Murkho Ke Bare Me Chanakya Niti: चाणक्य जिन्हें हम कौटिल्य के नाम से भी जानते हैं वह हमारे भारत के महान अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। वे दूरदर्शी नीति निर्माता भी थे उन्होंने अपने सारे जीवन का निचोड़ चाणक्य नीति में भी लिखा है। चाणक्य नीति के माध्यम से चाणक्य ने कई पहलुओं पर चर्चा की है जैसे की राजनीति, शिक्षा, व्यवहार, संबंधों की समझ इत्यादि। इस किताब में चाणक्य ने लोगों के गुणों और आदतों का भी वर्णन किया है जिसमें कुछ आदतें ऐसी है जो मूर्खता को उजागर करती है।

मूर्खो की यह आदतें जानकर बनाएं उनसे दूरी(murkh ke bare me chanakya ne kya kaha hai)
चाणक्य नीति में चाणक्य ने मूर्ख व्यक्तियों की कुछ आदतों का वर्णन किया है जिससे हम सब मुर्ख लोगों की पहचान कर सकते हैं। इस पहचान की वजह से हम समय रहते ही मुर्ख लोगों से दूरी बना सकते हैं और अपने जीवन शैली में सुधार कर सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको इसी का विस्तारित विवरण उपलब्ध कराएंगे जहां हम बताएंगे मूर्ख लोगों में कौन-कौन सी आदत होती है जो उन्हें जग हंसाई का कारण बनाते हैं।
मूर्ख लोगों की पांच आदतें (murkh logo ki 5 adatein)
स्वयं को सर्वज्ञानी समझना: मूर्ख लोगों की सबसे बड़ी आदत यह होती है कि वह खुद को सबसे बड़े ज्ञानी मानते हैं। वे दूसरों की बातों को जरा भी महत्व नहीं देते। वह केवल सलाह देना जानते हैं परंतु दूसरों की सलाह को अनदेखा करते हैं।
प्रशंसा की प्रवृत्ति: मूर्ख लोग हमेशा खुद की प्रशंसा करते हैं। वह हमेशा अपनी उपलब्धियां का गुणगान बताने में समय व्यर्थ करते हैं। ऐसे लोग वास्तविकता से दूर रहते हैं और अपनी तारीफ से प्रसन्न होकर दुनिया लुटाने को भी तैयार हो जाते हैं।
दूसरों के प्रति रूखापन और अपमानजनक व्यवहार: मूर्ख लोग दूसरों की भावनाओं की कदर नहीं करते। वह अपने उल्टे सीधे शब्दों से दूसरों को आहत करते हैं। सामाजिक संबंधों में असफल रहते हैं और समाज में उठना बैठना बिल्कुल नहीं करते बल्कि समझदार लोगों से दूरी बनाने लगते हैं।
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हर विषय में अनावश्यक राय देना: मूर्ख व्यक्ति की एक और विशेषता होती है कि वह हर विषय पर अपनी राय देते हैं, चाहे उस विषय में उनके पास कोई जानकारी हो या नहीं। वे दूसरों की बातों को महत्व नहीं देते बल्कि अपनी ही दी हुई राय को सही मानते हैं।
स्वयं को अत्याधुनिक मानना: मूर्ख व्यक्ति स्वयं को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझते हैं। वह खुद को खुले विचारों वाला और अत्यधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं परन्तु वे आंतरिक रूप से भी खोखले होते हैं। उनकी सोच होती है कि उनके बिना कुछ भी संभव नहीं ऐसे में वह हमेशा दूसरों की अपेक्षा करते हैं परंतु लोग उन्हें ही गंभीरता से नहीं लेते।