MP Vidhansabha Election 2023: रीवा-मऊगंज की 8 सीटों पर BJP VS Congress कैंडिडेट्स के बारे में जानें

MP Vidhansabha Election 2023

MP Vidhansabha Election 2023: भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर सीटों में अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. विंध्य के राजनीतिक केंद्र रीवा और मऊगंज की आठों सीटों में BJP-Congress के उम्मीदवारों का नाम फाइनल हो गया है. इस बार दोनों पार्टयों के प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर रहने वाली है. कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि इस बार वे रीवा-मऊगंज की 8 सीटों में से 5 में अपना परचम लहरा देगी। वहीं बीजेपी को भी पूरा यकीन है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा सभी सीटों में अपनी जीत दर्ज करेगी।

रीवा-मऊगंज में Congress Vs BJP के उम्मीदवारों की लिस्ट

रीवा विधानसभा

राजेंद्र शर्मा (कांग्रेस)

वर्ष 2008 में विधानसभा और 2009 में मेयर का चुनाव हार चुके इंजीनियर राजेंद्र शर्मा को कांग्रेस ने एक भी फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है. राजेंद्र शर्मा- दिग्विजय सिंह के काफी करीब माने जाते हैं. यही वजह है कि बार-बार हारने के बाद भी उनको टिकट मिल रही है. 2018 के विधानसभा परिणाम की बात करें तो भाजपा से राजेंद्र शुक्ल को 69806, कांग्रेस के अभय मिश्रा को 51717 वोट मिले थे.

राजेंद्र शुक्ल (बीजेपी)

राजेंद्र शुक्ल 2003 से लगातार रीवा से विधायक हैं. वर्ष 2003 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए और आवास और पर्यावरण राज्य मंत्री बने. 2008 ऊर्जा और खनिज संसाधन व 2013 में उद्योग मंत्री बनाए गए. एमपी चुनाव से ठीक दो महीने पहले उन्हें जनसम्पर्क मंत्री का दर्जा दिया गया. रीवा में कई विकास योजना लाने के लिए क्षेत्र में इनकी छवि अच्छी है. भाजपा विंध्य के कद्दावर नेता हैं. विंध्य की जनता इन्हे विकास पुरुष के नाम से संबोधित करती है.

मऊगंज विधानसभा

सुखेन्द्र सिंह बन्ना (कांग्रेस)

मऊगंज विधानसभा से कांग्रेस ने सुखेन्द्र सिंह बन्ना (Sukhendra Singh Banna ) को अपना उम्मीदवार बनाया है. इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1995 में जिला युथ कांग्रेस उपाध्यक्ष से हुई, 2008 में जिला सहकारी बैंक रीवा के अध्यक्ष भी रहे. 2010 में जिला युथ कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. पहली बार 2013 में विधानसभा के लिए चुने गए. 2018 में बीजेपी के प्रदीप पटेल से चुनाव हार गए थे. कोंग्रेस के बड़े चेहरे हैं, पिछली बार बहुत कम अंतर से हारे थे. पिछले चुनाव में प्रदीप पटेल को 47753 वोट तो सुखेन्द्र सिंह बनना को 36661 वोट मिले थे.

प्रदीप पटेल (बीजेपी)

बसपा छोड़ भाजपा की टिकट से पहली बार 2018 विधानसभा पहुंचे प्रदीप पटेल अभी पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के सदस्य हैं. मऊगंज को जिला घोषित करवाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. मऊगंज को नया जिला बनाने का श्रेय इन्ही को दिया जाता है.

मनगवां विधनसभा

बबिता साकेत (कांग्रेस)

मनगवां विधासभा क्षेत्र से कांग्रेस ने बबिता साकेत को अपना उम्मीदवार बनाया है. बबिता वर्ष 2010 से 2015 के बीच रीवा जिला पंचायत की अध्यक्ष रहीं हैं. राजनीति की शुरुआत इनकी बसपा से हुई. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की सदस्यता ली और चुनाव भी लड़ा लेकिन भाजपा के पंचुलाल प्रजापति से चुनाव हार गईं थीं. बबिता साकेत को टिकट मिलने की वजह पिछली विधानसभा चुनाव में भाजपा के पंचुलाल कोकड़ी टक्कर देना है. पिछली विधानसभा चुनाव का परिणाम ऐसा रहा पंचुलाल प्रजापति को 64488 वोट मिले थे वहीं बबिता साकेत को 45958 वोट मिले।

नरेंद्र प्रजापति (बीजेपी)

भाजपा को आरक्षित सीट मनगवां से निर्विवाद नए प्रत्याशी की आवश्यकता थी. इसी लिए बीजेपी ने अपने जिताऊ विधायक पंचूलाल प्रजापति का टिकट काट, नरेंद्र प्रजापति को उम्मीदवार बना दिया। नरेंद्र प्रजापति मउगंज के देवतालाब विधानसभा के रहने वाले हैं लेकिन रीवा शहर के संजय नगर में रहते हैं. नरेंद्र प्रजापति रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज से बीई के छात्र रहे हैं.

