How to Reignite Children’s Interest in Studies After Summer Vacation – स्कूल खुल चुके हैं और ऐसे में बच्चों के आज़ादी वाला रुटीन अब डिसिप्लिन में तब्दील हो चुका है लेकिन बे-मन से। ये बात हम सभी जानते हैं कि गर्मियों की छुट्टियों के बाद बच्चों का रूटीन पूरी तरह बदल चुका होता है, देर तक सोना, स्क्रीन टाइम ज़्यादा और खेलकूद का फुल आनंद। ऐसे में स्कूल दोबारा शुरू होने पर पढ़ाई में ध्यान लगाना बच्चों को बोझ जैसा लग सकता है। लेकिन अगर कुछ सरल और मज़ेदार तरीकों से दोबारा रूटीन में लाया जाए, तो पढ़ाई फिर से मज़ेदार और इंजॉय करने लायक बन सकती है। इस लेख में बहुत कुछ ऐसा है जिसमें आप
कुछ मदद हो सकती है।
धीरे-धीरे रूटीन में वापसी कराएं
Gradual Return to Routine
अचानक सख्ती से पढ़ाई की शुरुआत करने के बजाय बच्चे को धीरे-धीरे पुराने स्कूल टाइमटेबल में लाएं। इन्हें मनाएं,कभी कड़ाई करें तो कभी बहला फुसलाकर कर ट्रीट देने को कहें या डांटना पड़े तो जरूर डांटें लेकिन कभी-कभी उनकी भी मानें। जैसे सोने-जागने,खाने-खेलने व पढ़ने का धीरे से समय बढ़ाएं,पहले सिर्फ एक-दो विषय 20-30 मिनट पढ़वाएं, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। इससे बच्चा मानसिक रूप से तैयार होता है।
पढ़ाई को बनाएं मजेदार और रचनात्मक
Make Study Time Fun and Creative
कहानी के रूप में पढ़ाना, पिक्चर बुक्स, एजुकेशनल गेम्स या ड्रॉइंग के ज़रिए विषय समझाना पढ़ाई को उबाऊ नहीं रहने देता। बच्चों को प्रैक्टिकल तरीके से समझाने पर वे ज्यादा रुचि लेते हैं।
नई स्टेशनरी और सेटअप का क्रिएशन
Involve Kids in Creating a Fresh Study Setup
नई कॉपियां, पेन, क्रेयॉन्स या स्टडी टेबल पर थोड़ी सजावट बच्चों में उत्साह जगाती है। उन्हें अपनी पढ़ाई की जगह खुद सजाने दें, जिससे वो वहां बैठना पसंद करें।
छोटे लक्ष्यों के साथ मोटिवेशन
Use Small Goals and Rewards
बच्चे को कहें – “अगर आज 30 मिनट ध्यान से पढ़ाई की, तो 10 मिनट पसंदीदा गेम”। इस तरह के छोटे-छोटे पुरस्कार उन्हें मोटिवेट करते हैं।
सकारात्मक माहौल और बातचीत
Positive Environment and Conversations
बच्चे से उसकी रुचियों, स्कूल की बातों और समस्याओं पर खुलकर बात करें। पढ़ाई को डांट-डपट से नहीं, सहयोग और समझदारी से जोड़ें।
स्क्रीन टाइम और फिज़िकल एक्टिविटी में संतुलन
Balance Screen Time and Physical Activity
बच्चों को केवल पढ़ाई में नहीं, फिज़िकल एक्टिविटी और आराम में भी संतुलन रखना ज़रूरी है। इससे वे मानसिक रूप से फ्रेश रहते हैं और पढ़ाई में ध्यान लगा पाते हैं।
माता-पिता भी साथ दें
Parental Involvement Matters
बच्चों को अकेला छोड़कर “बैठो और चुपचाप पढ़ो” कहना अक्सर काम नहीं करता। अगर माता-पिता भी उनके साथ 10-15 मिनट बैठें, तो बच्चों को सहारा और प्रेरणा दोनों मिलते हैं।
विशेष – गर्मियों की छुट्टियों के बाद बच्चों का पढ़ाई में ध्यान लगाना एक प्रक्रिया है, न कि एक रात में हो जाने वाली बात। धैर्य, समझ और रचनात्मकता के साथ अगर बच्चों को पढ़ाई की दुनिया में दोबारा लाया जाए, तो वे न सिर्फ पढ़ाई को इंजॉय करने लगते हैं बल्कि आगे भी अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित होते हैं।