न्याजिया बेग़म
lyricist anand bakshi birthday: 1958 की फिल्म भला आदमी से लेकर सन 2002 की फिल्म मुझसे दोस्ती करोगे तक हमारे दिलों को छूने वाले गीतों को लिखने वाले अज़ीम नग़्मानिगार, आनंद बख्शी एक भारतीय कवि और गीतकार थे। उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए कुल 37 बार यानी सबसे अधिक नामांकित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 4 बार जीत हासिल हुई। आनंद बख्शी या (बख्शी आनंद प्रकाश वैद) का जन्म 21 जुलाई 1930 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत (अब पंजाब, पाकिस्तान में) के रावलपिंडी में वैद कबीले के एक मोहयाल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद परिवार दिल्ली पहुंचा और फिर पुणे , फिर मेरठ चला गया और अंततः फिर से दिल्ली में बस गया।
युवावस्था से ही कविता लिखने का शौक
बख्शी को युवावस्था से ही कविता लिखने का शौक था, लेकिन उन्होंने ये काम ज़्यादातर निजी शौक के तौर पर किया। 1983 में दूरदर्शन के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने बताया कि अपनी प्रारंभिक पढ़ाई के बाद, वो भारतीय नौसेना में शामिल हो गए थे, जहां समय की कमी के कारण वो कभी-कभार ही लिख पाते थे जब भी समय मिला, उन्होंने कविता लिखना जारी रखा और अपनी सेना से संबंधित स्थानीय कार्यक्रमों में अपने गीतों और बोलों का उपयोग करते रहे, कई वर्षों तक नौसेना में काम करने के बाद वो लेखन और गायन में नाम कमाने के लिए हिंदी फिल्मों में आये थे, लेकिन गीत लेखन में वो अधिक सफल हो गये जब उन्हें गीतकार के रूप में बृज मोहन की (1958) में बनी फिल्म ‘ भला आदमी’ में गाने लिखने का मौका मिला, जिसमें भगवान दादा ने अभिनय किया था । इस फिल्म में उन्होंने चार गाने लिखे. इस फिल्म में उनका पहला गाना “धरती के लाल ना कर इतना मलाल” था जिसे 9 नवंबर 1956 को (ऑल इंडिया रेडियो इंटरव्यू के ज़रिए उनकी अपनी आवाज में) रिकॉर्ड किया गया था।
1956 के बाद से कुछ फिल्मों के लिए लिखने के बाद, उन्हें 1962 में मेहंदी लगी मेरे हाथ से सफलता मिली और उसी साल उन्होंने 1962 की फिल्म काला समुंदर के लिए एक कव्वाली लिखकर अपनी एक और पहचान बनाई , यह गाना था “मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगे तुम” जो काफी मशहूर हुआ उसे एन.दत्ता ने संगीतबद्ध किया था । उन्हें असली बड़ी सफलता 1965 में हिमालय की गोद में से मिली , और 1965 में फिर से एक बड़ी सफलता सुपर-हिट फिल्म जब जब फूल खिले से मिली , जिसमें शशि कपूर ने अभिनय किया था और दोनों का संगीत कल्याणजी-आनंदजी ने दिया था; और एक बड़ी कमियाबी हासिल की 1967 में सुपर-हिट फिल्म मिलन के साथ। फिल्मों में उनके प्रवेश के एक दशक के भीतर इन छह हिट फिल्मों ने एक विशाल क्षमता वाले गीतकार के रूप में उनकी स्थिति को मज़बूत कर दिया।
राजेश खन्ना ने बख्शी को पसंदीदा गीतकार माना
राजेश खन्ना की मुख्य भूमिका वाली फिल्मों के लिए राजेश खन्ना ने बख्शी को पसंदीदा गीतकार माना था । उन्होंने अपने करियर में 4000 से अधिक गानों और 638 फिल्मों में गीतकार के रूप में काम किया। गायक के रूप में उन्हें पहला ब्रेक मोहन कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म – मोम की गुड़िया (1972) में मिला। उनका पहला गाना एक युगल गीत था – बागों में बहार आयी होठों पे पुकार आयी”, लता मंगेशकर के साथ , जिसमें संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था । उन्होंने उसी फिल्म का एकल गीत “मैं ढूंढ रहा था सपनों में” भी गाया,कुछ और फिल्मों में भी गाने गाए: जैसे महा चोर ,चरस और बालिका बधू और इनके गीतों के साथ ही खुद को एक बहुमुखी गीतकार के रूप में स्थापित किया। फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा में दम मारो दम ,इसके बाद उन्होंने बॉबी , अमर प्रेम , आराधना , जीने की राह , मेरा गांव मेरा देश , आए दिन बहार के , आया सावन झूम के , सीता और गीता , सहित कई फिल्मों में यादगार गीत लिखे तो वहीं नए ज़माने की तरफ क़दम रखते हुए धरम वीर , नगीना , लम्हे , हम , मोहरा , दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे , परदेस , हीर रांझा , दुश्मन , ताल , मोहब्बतें , गदर: एक प्रेम कथा , और यादें जैसी फिल्मों के लिए भी गीत लिखे जो सदाबहार हैं अपने बेमिसाल गीतों का खज़ाना हमारे नाम करके एक दिन आनंद बख्शी की कलम थम गई और 30 मार्च 2002 को 71 वर्ष की आयु में वो इस फानी दुनियां को अलविदा कह गए (उनकी मृत्यु के बाद) के गीतों वाली आखिरी रिलीज़ फिल्म थी, ‘ महबूबा’ , मुझसे दोस्ती करोगे! पर वो अपने दिलनशी नग़्मों के ज़रिए हमारे दिलों में हमेशा जवेदा रहेंगे।