MP News in Hindi: राज्य की 23 हजार पंचायतों को अब अपने बिजली बिल स्वयं चुकाने होंगे। राज्य सरकार ने अनुदान में कटौती कर कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे 15 दिनों के भीतर पंचायतों की आय बढ़ाने के प्रयासों की समीक्षा करें।
MP News: मध्यप्रदेश की करीब 23,000 ग्राम पंचायतों को अब अपने बिजली बिल स्वयं चुकाने होंगे। राज्य सरकार ने अनुदान राशि में कटौती करते हुए पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से आदेश जारी किए हैं। कलेक्टरों और जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि पंचायतों की आय बढ़ाने के प्रयासों की समीक्षा हर 15 दिन में की जाए।
पंचायतों पर बढ़ा वित्तीय दबाव
पहले पंचायतों के बकाया बिजली बिल का भुगतान 5वें वित्त आयोग की राशि से राज्य स्तर पर किया जाता था। लेकिन वित्त वर्ष 2025-26 से यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब पंचायतों को अपनी आय या अनुदान राशि से बिजली बिल चुकाना होगा।
पंचायतों की जिम्मेदारी वाले कनेक्शन
विभाग के अनुसार, नल-जल योजना, स्ट्रीट लाइट, पंचायत कार्यालय, सामुदायिक भवन, मांगलिक भवन, गौशाला, आंगनबाड़ी, स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, वृद्धाश्रम, हाट बाजार, पर्यटन स्थल और मेला जैसे कनेक्शनों का बिल पंचायतें चुकाएंगी। अन्य विभागों या संस्थानों द्वारा उपयोग किए जा रहे कनेक्शनों का भुगतान संबंधित विभाग करेंगे।
समय पर भुगतान न होने से सरचार्ज का बोझ
विभाग ने बताया कि पंचायतों द्वारा समय पर बिल न चुकाने से सरचार्ज बढ़ रहा है, जिससे बकाया राशि लगातार बढ़ती जा रही है। पंचायतों को अनुपयोगी कनेक्शन काटने और बिजली उपयोग का ऑडिट करने के निर्देश दिए गए हैं।
सरपंच और सचिव पर कार्रवाई का प्रावधान
पंचायतों को हर माह 1 से 5 तारीख के बीच जल-कर वसूलने और इसकी समीक्षा हर 15 दिन में करने को कहा गया है। यदि पर्याप्त राशि होने के बावजूद बिलों का भुगतान नहीं किया गया, तो सरपंच और सचिव पर वैधानिक कार्रवाई होगी।
आत्मनिर्भर पंचायतों की ओर कदम
सरकार का कहना है कि पंचायतों को संपत्ति कर, जल-कर और अन्य स्रोतों से आय बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, ताकि अनुदान राशि का उपयोग केवल विकास कार्यों के लिए हो। भविष्य में बिजली कंपनियां स्मार्ट प्री-पेड मीटर भी स्थापित करेंगी, जिससे बिजली खपत पर नियंत्रण और पारदर्शिता बढ़ेगी।