पद्म श्री बाबूलाल दाहिया जी के संग्रहालय में संग्रहीत उपकरणों एवं बर्तनों की जानकारी की श्रृंखला में मिट्टी शिल्पी की वस्तुओं की अंतिम प्रस्तुति के बाद ,आज हम आपके लिए लेकर आए हैं,
बांस शिल्प का कार्य विन्ध्य में तो बशोर समुदाय के लोग करते हैं परन्तु यदि बैतूल छिदवाड़ा आदि जिलों में देखा जाय तो यही कार्य वहां बसने वाला कोरकू समुदाय करता है जो मध्यप्रदेश के 7 प्रमुख आदिवासियों में एक माना जाता है। हमारे बघेलखण्ड का यह बाँस शिल्पी हमें खेती किसानी से सम्बंधित 20 -25 प्रकार की बस्तुएं बना कर दिया करता था। साथ ही कुछ वस्तुएं किसान खुद भी बना लेता था। इधर खेती की पद्धति में आये बदलाव एवं बाजार में आई प्लास्टिक से बनी ( यूज एण्ड थ्रो ) बस्तुओं के प्रचलन के कारण उनकी अनेक कलात्मक वस्तुएं तक विलुप्तता की ओर पहुँच चुकी हैं।
अब वही वस्तुएं चलन में हैं जो सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़ी हैं।पहले हमारी खेती किसानी से जो वस्तुएं जुड़ी थीं वह इस प्रकार हुआ करती थीं। परन्तु बांस के बर्तन में एक सावधानी आवश्यक है कि वह कच्चे बाँस के बजाय तीन साल पुराने बाँस का हो वर्ना घुन लगजाता है।
चरहा टोपरा
यह मोटे नरजें का बड़ा टोकना होता था जिसमें भर कर किसान अपने पशुओं के खाने के लिए अवाही में चारा भूसा आदि डालते थे। फसल आने पर यही टोकना भूसा वाले घरों में भूसा रखने में भी सहायक हुआ करता था। अब प्रायः यह चलन से बाहर है।
सूपा
यह अनाज के दाने साफ करने का एक बहु उद्देश्यसीय बर्तन होता था जिससे घर में रखे अनाज को छाटने- अल्होरने एवं गहाई के पश्चात धान ,कोदो, उड़द, मूंग आदि के दानों को पुआल य डंठल से उड़ा कर सूप से ही अलग किया जाता था। अब इसका स्थान एक प्लास्टिक के सूप ने लेलिया है।
झउआ
यह बॉस का बना मोटे खपच्चियों का एक मद्धम आकार का टोकना होता था जिसमें भर कर गहाई किए हुए अनाज की ढेरी लगाई जाती थी। यह अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कई तरह के बनते थे। यह मिट्टी डालने और गोबर उठाने के काम भी आते थे।
ओसमनिहा झउआ
यह बांस का मोटे नरजे का बना एक टोकना होता था जिसे वंशकार भूसे से दाने अलग करने के मकसद से ही बनाते थे। इसलिए इसकी आकृति गोबर उठाने वाले झउवा से कुछ अलग नीचे सकरा और ऊपर की ओर चौड़ा होता था।
अनाज की उडवाई करते समय बांस की फांस हाथ में न लगे? अस्तु किसान उसे गोबर से लीप कर ही गाहे गए गेहूं चने के दाने एवं भूसे को अलग – अलग किया करते थे।
आज के लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे इस श्रृंखला की अगली कड़ी में।