MP: प्रदेश में 62 फीसदी लड़कियां 21 के बाद कर रहीं विवाह-शिक्षा और करियर को दे रहीं प्राथमिकता

MP SRS Report

MP Girls Marriage Age Survey SRS: ग्रामीण क्षेत्रों में 57.5% लड़कियां 21 वर्ष की आयु के बाद शादी करना चाहती हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिशत 80.2% है। देश का औसत 72.2% है, जहां लड़कियां 21 वर्ष के बाद शादी करती हैं, लेकिन मध्यप्रदेश अभी भी इस औसत से पीछे है।

MP Girls Marriage Age Survey SRS: मध्यप्रदेश में शादी को लेकर सामाजिक दृष्टिकोण में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिल रहा है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS)-2023 के अनुसार, राज्य में 62.5% लड़कियां अब 21 साल की उम्र के बाद शादी करना पसंद कर रही हैं, जो 2020 में 56% था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव लड़कियों के बीच शिक्षा और करियर के प्रति बढ़ते रुझान और सरकार की योजनाओं के समर्थन के कारण आया है।

ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में अंतर

SRS-2023 के आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 80.2% लड़कियां 21 साल के बाद शादी करना चाहती हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 57.5% है। पूरे देश का औसत 72.2% है, जिससे मध्यप्रदेश अभी भी पीछे है। हालांकि, 2020 की तुलना में राज्य में सुधार हुआ है। शहरी क्षेत्रों में शादी की उम्र में बड़ा बदलाव देखा गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी और प्रगति की जरूरत है।

बाल विवाह में मामूली बदलाव

सर्वे से पता चलता है कि 18 साल से कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों का प्रतिशत 2020 में 2.1% से घटकर 2023 में 2.0% हो गया है, जो बाल विवाह की दर में मामूली कमी दर्शाता है। वहीं, 18 से 20 साल की उम्र में शादी करने वाली लड़कियों का प्रतिशत 41.7% से घटकर 35.6% हो गया है।

शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर जोर

SRS सर्वे जनसंख्या के उम्र, लिंग और वैवाहिक स्थिति से संबंधित आंकड़े जुटाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि लड़कियों का 21 साल के बाद शादी करने का रुझान उनकी शिक्षा और आत्मनिर्भरता की इच्छा को दर्शाता है। सामाजिक और पारिवारिक सोच में भी बदलाव आया है, जिससे लड़कियों की शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।

शादी की उम्र बढ़ने के कारण

मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग की पूर्व उप निदेशक मंजुला तिवारी के अनुसार, लड़कियों की शिक्षा और करियर पर ध्यान देने की प्रवृत्ति इस बदलाव का प्रमुख कारण है। बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाएं लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने और बाल विवाह रोकने में मदद कर रही हैं। वे शिक्षा और नौकरियों को प्राथमिकता दे रही हैं।

लाड़ली लक्ष्मी योजना और सामाजिक बदलाव

लाड़ली लक्ष्मी योजना का उद्देश्य लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा को बढ़ावा देना और बाल विवाह रोकना है। इसके तहत 21 साल की उम्र के बाद और 18 साल से पहले शादी न होने पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि, मंजुला तिवारी का मानना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आंकड़ों में अंतर से पता चलता है कि सामाजिक मूल्यों में बदलाव सरकारी नीतियों से ज्यादा प्रभावी है।

महिलाओं में बढ़ता आत्मविश्वास

कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता अपराजिता पांडे ने कहा कि शिक्षा से मिला आत्मविश्वास लड़कियों को स्वतंत्र और मजबूत पहचान बनाने में मदद कर रहा है। घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और दहेज हत्या जैसे मामलों ने उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता का महत्व समझाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *