DUSU Election : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव की घोषणा हो चुकी है। डूसू में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे वामपंथी संगठन इस साल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। संगठनों ने इंडी गठबंधन की तर्ज पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) से गठबंधन करने का अनुरोध किया था,
लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है और अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। डूसू पर लंबे समय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का कब्जा है। ऐसे में आम चुनाव में इंडी गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित वामपंथी संगठन गठबंधन बनाने की कोशिश में हैं।
छोटे संगठनों से गठबंधन की योजना (DUSU Election)
डूसू में प्रमुख वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) हैं। दोनों संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई के खिलाफ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए अपने उम्मीदवार उतारते रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों संगठन अन्य छोटे संगठनों से गठबंधन करने की योजना बना रहे हैं।
पिछली बार लड़े थे अलग-अलग चुनाव
पिछले साल तीन साल बाद हुए चुनाव में दोनों छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा। उन्हें नोटा से भी कम वोट मिले। अध्यक्ष पद के लिए आइसा को 3,335 वोट मिले। उनका उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा।
गठबंधन को लेकर चल रही चर्चा
इस स्थिति से बचने के लिए दोनों संगठन इस बार साथ आने की योजना बना रहे हैं। एसएफआई दिल्ली अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा, गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही है। हम साथ लड़ेंगे या नहीं, इस पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है।
आइसा महासचिव प्रसन्नजीत ने कहा, हम विचार कर रहे हैं और एनएसयूआई से बात करने की कोशिश की, लेकिन अभी तक बात फाइनल नहीं हुई है। एनएसयूआई दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा ने कहा, संगठन अकेले चुनाव लड़ेगा। हम किसी से गठबंधन नहीं कर रहे हैं। चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं और 15 सितंबर को उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।
27 सितंबर को मतदान होगा
आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति ने डूसू चुनाव से खुद को अलग कर लिया है। संगठन के प्रदेश सचिव कमल तिवारी ने कहा कि हमारा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है और हम डूसू चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। डीयू ने 27 सितंबर को डूसू के लिए चुनाव की घोषणा की है। 28 सितंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। डूसू में वामपंथी संगठनों को कभी जीत नहीं मिली है।
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