Mubarak Begum Death Anniversary | मुबारक बेगम के यादगार गीत, जो आज भी खूब पसंद किए जाते हैं

Mubarak Begum Death Anniversary | न्याज़िया बेगम: हमारी याद आएगी, फिल्म का एक गीत, जिसने सबको इस क़दर दीवाना बना दिया, कि सब इस गीत को आवाज़ देने वाली मुबारक बेगम को याद करने लगे, क्योंकि इस शीर्षक गीत में वो कहती है। कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी, अंधेरे छा रहे होंगे कि बिजली कौंध जाएगी। किदार शर्मा की 1961 में प्रदर्शित फिल्म “हमारी याद आएगी ” के इस गीत को स्नेहल भाटकर ने संगीतबद्ध किया था, हालंकि वो रेडियो स्टेशन में सुगम संगीत के अंतर्गत गाती थीं और पार्श्व गायिका के रूप में उनके करियर की शुरुआत 1949 में फिल्म ‘आइये’ से हुई थी, जिसमें इंडो-पाकिस्तानी संगीतकार नौशाद ने उन्हें पहला ब्रेक दिया था और उनका पहला गीत था “मोहे आने लगी और आजा आजा” । उन्होंने उसी फिल्म में तत्कालीन उभरती हुई स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ एक युगल गीत भी गाया।

Mubarak Begum Death Anniversary

घर परिवार की ज़िम्मेदारी के साथ की संगीत साधना

5 जनवरी 1936 को राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के एक कस्बे में, मुस्लिम परिवार में जन्मी मुबारक की शादी शेख से हुई थी और वे दो बच्चों की माँ थीं, इसके बावजूद वो अपनी संगीत साधना बहोत शिद्दत से करती थीं, उसके बाद अपनी घर गृहस्थी में व्यस्त रहती थीं, ज़माने से ज़्यादा सरोकार नहीं था इसलिए वो फिल्मों को ज़्यादा वक्त नहीं दे पाती थीं। उन्होंने हिंदी और उर्दू भाषाओं में गाने गाए और 1950 और 1960 के दशक में बॉलीवुड फिल्मों में पार्श्व गायिका के तौर पर पहचानी गईं, साथ ही ग़ज़ल और नात भी गाती रहीं।

मुबारक बेगम के यादगार गीत


अपने सफल करियर के दौरान उन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए कुल 178 गाने गाए, कुछ गीतों से आज भी दिल उन्हें उसी जगह पर ढूंढता है, जैसे-

  • “मुझ को अपने गले लगालो, ऐ मेरे हमराही”, हसरत जयपुरी के बोल और शंकर जयकिशन का संगीत ( हमराही, 1963 से)
  • “नींद उड़ जाए तेरी, चैन से सोने वाले” ( जुआरी से, 1968)
  • “वो ना आएंगे पलट कर”, साहिर लुधियानवी के बोल और एसडी बर्मन का संगीत ( देवदास, 1955 से )
  • “हम हाल-ए-दिल सुनाएंगे, सूरज के ना सुनय”, शैलेन्द्र के बोल और सलिल चौधरी का संगीत ( मधुमती , 1958 से)
  • “वादा हमसे किया, दिल किसी को दिया” ( सरस्वतीचंद्र , 1968 से)
  • “बे-मुरव्वत बेवफा बेगाना-ए दिल आप हैं”, जान निसार अख्तर के बोल और सी. अर्जुन का संगीत ( सुशीला , 1966 से)
  • “ऐ दिल बता हम कहाँ आ गये” ( खूनी खज़ाना , 1965 से)
  • “कुछ अजनबी से आप हैं” ( शगुन , 1964 से)
  • “अयजी अयजी याद रखना सनम” ( डाकू मंसूर से , 1961)
  • “शमा गुल करके ना जाओ यूं” ( अरब का सितारा , 1961 से)
  • “सांवरिया तेरी याद में रो रो मरेंगे हम” ( रामू तो दीवाना है , 1980 से)
  • “हमें दम दइके, सौतन घर जाना” आशा भोसले के साथ एक युगल गीत है, जिसके बोल लिखे हैं क़मर जलालाबादी ने, और संगीत इक़बाल कुरेशी का है ( ये दिल किसको दूं , 1963 से)
  • “ये चाँद और मसूर की दाल”, शारदा के साथ ( अराउंड द वर्ल्ड, 1967 से)

ऐसे ही बेश कीमती नग़्में हमारे नाम करके, वो 18 जुलाई 2016 को 80 वर्ष की उम्र में हमें अलविदा कह गईं। एक साक्षात्कार में, उन्होंने बताया था कि ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली उनके पसंदीदा गायक हैं, मानो एक हीरा दूसरे हीरे की चमक पे फ़िदा था।

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