अयोध्या में राम जन्मभूमि के फैसले के बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को एक मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन अलॉट की थी. उसी जमीन में ‘मस्जिद-ए-अयोध्या’ का निर्माण होना था. निर्माण अभी भी होगा मगर नाम और डिजाइन में बदलाव किया गया है.
Ayodhya Masjid: अयोध्या के धन्नीपुर में SC द्वारा मुस्लिम पक्ष को दी गई 5 एकड़ जमीन में जिस ‘मस्जिद ए अयोध्या’ का निर्माण होना है उसकी नीव भी अबतक नहीं रखी गई है. ऐसा इस लिए क्योंकि कमेटी को ‘Masjid-E-Ayodhya’ नाम और इसके डिजाइन से आपत्ति है. जन्मभूमि में श्रीराम मंदिर का निर्माण साल के अंत तक पूरा हो जाएगा और ऐसी उम्मीद है कि जल्द धन्नीपुर मस्जिद का निर्माणकार्य भी शुरू हो जाएगा।
अयोध्या विकास प्राधिकरण बोर्ड की हाल ही में बैठक हुई थी. जिसमे धन्नीपुर में बन रही मस्जिद के नए लेआउट को मंजूरी दे दी गई है. अगले महीने तक मस्जिद के स्वीकृत डिजाइन को सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को सौंपा जाएगा।
धन्नीपुर मस्जिद के नाम और डिजाइन से क्या दिक्क्त थी?
न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार मुस्लिम समुदाय को धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद के नाम और डिजाइन से आपत्ति थी. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के उत्तर प्रदेश के चेयरमैन ‘ज़ुफर अहमद फ़ारूक़ी’ ने बताया कि ‘मुस्लिम समुदाय को पहले से तय मस्जिद के डिजाइन से कुछ आपत्ति थी. लोगों ने कहा कि हमारी मस्जिद, मस्जिद जैसी नहीं दिखनी चाहिए। इसी लिए हमने डिजाइन में बदलाव किए.
धन्नीपुर मस्जिद के डिजाइन में जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार, इसमें पारम्परिक मस्जिदों की तरह गुंबद नहीं होंगे। डिजाइन ऐसा होगा जिसमे इस्लामिक झलक दिखाई दे. इस मस्जिद में मीनारें और उनपर आधा चांद बनाया जाएगा। साथ ही मस्जिद की दीवारों ‘पैगंबर मोहम्मद’ का नाम लिखा होगा. ‘ज़ुफर अहमद फ़ारूक़ी’ ने बताया कि 4500 स्क्वायर फ़ीट में बन रही इस मस्जिद का नाम ‘बिन अब्दुल्लाह मस्जिद’ (Bin Abdullah Mosque) होगा जो पहले ‘मस्जिद-ए-अयोध्या’ था.
पहले मस्जिद का नाम ‘मस्जिद-ए-अयोध्या’ रखा जाना था. इसका पहले वाला डिजाइन जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्चर विभाग के डीन एसएम अख्तर ने तैयार किया था. इस मस्जिद में ‘सामुदायिक रसोई, पुस्तकालय और रिसर्च सेंटर प्रस्तावित था. इस रिसर्च सेंटर को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी ‘मौलवी अहमदुल्लाह शाह’ के नाम पर रखा जाना था.
नए मस्जिद का डिजाइन वैसा ही है जैसे अरब देशों की मस्जिदों का होता है. सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमैन फ़ारूक़ी ने बताया कि नए डिजाइन में भी वो सब कुछ होगा जो पहले वाले में था.