Maharashtra Assembly Elections की वोटिंग होने में सिर्फ डेढ़ हफ्ते बाकी हैं. इस वक़्त दोनों राज्यों यानी महाराष्ट्र और झारखण्ड में भारतीय जनता पार्टी हिन्दुओं को साधने में लगी हुई है. बाटेंगे तो कटेंगे , एक हैं तो सेफ हैं ये सब नारे हिन्दू वोटर्स को ही अपने पाले में लेने के लिए बोले जा रहे हैं और इसका असर देखने को मिल भी रहा है. महाराष्ट्र में तो पीएम मोदी के पहले भाषण के बाद तो हवा बीजेपी की तरफ ही बहने लगी है.
इस बीच विपक्ष यानी कि महाविकास अघाड़ी दल जिसे अपना परमानेंट वोट बैंक माने हुआ था उसने ही चुनाव से पहले MVA का खेल खराब कर दिया। महाराष्ट्र में मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने MVA को समर्थन देने की बात तो कर दी लेकिन दल के सामने 17 शर्तों का खर्रा पेश कर दिया।
अब यहां कंडीशन ऐसी हो गई है कि ना तो उलेमा बोर्ड की मांगों को MVA स्वीकार कर सकता है और न ही मना कर सकता है. अगर उलेमा बोर्ड की मांगों को ख़ारिज किया गया तो मुस्लिम नाराज और स्वीकार किया तो MVA के हिन्दू वोटर्स नाराज।
देखा जाए तो MVA दल में कांग्रेस और NCP के अलावा सिर्फ शिवसेना UBT ही है जो खुद को हिन्दू पार्टी कहती है, MVA में शिवसेना का सबसे बड़ा हिस्सा है. और उलेमा बोर्ड की मांगो को मानना यानी हिन्दुओ को नाराज करना क्योंकि मांगे ही कुछ ऐसी है कि ना सिर्फ सामान्य वर्ग का हिन्दू नाराज होगा बल्कि आरक्षण वर्ग के हिन्दू भी मांगो को स्वीकार करने का तगड़ा विरोध करेंगे।
उलेमा बोर्ड ने शरद पावर , उद्धव ठाकरे और नाना पोटले तीनों को पत्र लिखते हुए टोटल 17 मांगे की हैं और कुछ ऐसी मांगे हैं जो ऐसी हैं कि MVA इस चुनाव में पूरी की पूरी 288 सीटें भी जीत जाए तो भी पूरी नहीं की जा सकतीं जैसे कि RSS पर प्रतिबंध लगाना।
उलेमा बोर्ड ने MVA से ये मांग की है कि MVA की सरकार बनते ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. इसके आलावा बोर्ड ने MVA से कहा है कि वो केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे वक्फ संशोधन बिल का विरोध करे और इसे रद्द करवाने की कोशिश करे और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को 1000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दे, इसके अलावा सरकार बनने के बाद वक्फ की सम्पत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में कानून पारित किया जाए. यहां उलेमा बोर्ड ने अपना दोहरा चरित्र दिखाने वाली भी मांग कर डाली है.
बोर्ड ने ये मांग उठाई है कि भाजपा नेता नितेश राणे को मुस्लिम विरोधी बयान देने पर तत्काल गिरफ्तार किया जाए और सलमान अजहरी को रिहा किया जाए, यहां उलेमा बोर्ड राणे को गिरफ्तार करवाना चाहता है और सलमान अजहरी जिसने जिसने हिन्दुओं को लेकर भड़काऊ बयानबाजी की उसे रिहा करवाने की माँग कर रहा है. ये मांगे तो कुछ भी नहीं हैं. बोर्ड ने ये मांग उठाई है कि महाराष्ट्र में मुसलमानों को 10 % आरक्षण दिया जाए साथ ही पुलिस भर्ती में मुसलमानों को वरीयता मिले।
अब MVA उलेमा बोर्ड की मांग को स्वीकार कर ले, जिसमे 10 % आरक्षण देने की भी मांग है जो रिजर्वेशन का लाभ ले रहे हिन्दू वोटर्स MVA से उखड़ जाएंगे, वक्फ बोर्ड को 1000 करोड़ रुपए देने की मांग स्वीकार कर ले तो महायुति ऊपर चढ़ जाएगी, RSS को बैन करने की मांग स्वीकार करे तो बवाल ही खड़ा होना है और वक्फ संशोधन बिल को रोकना तो किसी राज्य सरकार के बस की बात है ही नहीं।
यहां MVA ऐसे चक्रयव्यूह में फंसी है कि जिससे बाहर निकलने का रास्ता खुद उसे समर्थन देने वाले उलेमा बोर्ड ने ही बंद कर लिया है अब सिचुएशन आगे कुआँ पीछे खाई वाला हो गया है. और इसका सीधा बेनिफिट महायुति को मिलने वाला है. महायुति तो यही चाहेगी कि MVA उलेमा बोर्ड की मांगो पर हामी भर दे ताकि जो भी हिन्दू वोटर्स हैं भी MVA से बिदक जाएं। तो कुलमिलाकर बात ये है कि उलेमा बोर्ड ने महाराष्ट्र में MVA का खेल बिगाड़ डाला है और इसका परिणाम वोटिंग में देखने को मिल सकता है.