एक चक्र बनाया जाता है, जिसमें सात गोले होते हैं ,यह सृष्टि के सात लोकों या ऊर्जा चक्रों का प्रतीक माना जाता है।

भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी न भूलें बनाना पैर के निशान
चक्र के नीचे परिवार के सदस्यों के पैरों के निशान बनाए जाते हैं। यह भगवान के चरणों का स्वागत करने का प्रतीक है।

अन्य प्रतीक
घर के आसपास गाय, बछड़े, स्वास्तिक और दरवाजों पर पाँच-पाँच बिंदु (डॉट) बनाए जाते हैं। ध्यान रहे कि बाथरूम के दरवाजे पर डॉट नहीं बनाए जाते।

पूजन में भोग की प्रथा – पूजा के लिए अनाज में गेहूं, मौसमी फल व सब्जियां अर्पित करें। सारी सामग्री को एक परात से ढककर ऊपर स्वास्तिक बनाएं। फिर गीत गाते हुए “हाथ थपथपाकर भगवान को जगाने” की परंपरा निभाएं ,यही देव उठनी का सबसे भावनात्मक क्षण होता है,अल्पना का धार्मिक महत्व और लाभ।

भगवान विष्णु को जगाने का प्रतीक – यह अल्पना भगवान विष्णु की योगनिद्रा समाप्त होने और उनके जागरण का प्रतीक है। इसे बनाकर भक्त देवताओं का स्वागत करते हैं।

शुभ कार्यों की शुरुआत – देव उठनी एकादशी से ही विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन की अल्पना शुभता और मंगल का प्रतीक होती है।

घर में सुख-समृद्धि – गेरू -चावल से बनी यह अल्पना घर में सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी कृपा लाती है। इसे बनाने से वातावरण शुद्ध और पवित्र बनता है।

नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा – अल्पना के पास पाँच दीपक जलाने की परंपरा है। यह दीपक नकारात्मक शक्तियों को दूर रखते हैं और घर में उजाला व ऊर्जा बनाए रखते हैं।

निष्कर्ष – देव उठनी एकादशी पर अल्पना बनाना केवल सजावट नहीं, बल्कि भक्ति, ऊर्जा और परंपरा का संगम है। यह घर के हर कोने में शुभता का संचार करती है और भगवान विष्णु के स्वागत का माध्यम बनती है। इस एक दिन का सच्चा अर्थ यही है जगाओ भगवान को, जगाओ अपने भीतर की सकारात्मकता को।

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