सब कुछ सबके नसीब में नहीं होता…

न्याज़िया
मंथन।
बहुत बार दिल नहीं मानता कि हर चीज़ हमें नहीं मिल सकती, हमारी कोशिशें नाकाम होती रहती हैं और हम उसे पाने की ज़िद में अपनी एनर्जी और वक़्त दोनों बर्बाद करते रहते हैं। मायूसी से घिर जाते हैं ,लेकिन आपको पता है कि इस मायूसी के चलते कई बार अपनी इसी चाहत से जुड़े दूसरे मौक़े भी हम गवां देते हैं, उसे नज़र अंदाज़ कर देते हैं क्योंकि ये हूबहू वो नहीं है जो हम चाहते हैं और फिर पछताने के सिवा हमारे कुछ हांथ नहीं लगता। इसलिए अपनी कमज़ोरी को भी जाने और कुछ हद तक इस बात पर भी भरोसा रखे कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता …, तो जो हमारे पास है वो भी किसी के पास नहीं है, उसके लिए भी कोई तरस रहा है बस ये सोचकर ,अपनी हर चीज़ की क़द्र करना चाहिए, उसे अनमोल समझना चाहिए।

धैर्य कैसे आए

उन लोगों को देखिए जो बहुत दुख परेशानी झेल रहे हैं फिर भी हार नहीं मानते वो कोशिश करते रहते हैं खुश रहने की आगे बढ़ने की मुश्किलों को मात देते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहते हैं,उन्हें किसी से से शिकायत नहीं होती क्योंकि वो मानते हैं कि ये उनका भाग्य है ,उनकी किस्मत है, जो भी उन्हें मिला या नहीं मिला उसके लिए वो खुद ज़िम्मेदार हैं उनके कर्म का फल ही है उनका जीवन।

संतोष कैसे करें

साईं इतना दीजिए जामे कुटुंब समाए, मैं भी भूखा न रहूं साधु भी भूखा न जाए।
इच्छा सिर्फ इतनी हो कि ऊपर वाला हमें इतना दे कि हम भी भूखे न रहें और हमारे घर आने वाला साधू भी भूखा न जाए ।

खुश रहकर ही हम कुछ हासिल कर सकते हैं

जब हम खुद से अपनी मेहनत से अपनी ज़िंदगी से खुश रहेंगे तो हमें आगे का रास्ता साफ दिखाई देगा ,ये नहीं तो वो ,वो नहीं तो वो, इस तरह से आगे बढ़ने के कई विकल्प आपको दिखाई देंगे जिसे आप अपने हिसाब से चुन सकते हैं। ग़ौर ज़रूर करिएगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।

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