त्योंथर विधानसभा

रामशंकर पटेल (कांग्रेस)

रमाशंकर पटेल को त्योंथर विधानसभा से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है. रमाशंकर 2013 और 2018 में कांग्रेस की टिकट से चुनाव हार चुकें हैं. हार का अंतर लगातार काम होने की वजह से और जातीय समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस ने रमाशंकर पर भरोसा दिखाया है. पिता राम लखन सिंह त्योंथर सीट से जनता दाल के विधायक रहें हैं. पिछली विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेता श्याम लाल द्विवेदी को 52729 तो कांग्रेस रमाशंकर पटेल को 47386 वोट मिले थे.

सिद्धार्थ तिवारी (बीजेपी)

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते और पूर्व कांग्रेस विधायक स्व सुन्दर लाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी राज को बीजेपी ने त्योंथर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. सिद्धार्थ हाल ही में कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. उन्होंने कांग्रेस का साथ इसी लिए छोड़ दिया क्योंकि पार्टी उन्हें इस चुनाव में टिकट नहीं दे रही थी.

गुढ़ विधानसभा

कपिध्वज सिंह (कांग्रेस)

कपिध्वज सिंह का परिवार रीवा में ताला हाउस के नाम से मशहूर है. वे वर्ष 2013 में निर्दलीय चुनाव लड़े और इन्हे 25 हजार से ज्यादा वोट मिले। 2018 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट से चिनाव लड़े लेकिन सेकंड पोजीशन में रहे. अभी कुछ समय पहले ही इन्होने कांग्रेस का दामन थामा है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नागेंद्र सिंह को 42569 वोट वहीं कपिध्वज सिंह को 34741 वोट मिले थे.

नागेंद्र सिंह (भाजपा)

चार बार के विधायक नागेंद्र सिंह, पहली बार 1985 में कांग्रेस की टिकट से विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2003 और 2008 में भाजपा की टिकट से विधायक बने, 2013 में कांग्रेस के स्वर्गीय सुन्दर लाल तिवारी से हार गए. 2018 में जीत का चौका लगाया. पहले खबर थी कि बढ़ती उम्र के चलते इस बार पार्टी उन्हें टिकट नहीं देगी लेकिन कांग्रेस के कपिध्वज सिंह को टक्कर देने वाले सिर्फ नागेंद्र सिंह ही हैं.

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सिरमौर विधानसभा

रामगरीब वनवासी (कांग्रेस)

कोंग्रेस ने रामगरीब वनवासी को सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है. रामगरीब वनवासी 1998 से 2013 तक लगातार त्योंथर विधानसभा से चुनाव लड़े. वे 2008 में बसपा से पहली बार विधायक बने. हाल ही में कांग्रेस का दामन थामा है. अब उन्हें कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. पिछली चुनाव में बीजेपी के दिव्यराज सिंह को 49443 और कांग्रेस नेत्री अरुणा विवेक तिवारी को 36042 वोट मिले थे।

दिव्यराज सिंह (भाजपा)

दिव्यराज सिंह रीवा राज परिवार से आते हैं, महाराजा पुष्पराज सिंह के पुत्र हैं. वर्ष 2013 में पहली बार सिरमौर विधानसभा से चुनाव जीते और 2018 विधानसभा चुनाव जीतकर बीजेपी के भरोसेमंद नेता बन गए. इसी लिए पार्टी ने उन्हें सिरमौर सीट से तीसरा मौका दिया।दिव्यराज सिंह विंध्य में बीजेपी के सबसे युवा विधायक हैं.

सेमरिया विधानसभा

अभय मिश्रा (कांग्रेस)

अभय मिश्रा को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. सेमरिया सीट बीजेपी से 2008 में विधायक बने. 2013 में इनकी पत्नी नीलम मिश्रा बीजेपी से विधायक चुनी गईं. 2015 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतकर रीवा जिला अध्यक्ष बने. हाल ही में भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं. पिछले चुनाव का परिणाम बीजेपी के केपी त्रिपाठी को 47889 और कांग्रेस त्रियुगी नारायण शुक्ल को 40113 वोट मिले थे.

केपी त्रिपाठी (भाजपा )

केपी त्रिपाठी ने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत की. वर्ष 2015 में रीवा जनपद अध्यक्ष का चुनाव जीते। 2018 में भाजपा की टिकट से सेमरिया विधानसभा का चुनाव लड़े और पहली बार विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस के दिग्गज त्रियुगी नारायण शुक्ल को हराकर विधायक बने. केपी त्रिपाठी की सेमरिया की जनता में अच्छी पकड़ है. ये राजेंद्र शुक्ल के खास माने जाते हैं.

देवतालाब विधानसभा

पद्मेश गौतम (कांग्रेस)

पद्मेश गौतम 2022 में जिला पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य चुन कर आये. पद्मेश को हराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अपने बेटे को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन जीत नहीं मिली। उन्हें चुनाव हराकर पद्मेश गौतम जिला पंचायत सदस्य बने. पिछले चुनाव में इस सीट से बीजेपी नेता गिरीश गौतम को 45043 और बहुजन पार्टी की सीमा जयवीर सिंह को 43963 वोट मिले थे.

गिरीश गौतम (भाजपा)

2003 में मनगंवा से विधानसभा अध्यक्ष श्री निवास तिवारी को चुनाव हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। 2008 में मनगवां सीट आरक्षित होने के बाद गिरीश गौतम देवतालाब विधानसभा से चुनाव लड़े. तब से लगातार 2008, 2013, और 2018 से चुनाव जीत रहे हैं.

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