Nirjala Ekadashi Vrat Katha | निर्जला एकादशी व्रत कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi: निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और कठिन व्रत माना जाता है, जो ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।

इसे भीमसेन एकादशी (Bhimsen Ekadashi) या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस व्रत का संबंध महाभारत के पांडव भाई भीमसेन से है।

यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें बिना जल ग्रहण किए पूरे दिन और रात उपवास रखा जाता है। आइए, निर्जला एकादशी व्रत की कथा और इसके महत्व को हिंदी में समझते हैं।

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Nirjala Ekadashi Vrat Katha | निर्जला एकादशी व्रत कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha In Hindi: पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडव और उनकी पत्नी द्रौपदी नियमित रूप से एकादशी का व्रत रखते थे।

सभी पांडवों में भीमसेन की भूख और शारीरिक शक्ति असाधारण थी, जिसके कारण वे एकादशी के व्रत को पूरी तरह से पालन करने में असमर्थ थे। भीम को भूख सहन करना कठिन लगता था, और वे इस बात से दुखी रहते थे कि वे एकादशी का व्रत नहीं रख पाते।

एक दिन, भीम ने इस समस्या को लेकर वेदव्यास जी से मार्गदर्शन मांगा। वेदव्यास जी ने भीम को बताया कि सभी एकादशियों का व्रत रखना संभव न हो तो केवल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी, यानी निर्जला एकादशी का व्रत रखने से ही वर्ष की सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यह व्रत अत्यंत कठिन है, क्योंकि इसमें सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक बिना जल और भोजन के रहना होता है।

व्यास जी ने कथा सुनाई

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण था, जो बहुत धर्मपरायण था। वह सभी एकादशियों का व्रत रखता था, लेकिन उसकी पत्नी इस व्रत को नहीं मानती थी और व्रत के दिन भी भोजन करती थी।

एक बार निर्जला एकादशी के दिन, ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को समझाया कि वह कम से कम इस दिन जल और भोजन का त्याग करे, क्योंकि यह व्रत अत्यंत पुण्यदायी है। पत्नी ने अनमने मन से व्रत शुरू किया, लेकिन दोपहर तक उससे भूख और प्यास सहन नहीं हुई। उसने चुपके से रसोई में जाकर भोजन बनाना शुरू किया।

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उसी समय भगवान विष्णु ने एक भिखारी का रूप धारण कर ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने पहुंचे। पत्नी ने भिखारी को भोजन दे दिया, लेकिन भिखारी ने भोजन लेने से इनकार कर दिया और कहा, “आज निर्जला एकादशी है, इस दिन भोजन और जल ग्रहण करना पाप है।”

पत्नी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा मांगी। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत सच्चे मन से करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भीम ने इस कथा को सुनकर निर्जला एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया। उन्होंने पूरे दिन और रात बिना जल और भोजन के उपवास किया और भगवान विष्णु की पूजा की। इस व्रत के प्रभाव से भीम को सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ और उनकी आत्मा को शांति मिली।

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