गुजरात में बंधक बनाए गए एमपी के सकुशल छुड़ाए गए मजदूर, घर पहुचते ही सभी के छलक पड़े आंसु

शिवपुरी। गुजरात के हिम्मतनगर में एमारोन कंपनी में बंधक बनाए गए चार आदिवासी मजदूरों को मुक्त कराकर उनके घर, मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के भड़ावावड़ी गाँव, सुरक्षित पहुंचा दिया गया। हरिया क्रांति के प्रयास और पुलिस की सूझबूझ भरी कार्रवाई से बंधक बनाए गए मजदूरों को सकुशल मुक्त कराकर उनके घर पहुचाया जाना संभव हो पाया।
खुशी और गंम में बदल गया माहौल
जैसे ही मजदूर गाँव पहुँचे, परिजनों ने फूलमालाओं से उनका स्वागत किया। माताओं ने अपने बच्चों को गले लगाकर आंसुओं के साथ खुशी जाहिर की। पूरे गाँव में खुशी और भावनाओं का सैलाब देखने लायक था।
ऐसे सामने आया मामला
यह मामला तब सामने आया जब बंधक मजदूरों के परिजनों ने हरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचौन और उनकी टीम के साथ मिलकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। दलाल अनूप राजपूत उर्फ सुशील ने मजदूरों को गुजरात भेजने का झांसा देकर बंधक बना लिया था। बंधक बनाए गए चार मजदूरों में से तीन नाबालिग थे। उन्हें वादा किया गया था कि हर महीने ₹20,000 की कमाई और बेहतर सुविधा मिलेगी, लेकिन हकीकत इसके उलट थी। उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ और उन्हें काम के लिए मजबूर किया गया।
गुजरात पुलिस ने किया सहयोग
सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचौन ने इस पूरे मामले को प्राथमिकता दी। उन्होंने पुलिस टीम के साथ मिलकर मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने का काम किया। स्थानीय पुलिस और गुजरात पुलिस के सहयोग से मजदूरों को सुरक्षित वापस लाया गया। जानकारी आ रही है कि महाराष्ट्र के सांगली गांव में अभी 15 लोग शिवपुरी जिसे के बंधुआ मजदूरी में फंसे हुए हैं. कलेक्टर शिवपुरी को सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचौन ने इस मामले से अवगत कराया है और उन्होंने एक दल बंधुआ मुक्ति के लिए महाराष्ट्र भेजा है।
बंधुआ मजदूरी कलंक
बंधुआ मजदूरी समाज और सरकार पर कलंक है। आज भी समाज का एक हिस्सा अपनी पुरातन बेड़ियों को जकड़े हुए है. बंधक मजदूरों की यह रिहाई मानव तस्करी के खिलाफ एक मिसाल बन गई है।

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