Nautapa 2025: नौतपा कब शुरू होगा? जानें वैज्ञानिक कारण

Nautapa Kab Shuru Hoga: हर साल की तरह इस बार भी नौतपा (Nautapa) की चर्चा जोरों पर है। नौतपा, यानी नौ दिनों की प्रचंड गर्मी का दौर, जल्द ही शुरू होने वाला है। यह अवधि न केवल ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर भी इसका विशेष महत्व है। लेकिन क्या वाकई नौतपा में बारिश होने से मानसून कमजोर हो जाता है? आइए, इस खबर में जानते हैं नौतपा से जुड़े तथ्य, इसकी शुरुआत की तारीख, वैज्ञानिक कारण और बारिश के प्रभाव का फैक्ट-चेक।

नौतपा क्या है?

What Is Nautapa Explained In Hindi: नौतपा हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास में सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर शुरू होने वाला नौ दिनों का समय है। इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लगभग लंबवत पड़ती हैं, जिससे तापमान चरम पर पहुंच जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे मानसून की भविष्यवाणी का आधार माना जाता है। मान्यता है कि अगर नौतपा में तेज गर्मी पड़ती है, तो मानसून अच्छा होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह अवधि गर्मी और वायुमंडलीय बदलावों के लिए महत्वपूर्ण है।

नौतपा का उल्लेख किन ग्रंथों में है

नौतपा का उल्लेख सूर्य सिद्धांत और श्रीमद्भागवत जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, और इसे ज्योतिष के साथ-साथ खगोल विज्ञान में भी मान्यता प्राप्त है।

नौतपा 2025 कब शुरू होगा?

When Nautapa Will Start 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 24 मई 2025 की मध्यरात्रि के बाद रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इस प्रकार, नौतपा 2025 की शुरुआत 25 मई 2025 से होगी और यह 2 जून 2025 तक चलेगा। इस दौरान उत्तर भारत में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच सकता है, और लू चलने की संभावना भी रहती है।

नौतपा के वैज्ञानिक कारण: क्यों पड़ता है नौतपा?

Why does Nautapa occur: नौतपा का मुख्य कारण सूर्य और पृथ्वी की स्थिति है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नौतपा के दौरान निम्नलिखित कारणों से गर्मी बढ़ती है:

  1. सूर्य की किरणों का लंबवत पड़ना: मई के अंत में सूर्य कर्क रेखा के पास होता है, जिसके कारण उसकी किरणें पृथ्वी पर लगभग 90 डिग्री के कोण पर पड़ती हैं। इससे सूर्य की गर्मी का प्रभाव अधिकतम होता है।
  2. सूर्य और पृथ्वी की दूरी: इस अवधि में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे गर्मी की तीव्रता बढ़ जाती है।
  3. निम्न दबाव का निर्माण: उच्च तापमान के कारण मैदानी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्री हवाओं को आकर्षित करता है। यह प्रक्रिया मानसून की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है।
  4. रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव: ज्योतिष के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र है, जो शीतलता का प्रतीक है। लेकिन सूर्य के इस नक्षत्र में प्रवेश करने से चंद्रमा का शीतल प्रभाव कम हो जाता है, जिससे गर्मी बढ़ती है।

नौतपा में बारिश हो जाए तो क्या होगा?


What will happen if it rains during Nautapa:
लोक मान्यता है कि अगर नौतपा के दौरान बारिश होती है, तो यह “नौतपा का गलना” कहलाता है और मानसून कमजोर या देरी से आने की संभावना होती है। इसका आधार यह है कि नौतपा में तेज गर्मी समुद्र के पानी का वाष्पीकरण बढ़ाती है, जो बादल बनने और मानसून के लिए अनुकूल स्थिति बनाता है। बारिश होने से यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

नौतपा में बारिश यानी कमजोर मानसून?

नौतपा में बारिश का मानसून पर सीधा प्रभाव पड़ना पूरी तरह सिद्ध नहीं है। भारत में मानसून कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे एल नीनो, ला नीना, हिंद महासागर डायपोल (IOD), और पश्चिमी विक्षोभ। केवल नौ दिनों की मौसमी विविधता के आधार पर पूरे मानसून का अनुमान लगाना वैज्ञानिक रूप से सटीक नहीं है। उदाहरण के लिए, 2023 में नौतपा के दौरान कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई, लेकिन मानसून सामान्य रहा।

ज्योतिष शास्त्र में नौतपा को मानसून का “गर्भकाल” माना जाता है। अगर इन नौ दिनों में बारिश नहीं होती और गर्मी चरम पर रहती है, तो यह अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है। लेकिन यह मान्यता पूरी तरह अनुभवजन्य है और इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

नौतपा में बारिश होने से मानसून कमजोर होगा, यह मान्यता पूरी तरह सही नहीं है। यह एक पारंपरिक अवलोकन है, लेकिन आधुनिक मौसम विज्ञान इसे मानसून का प्रमुख कारक नहीं मानता। फिर भी, नौतपा की गर्मी मानसून की प्रक्रिया को प्रभावित करती है, क्योंकि यह वायुमंडलीय दबाव और वाष्पीकरण को बढ़ावा देती है।

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