महाकाल मंदिर के पंडे-पुजारियों की नियुक्ति अवैध!

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लगभग एक साल पहले भी सारिका गुरु ने लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ट (EOW), उज्जैन को शिकायत की थी. इसमें कहा था कि साल 1985 से आज तक दान पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को किस आधार पर दी जाती है. इसका संज्ञान लेकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि अभिषेक के लिए कटने वाली रसीद और गर्भगृह में दर्शन करने के लिए मिलने वाली राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा पुजारियों और पुरोहितों को देने का वैधानिक प्रावधान नहीं है.

Mahakaleshwar Mandir: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अग्निकांड के बाद गर्भगृह और नंदी हॉल में अनधिकृत प्रवेश करने वाले पंडे-पुजारी और उनके प्रतिनिधियों की नियुक्तियों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. समाजसेवी सारिका गुरु ने आरोप लगाया है कि मंदिर की व्यवस्था कानून और नियमों के अनुसार नहीं चल रही हैं. मंदिर समिति ने सभी 105 पुजारी, पुरोहित और प्रतिनिधियों की नियुक्ति अवैध तरीके से की है. उन्होंने दान पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को और अभिषेक का 75 प्रतिशत हिस्सा पुरोहितों को देने के प्रावधान को मंदिर एक्ट 1982 का उल्लंघन भी बताया है.

सारिका गुरु और पति जयराम चौबे ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका लगाने के बाद उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह को लिखित शिकायत भी की है. बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में फिलहाल 16 पुजारी, उनके 22 प्रतिनिधि, 22 पुरोहित और उनके 45 प्रतिनिधि सेवा दे रहे हैं.

पुजारियों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सारिका गुरु के खिलाफ 4 अप्रैल को महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और प्रतिनिधियों ने एक ज्ञापन उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह को सौंपा था. इसमें उन्होंने सारिका द्वारा मंदिर की छवि खराब करने का आरोप भी लगाया था. इसके बाद शुक्रवार 5 अप्रैल को सारिका गुरु ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। उज्जैन कलेक्टर से भी शिकायत दर्ज कराई है. इस बारे में महाकलेश्वर मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा ने कहा कि ‘अब तक जांच के लिए शिकायत मेरे पास नहीं आई है. जब आएगी तब ही कुछ बता पाउंगा’।

सारिका गुरु ने शिकायत को निराधार बताया

समाजसेवी सारिका गुरु ने उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह को लिखित शिकायत में कहा है कि पंडे-पुजारियों ने महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम 1982 का उल्लंघन कर मंदिर परिसर के 19 देवालयों पर अतिक्रमण कर लिया है. वे लाखों रुपए प्रतिमाह भक्तों से वसूल रहे हैं. पुजारी-पुरोहितों की चल-अचल संपत्ति की जांच की जाए. आर्थिक अनियमितता और अव्यवस्थाओं से मंदिर की छवि धूमिल हो रही है. महाकालेश्वर मंदिर एक्ट 1982 लागू होने पर पहले या बाद से आज तक यहां किसी भी पुजारी, पुरोहित, कर्मचारी, प्रतिनिधि की वैधानिक रूप से नियुक्ति नहीं की गई है.

जितने भी लोग खुद को पुजारी-पुरोहित बताकर कलेक्टर के समक्ष शिकायत करने गए थे, वे पहले इसे प्रमाणित करें। दान पेटियों का 35 प्रतिशत पुजारियों को और अभिषेक रसीद का 75 प्रतिशत पुरोहितों को देने का को वैधानिक प्रावधान है. ऐसा करके मंदिर एक्ट 1982 का उल्लंघन किया जा रहा है. सारिका ने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत कलेक्टर को गुमराह करने के लिए की गई है. वह झूठी और निराधार है.

क्या है महाकाल की पूजा व्यवस्था का नियम

श्री महाकाल मंदिर की पूजन व्यवस्था 16 पुजारी और 22 पुरोहित संभालते हैं. भस्म आरती और शयन आरती करने के साथ ही पाटले पर बैठक व्यवस्था के लिए भी पुजारी परिवार के नियम बने हुए हैं. 16 पुजारी दो खानदान से हैं. इसमें से एक जनेऊपाति और दूसरा खूटपाति परिवार है. जनेऊपति खानदान में 10 परिवार हैं जबकि खूटपति खानदान में 6 परिवार शामिल हैं. व्यवस्था के अनुसार, एक वर्ष जनेऊपाति तो दूसरे साल खूटपाति खानदान के सदस्य भस्म आरती की जिम्मेदारी संभालते हैं. जिस परिवार की भस्म आरती करने का क्रम है, वही शयन आरती करता है.

परिवार के सदस्यों के बीच भस्म आरती से दोपहर 12 बजे तक, दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे और शाम 4 बजे से रात्रि 11 बजे मंदिर के पट बंद होने तक बैठक व्यवस्था रहती है. गर्भगृह में रहने के दौरान शिवलिंग की सुरक्षा, पवित्रता का दायित्व इन्ही पुजारियों का ही रहता है.

एक साल पहले लोकयुक्त में भी हुई थी शिकायत

लगभग एक साल पहले भी सारिका गुरु ने लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ट (EOW), उज्जैन को शिकायत की थी. इसमें कहा था कि साल 1985 से आज तक दान पेटियों की 35 प्रतिशत राशि पुजारियों को किस आधार पर दी जाती है. इसका संज्ञान लेकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि अभिषेक के लिए कटने वाली रसीद और गर्भगृह में दर्शन करने के लिए मिलने वाली राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा पुजारियों और पुरोहितों को देने का वैधानिक प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद ये लोग शासन को करोड़ों के राजस्व की हानि पंहुचा रहे हैं.

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