Mandana Art की उत्पत्ति कैसे हुई ? सांस्कृतिक झलक- पारंपरिक लोक कला

Mandana Art Story In Hindi

Mandana Art Story In Hindi: मांडना (Mandana Art) एक पारंपरिक लोक कला है, जो मुख्यतः राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से राजगढ़, कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा और बूंदी क्षेत्र में विकसित हुई।

मांडना आर्ट का संबंध ग्रामीण महिलाओं की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक भावनाओं से है। इस कला का जन्म और विकास हजारों वर्षों से चली आ रही जनजातीय और ग्रामीण परंपराओं के बीच हुआ।

ऐसे हुई मांडना आर्ट की उत्पत्ति ?

आस्था और परंपरा से जुड़ी कला – मांडना शब्द संस्कृत के “मण्डन” से आया है, जिसका अर्थ है सजाना-संवरना या अलंकरण करना। प्राचीन काल से ही महिलाएं त्योहारों, अनुष्ठानों और विशेष अवसरों पर घर की दीवारों, आंगनों और प्रवेश द्वारों को सजाने के लिए मांडना बनाती थीं।

यह भी पढ़ें: इंदौर का होल्कर स्टेडियम सजेगा विश्व की महिला किक्रेट खिलाड़ियों से, खेले जाएगे 5 मैच, शेडयूल जारी

सांस्कृतिक संकेत और मान्यताएं

  • जनजातीय समाज मांडना आर्ट को सुख-समृद्धि, देवता की कृपा और नकारात्मक शक्तियों से बचाव का प्रतीक मानते आ रहे हैं।
  • खास अवसरों पर जैसे दीपावली, गणगौर, विवाह या सूर्य पूजा पर ये चित्र बनाना शुभ माना जाता है।

कच्चे घरों की सजावट से जुड़ा प्रारंभ

चूंकि पुराने समय में लोग कच्ची मिट्टी के घर बनाकर रहते थे, उन्हें वर्षा और धूल से बचाने, साथ ही सौंदर्य बढ़ाने के लिए महिलाएं मिट्टी और चावल के पेस्ट से मांडना बनाती थीं।

मांडना के मूल्यवान प्रतीक और ज्यामितीय डिजाइन

इसमें ज्यामितीय आकृतियां, देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक चित्र, प्राकृतिक चित्र जैसे सूरज, चांद, पशु-पक्षी आदि दर्शाए जाते हैं जो समाज की मान्यताओं और जीवनशैली को दर्शाते हैं।

यह भी पढ़ें: लिनर के लिए हेल्दी हैं Sprouts: सेहत, स्वाद और सादगी का परफेक्ट मेल

मांडना बनाया जाता कैसे बनाया जाता है ?

रंग संयोजन – लाल मिट्टी, गोबर, चावल का आटा, सफेद मिट्टी या खड़िया यानी सफेद,पीली मिट्टी को पानी,तेल,शहदव गोंद में घोल कर रंग मांडना के रंग तैयार किए जाते हैं।

इसके बाद सबसे पहले जमीन पर गोबर से लेप किया जाता है, फिर सफेद रंग में चावल या खड़िया पाउडर के घोल से बेस डिज़ाइन बनाई जाती है और अन्य रंगों को कॉम्बिनेशन के लिए उपयोग किया जाता है।

आजकल यह मांडना आर्ट की कला से कपड़े, कागज और दीवारों पर भी आधुनिक रूप में पाई जाती है जिसे मांडना का मॉर्डन वर्जन कह सकते है।

विशेष :- मांडना कला केवल सजावट नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और स्त्री-शक्ति की अभिव्यक्ति है। यह पीढ़ियों से चली आ रही और एक ऐसी परंपरा है, जो भारतीय ग्रामीण जीवन के सौंदर्य और आत्मा को दर्शाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *