चंद्र ग्रहण से पितृ पक्ष का प्रारंभ, 3 घंटा 31 मिनट का होगा ग्रहण काल

रीवा। वर्ष 2025 में कुल चार ग्रहण का योग बना है लेकिन इनमें से 7 सितंबर को पड़ा चंद्र ग्रहण ही भारत में दिखाई दे रहा है। इसलिए सूतक एवं प्रभाव की दृष्टि से यह चंद्र ग्रहण महत्वपूर्ण है। ज्योतिर्विद राजेश साहनी के अनुसार इस खग्रास चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटा 31 मिनट है। चंद्र ग्रहण कुंभ राशि एवं पूर्वाभाद्र नक्षत्र पर होगा इसलिए इन राशि एवं नक्षत्र वालों को ग्रहण में विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। गर्भवती महिलाओं एवं छोटे बच्चों को ग्रहण काल में विशेष सावधानी रखनी चाहिए तथा ग्रहण की अवधि में घर के अंदर ही रहना चाहिए।

ग्रहण का सूतक

ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारंभ होने से 9 घंटे पूर्व लग जाता है तथा ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही सूतक भी समाप्त हो जाता है, यानी कि 7 सितंबर को होने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.52 से लग जाएगा।
सूतक प्रारंभ होने के साथ ही किसी भी प्रकार की भोज्य सामग्री का सेवन वर्जित माना गया है।

ग्रहण की अवधि

ग्रहण प्रारम्भ- रात्रि 09.58 बजे।
खग्रास प्रारम्भ- रात्रि 11.01 बजे से।
ग्रहण मध्य या परम ग्रास- रात्रि 11.42 बजे से।
खग्रास समाप्त -रात्रि 12.22 बजे।
ग्रहण समाप्त – रात्रि 01.26 बजे।

राशियों पर ग्रहण का प्रभाव

7 सितंबर को होने वाला चंद्र ग्रहण कुंभ राशि पर हो रहा है इसलिए इन राशि वालों को विशेष सावधानी रखना की आवश्यकता है। मेष राशि वालों के लिए ग्रहण लाभ देने वाला, वृषभ राशि के लिए सुख देने वाला, मिथुन राशि के लिए अपमानजनक, कर्क राशि के लिए कष्टप्रद, सिंह राशि वालों के लिए स्त्री वर्ग से चिंता, कन्या राशि वालों के लिए सुखदायक, तुला राशि वालों के लिए चिंता दायक, वृश्चिक राशि वालों के लिए अशुभ, धनु राशि वालों के लिए शुभ तथा मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ होगा।

ग्रहण काल मे सावधानियां

ग्रहण के अनिष्ट निवारण के लिए ग्रहण के स्पर्श काल में स्नान ग्रहण में मंत्र जाप अथवा देव पूजन तथा ग्रहण समाप्ति पर पुनः स्नान करने का विधान है। ग्रहण के बाद का दान अमोघ फलदाई माना गया है। मुद्रा वस्त्र अनाज बर्तन तथा धातुओं आदि के यथासंभव दान से ग्रहण के दुष्प्रभाव में कमी आती है। ग्रहण काल में भोजन एवं जल में कुशा अथवा तुलसी डाल कर रखना चाहिए। आंखों के रेटिना पर अल्ट्रावायलेट किरणें घातक असर डाल सकती हैं अतः ग्रहण को खुली आंखों से ना देखना चाहिए। ग्रहण वाले दिन शुभ कार्यों का निषेध माना गया है। ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर शुभ नहीं होता अतः गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल की अवधि में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा कर रहे।
समस्त प्रकार की समस्याओं के समाधान एवं रोग निवृत्ति के लिए ग्रहण की अवधि में महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाना उचित होता है।

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