भारत के प्रति क्या थे नेपोलियन के विचार और महत्वाकांक्षाएं

Napoleon’s Ambitions for India In Hindi: नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का महान सैन्य नेता और सम्राट था, वह अपने वैश्विक साम्राज्यवादी सपनों के लिए प्रसिद्ध है। उसने अपने युद्धों द्वारा पूरे यूरोप को मथ डाला था। उनकी महत्वाकांक्षाएँ केवल यूरोप तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उन्होंने भारत जैसे दूर लेकिन यूरोप के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र को भी रणनीतियों का हिस्सा बनाया। हालांकि उसने भारत पर कोई अभियान नहीं किया, या भारत पर उसका कोई प्रत्यक्ष बयान भी नहीं है। लेकिन उसके कई पत्रों और दस्तावेजों से पता चलता है, वह भारत के प्रति उसकी आकांक्षा थी। भारत जो उस समय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में था, नेपोलियन के लिए एक रणनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण लक्ष्य था।

भारत के प्रति नेपोलियन की रुचि

18वीं सदी के अंत में भारत ब्रिटिश साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका था। भारत से प्राप्त होने वाली संपत्ति और व्यापार ने ब्रिटेन को आर्थिक और सैन्य शक्ति प्रदान की थी। नेपोलियन जो ब्रिटेन को अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता था, भारत को उसकी कमजोर कड़ी मानता था। नेपोलियन भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि से परिचित था और इसे “ओरिएंट” अर्थात पूर्वी देशों के हिस्से के रूप में देखता था। यूरोपीय दृष्टिकोण से भारत उस समय अवसरों से भरा क्षेत्र था। कहा जाता है वह बचपन से सम्राट सिकंदर के पूर्वी अभियानों से अत्यंत प्रभावित था। वह समझता था कि भारत पर नियंत्रण या वहाँ पर ब्रिटिश प्रभाव को कमजोर करना ब्रिटेन की वैश्विक स्थिति को हिला सकता है। ब्रिटेन जो नो डाउट उस समय विश्व की सबसे बड़ी शक्ति था और उसकी शक्ति का आधार था भारत।

मिस्र अभियान के दौरान जगी भारत के प्रति रुचि

नेपोलियन की भारत के प्रति रुचि विशेष रूप से 1798 के मिस्र अभियान के दौरान स्पष्ट हुई। इस अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य मिस्र के माध्यम से भारत तक पहुँचने का रास्ता बनाना और ब्रिटेन के व्यापार मार्गों को बाधित करना था।

नेपोलियन ने टीपू सुल्तान से गठबंधन की कोशिश की

मिस्र पर कब्जा करने के बाद, नेपोलियन ने भारत के दक्षिणी शासक टीपू सुल्तान के साथ गठबंधन की संभावनाएँ तलाशीं, जो ब्रिटिश विरोधी थे। टीपू सुल्तान ने भी अंग्रेजों से लड़ने के विरुद्ध फ्रांस से सहायता माँगी थी, और दोनों के बीच पत्राचार हुआ। हालाँकि, यह गठबंधन कभी पूरी तरह से सफल नहीं हो सका।

फ्रेंको-रूसी भारत आक्रमण की योजना

नेपोलियन की भारत के प्रति सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक थी 1801 में रूसी ज़ार पॉल I के साथ मिलकर भारत पर संयुक्त आक्रमण की योजना। इस योजना के तहत फ्रांसीसी और रूसी सेनाएँ मध्य एशिया के रास्ते भारत में प्रवेश करतीं और ब्रिटिश नियंत्रण को चुनौती देतीं। यह योजना रूसी ज़ार पॉल की थी, उसने नेपोलियन के मध्य यह प्रस्ताव रखा था। हालांकि नेपोलियन ने उस समय यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था।

ईरान के रास्ते भारत पर प्रभाव

यूरोप और भारत के मध्य फारस यानि कि ईरान रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण था। नेपोलियन ईरान के रास्ते ही भारत पर प्रभाव डालना चाहता था, अपने इसी उद्देश्य के लिए उसने फारस के शाह फतह अली के पास अपने कई दूत भेजे। लेकिन चौकन्ने ब्रिटेन ने 1801 में सर जॉन मैल्कम को फारस भेजा। जिसके परिणामस्वरूप फारस और ब्रिटेन के मध्य राजनैतिक और व्यापारिक संधि हुई। और नेपोलियन का भारत अभियान का ख्वाब अधूरा ही रहा।

भारत पर आक्रमण क्यों नहीं कर पाए नेपोलियन

हालाँकि उनकी भारत पर कब्जे की योजना कभी पूरी नहीं हो सकी। क्योंकि ज़ार पॉल I की हत्या हो गई और उसके बाद रूस के साथ फ्रांस के संबंधों में बदलाव भी आ गए, जिसके कारण नेपोलियन का यह ख्वाब अधूरा ही रहा। इसके अलावा, 1798 में नील नदी के युद्ध में ब्रिटिश नौसेना के हाथों नेपोलियन की हार और 1799 में टीपू सुल्तान की मृत्यु ने भारत में फ्रांसीसी प्रभाव को पहले से ही कमजोर कर दिया था।

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