पश्चिम बंगाल में The Bengal Files रिलीज नहीं होने दे रहीं Mamata Banerjee

Mamata Banerjee The Bengal Files Release: बंगाल नरसंहार यानी Direct Action Day और कोलकाता नरसंहार (Kolkata Genocide) की सच्चाई बयां करने वाली विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द बंगाल फाइल्स (The Bengal Files) को पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) रिलीज होने नहीं दे रही हैं. इस फिल्म को पश्चिम बंगाल के थिएटर्स चैन दिखाने से मना कर चुके हैं और आरोप है कि ममता बनर्जी के दबाव में आकर सिनेमाहॉल संचालकों ने द बंगाल फाइल्स को दिखाने से डर रहे हैं.

जाहिर है ममता बनर्जी किसी फिल्म की रिलीज को रोकने का आदेश तो नहीं दे सकतीं, क्योंकी इससे पहले The Kerala Files और The Kashmir Files पर रोक लगाने के चलते उन्हें अदालत का सामना करना पड़ा था. इसी लिए ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने सिनेमाहॉल के संचालकों पर दवाब बनाया है ताकि वे बंगाल फाइल्स फिल्म को थिएटर में न रिलीज कर सकें।

इसी बीच निर्माता और एक्ट्रेस पल्लवी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने की मांग की है।

अभिनेत्री और निर्माता पल्लवी जोशी (Pallavi Joshi) ने एक भावुक पत्र के जरिए जनता और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा, “मैं भारी मन से यह पत्र लिख रही हूं, न कि मदद के लिए, बल्कि सत्य को सामने लाने और अपनी सुरक्षा के लिए।” उनकी आगामी फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ (The Bengal Files) का अंतिम भाग 5 सितंबर 2025 को रिलीज होने वाला है। यह फिल्म डायरेक्ट एक्शन डे (Direct Action Day) के दौरान हिंदू नरसंहार (Hindu Genocide), नोआखली दंगों (Noakhali Riots) की भयावह घटनाओं, और भारत के विभाजन (Partition of India) की दबी हुई कहानी को उजागर करती है।

लेकिन पश्चिम बंगाल में इस सत्य को दबाने की कोशिशें हो रही हैं। जोशी का दावा है कि फिल्म के निर्माण से पहले ही मुख्यमंत्री ने इसका उपहास किया, बिना आधार के FIR दर्ज की गईं, ट्रेलर को पुलिस ने ब्लॉक किया, और समाचार पत्रों में विज्ञापन तक छापने से मना कर दिया गया।

पल्लवी जोशी ने अपने पत्र में लिखा, “मैं भारी मन से यह पत्र लिख रही हूं, न कि केवल सहायता के लिए, बल्कि अपने परिवार की सुरक्षा और सत्य को सामने लाने के लिए। ‘द बंगाल फाइल्स’ (The Bengal Files) उन ऐतिहासिक सत्यों को उजागर करती है, जिन्हें लंबे समय से दबाया गया है। लेकिन पश्चिम बंगाल में सत्य को कुचलने की कोशिश हो रही है। मेरे परिवार को हर दिन सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं से धमकियां मिल रही हैं। थिएटर मालिकों को हिंसा का भय दिखाया जा रहा है, जिसके चलते वे फिल्म प्रदर्शन से मना कर रहे हैं। कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, लेकिन एक अनौपचारिक प्रतिबंध फिल्म को जनता तक पहुंचने से पहले ही चुप करा रहा है।”

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