वन विभाग ने जानकारी दी कि 16 नवंबर की शाम, आठ साल का बच्चा घर के पास खेत में शौच के लिए गया था. बाद में गांव वालों को उसका शव मिला था.
यूपी के बलरामपुर के एक गांव के लोग पिछले कुछ समय से तेंदुए के खौफ में जी रहे हैं. रिपोर्ट है कि एक तेंदुए ने 16 नवंबर को आठ साल के एक बच्चे को मार डाला। पिछले 10 दिन में ये इस तरह की तीसरी घटना है. इसके मद्देनज़र वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए चार टीमें लगाई हैं.
जानकारी के मुताबिक, बलरामपुर के बेलवा गांव में एक बच्चे का शव गन्ने के खेत से बरामद हुआ था. वन विभाग ने जानकारी दी कि 16 नवंबर की देर शाम आठ साल का बच्चा घर से बाहर शौच केलिए निकला था. बाद में गांव वालों को उसका शव मिला। बताया जा रहा है कि झाड़ियों में छिपे बैठे तेंदुए ने ही बच्चे पर हमला किया था।
10 दिन में तीसरा हमला
पांच नवंबर को लाल नगर सिपहिया में नंदिनी नाम की बच्ची के साथ भी ऐसा ही हुआ. पांच दिन तक गांव वाले उसे ढूंढते रहे, बाद में उसका शव ही मिल पाया था। इससे पहले, 11 नवंबर को भी तेंदुए ने 6 साल के अरुण को अपना शिकार बनाया था. बच्चे का शव काफी बुरी हालात में मिला था. एक हफ्ते के भीतर तीन हमलों से इलाके में दहशत का माहौल है.
ये तेंदुआ सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवरों को भी अपना निशाना बना रहा है. आस-पास के लोगों का दावा है कि जंगल में बंदर और कुत्तों की आबादी कम हो गई है. कयास लगाया जा रहा है कि तेंदुआ इनका शिकार कर रहा है.
वन विभाग पर गांव वालो ने लगाया आरोप
इन घटनाओं से गांव वालों में काफी भय है. गांव के लोग लाठी डंडे और भाले के साथ तेंदुए को ढूंढ रहे हैं. वन विभाग पर नाराजगी जताते करते हुए गांव वालों ने कहा कि उन्हें अफसरों पर भरोसा नहीं है. दूसरी तरफ, वन विभाग के अधिकारियों को शक है कि तेंदुए ने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोहेलवा वन्यजीव वन प्रभाग से गांव में घुसा है. वन प्रभाग गोंडा, बलरामपुर और श्रीवस्ती जिलों में फैला हुआ है. डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) का कहना है कि ये तेंदुआ गन्ने के खेत से गुजर रहा है, इसलिए अब तक उसे ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है.
तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की तैयारी
वन विभाग तेंदुए को ‘आदमखोर’ (Man Eater) घोषित करने की तैयारी में है. बलरामपुर सब-डिविजनल वन अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि, चीफ वाइल्ड वार्डन को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें जानवर को आदमखोर घोषित करने की शिफारिश की गई है. क्योंकि इसने पिछले 10 दिनों में तीन लोगों की जान ले ली है.
किसी जानवर को ‘आदमखोर’ कब घोषित किया जाता है?
‘आदमखोर’ शब्द का इस्तेमाल आम बोलचाल में किया जाता है. लेकिन वाइल्ड लाइफ एक्ट (1927) के सेक्शन 11 के मुताबिक, जो भी जानवर इंसानों की जिंदगी के लिए खतरनाक होता है, उसे ‘आदमखोर’ माना जाता है. किसी राज्य के वन्यजीव संरक्षक ही किसी जानवर को आदमखोर घोषित करते हैं. इस घोषणा से पहले इस बात के पर्याप्त सबूत होने चाहिए कि उस जानवर ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार घात लगाकर इंसानों की जान ली है. जैसे बलरामपुर में ऐसा तीसरी बार हुआ है.