किन शर्तों पर मिली अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत?

Arvind Kejrival Bail-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejrival) मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे। वे एलजी की मंजूरी प्राप्त करने के लिए जरुरी होने पर ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे। वह किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejrival) को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राहत दे दी है. कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ केजरीवाल को एक जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि जमानत के दौरान केजरीवाल इस केस में अपनी भूमिका के संबंध में कोई भी टिप्पणी नहीं करेंगे। वह किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करेंगे या किसी भी तरह से मामले को प्रभावित नहीं कर सकते। साथ ही केस से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फ़ाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सीएम कार्यालय (CMO) या दिल्ली सचिवालय (Secretariat) नहीं जाएंगे। केजरीवाल एलजी की मंजूरी प्राप्त करने के लिए जरूरी होने पर ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे। केजरीवाल 2 जून को सरेंडर करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक अब बेल बॉन्ड सीधा जेल अधीक्षक के सामने भरना होगा। यानी कि अब ट्रायल कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है.

क्या शर्तें रखी सुप्रीम कोर्ट ने?

  • केजरीवाल को 50 हजार रुपए के जमानत बॉन्ड के साथ इतनी राशि कि जमानत भी जमा करनी होगी।
  • केजरीवाल अपनी तरफ से दिए गए बयान से बाध्य होंगे कि वह आधिकारिक फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक न हो.
  • केजरीवाल वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
  • वह किसी भी गवाह के साथ बातचीत नहीं करेंगे और मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फ़ाइल तक उनकी पहुंच नहीं होगी।

कब गिरफ्तार हुए केजरीवाल?

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में परवर्तन निदेशालय ( ED) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले ईडी ने उन्हें मामले में पूछताछ के लिए 9 बार समन भेजा था. हालांकि केजरीवाल किसी भी समन पर पेश नहीं हुए थे. केंद्रीय जांच एजेंसी का आरोप है कि वह घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता थे और सीधे तौर पर शराब कारोबारियों से रिश्वत मांगने में शामिल थे. इस आरोपों को ख़ारिज करने वाली आम आदमी पार्टी कहती है कि दिल्ली में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा और मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे।

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