लोकसभा में पेश हुए महिला आरक्षण बिल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के बारे में सब जानें

Women Reservation Bill

केंद्र सरकार ने 19 सितंबर को नए संसद भवन में आयोजित हुए विशेष सत्र के पहले दिन ‘महिला आरक्षण’ बिल पेश किया। इस बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ ‘Nari Shakti Vandan Adhiniyam) रखा गया है.

नारी शक्ति वंदन अधिनियम: गणेश चतुर्थी के मौके पर नए संसद भवन का श्रीगणेश हुआ. केंद्र सरकार ने विशेष सत्र के पहले दिन सबसे पहले महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश किया। पीएम मोदी ने नए संसद भवन में अपने पहले उद्बोधन में कहा- हमारी सरकार आज महिला आरक्षण बिल लाएगी। इसका नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ होगा। इस दौरान पीएम मोदी ने 25 मिनट तक स्पीच दी जिसमे 10 मिनट तक वे सिर्फ महिलाओं के मुद्दों पर बोले।

पीएम मोदी ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को लेकर कहा

देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।’

तीस साल से पेंडिंग था महिला आरक्षण

महिला आरक्षण का मुद्दा सबसे पहले 1974 में उठाया गया था. इसे महिलाओं का आंकलन करने वाली समिति ने उठाया था. इसके बाद 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार में महिलाओं के लिए 33% का आरक्षण बिल बहुमत से पारित किया गया था मगर तब SP और RJD ने बिल का विरोध कर UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी. इसी लिए कांग्रेस सरकार बिल पास नहीं कर पाई थी.

नारी शक्ति वंदन अधिनियम क्या है

PTI के मुताबिक महिला आरक्षण लोकसभा और विधानसभा दोनों में लागू होगा. बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति इसे स्वीकृत करेंगी और कानून बनने के बाद आगामी चुनाव में इसे लागू किया जाएगा। कहा जा रहा है कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के तहत महिलाओं को 33% आरक्षण दिया जाएगा जिसके बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 78 से बढ़कर 180 हो जाएंगी।

दो तरीके से लागू हो सकता है महिला आरक्षण

पहला: लोकसभा और विधानसभाओं में 33% सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। 2010 में पेश हुए बिल के तहत, संसद और विधानसभा की एक तिहाई सीटों में सिर्फ महिला कैंडिडेट ही चुनाव लड़ेंगी। SC और ST के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या में से एक तिहाई उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। यह व्यवस्था दो चुनाव के लिए होगी। हर आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटें बदली जाएंगी।

दूसरा: हो सकता है कि संसद में एक तिहाई सीटें बढ़ा दी जाएं, क्योंकि लोकसभा की सिटिंग कैपेसिटी अब 888 हो गई है. जिन संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 18-20 लाख से अधिक है, वहां एक के बजाय दो सदस्य चुनें। इनमें एक सामान्य हो और दूसरी महिला सदस्य को चुना जाए। ऐसी करीब 180 सीटें हैं, जहां 18 लाख से अधिक मतदाता हैं। कम से कम 48 सीटें ऐसी हैं, जहां महिला वोटर पुरुषों से अधिक हैं।

कांगेस ने बिना किसी विरोध के समर्थन दिया

कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बिल को बिना किसी विरोध या शर्त का समर्थन दिया। गौरतलब है कि 2010 में कांग्रेस भी इस बिल को पास करना चाहती थी लेकिन कांग्रेस इस लिए पीछे हट गई क्योंकि उसे सरकार बनाने में समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी और RJD ने इस बिल का विरोध किया था. इसी लिए कांग्रेस डर गई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *