बसपा की सुप्रीमों और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तीसरे चरण के चुनाव के बाद बड़ा फैसला लिया उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपने उत्तराधिकारी और पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से हटा दिया है. 5 महीने पहले ही मायावती ने आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी थी. खुद मायावती ने आकाश आनंद को इतना आगे बढ़ाया सात साल तक राजनीति के गुण सिखाए और इस लोकसभा चुनाव में बड़े नेता के तौर पर उन्हें लॉन्च किया. अब अचानक से मायावती के इस फैसले से सियासी गलियारों में चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. हालांकि मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने यह फैसला पार्टी मूवमेंट और आकाश आनंद के हित में लिया है. आकाश को पूर्ण परिपक्वता आने तक इन दोनों अहम जिम्मेदारी से उन्हें मुक्त किया जाता है.
आकाश आनंद ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन X पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट से मायावती के कान खड़े हो गए। 41 दिन पहले 10 दिसंबर, 2023 को ही मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। लेकिन इस पोस्ट के बाद पहली बार वह चौंकीं। उन्हें लगा कि उत्तराधिकारी घोषित करने में जल्दबाजी कर दी.
इस ट्वीट के बाद से ही आकाश आनंद मायावती के नजर में आ गए, फिर क्या बसपा सुप्रीमों ने अपने विश्वास सूत्रों को आकाश पर नज़र बनाए रखने को कहा. इस बीच आकाश के ट्वविटर हैंडल से कोई विवादित पोस्ट नहीं आया. फिर तारीख आई 30 मार्च की बिजनौर में आकाश की पहली जनसभा से लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई. वह प्रचार करने लगे. एक मापदंड तैयार किया गया और यह निश्चय किया गया कि इसी के इर्द गिर्द पार्टी लाइन में रहकर चुनावी अभियान को अंजाम देना है. लेकिन 28 अप्रैल को आकाश एक बार फिर पार्टी लाइन के विरुद्ध जाकर बयान दिया।
इस बयान के बाद मायावती ने कड़ा रुख अपनाया और आकाश आनद की सभी रैलियां रद्द कर दी. पहले चरण में आकाश की 21 सभाएं प्लान की गई थीं. और हुईं सिर्फ 16. इसके बाद चुनावी सीन आकाश एकदम से गायब ही हो गए.
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा की ऐसा था तो पहले ही हटा देते। इसका भी उत्तर है हमारे पास मायावती ने जीस दिन आकाश की सभी सभाए रद्द की, कार्रवाही उसी दिन कर सकती थीं. लेकिन इसका तीसरे चरण की वोटिंग में सीधा असर न पड़े इसलिए इंतज़ार किया। जैसे ही 7 मई की वोटिंग हुई. रात साढ़े नौ बजे पोस्ट करके कहा- आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।
खैर आकाश आनंद पहले शक्स नहीं हैं जो मायावती की नाराजगी का शिकार हुए हों. इससे पहले मायावती आकाश के पिता आनंद कुमार पर भी एक्शन ले चुकी हैं. बड़बोले बयानों के चलते मायावती पार्टी प्रवक्ताओं को भी चुप करा चुकी हैं. मायावती को बड़बोलापन पसंद नहीं, आकाश को जिम्मेदारिओं से मुक्त करने के बाद मायावती ने यह संकेत दिया है कि उनके लिए परिवार नहीं पार्टी और मूवमेंट जरूरी है.
आकाश आनंद पर एक्शन लेने के पीछे कुछ कारण रहे अब उनपर बात कर लेते हैं. आकाश लगातार पार्टी लाइन क्रॉस कर रहे थे। वह खुद को मायावती से बड़ा दिखाने की कोशिश करने लगे थे। सूत्रों की माने तो- बसपा में सब कुछ मायावती डिसाइड करती हैं। उनको पसंद नहीं कि उनकी बात को कोई टाले या क्रॉस करे। अगर कोई ऐसा करता है, तो फिर वह नफा -नुकसान नहीं देखती, सीधे कार्रवाई करती हैं। आकाश लगातार ऐसा कर रहे थे। वह उनसे राय न लेकर खुद अपनी लाइन खड़ी करने लगे थे। राजनितिक पंडितों की माने तो- आकाश खुद को साबित करने के लिए यूपी में ज्यादा एक्टिव हो गए। इस चक्कर में वह लाइन क्रॉस कर गए, जो मायावती नहीं चाहती थीं। आकाश के किसी भी बयान को यूपी में मायावती से जोड़कर देखा जाता है।मायावती जानती हैं कि अगर सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले में चुनाव लड़ेंगे तो लोगों को बसपा को वोट देने में कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन आकाश रैलियों में सिर्फ दलित पर फोकस कर विवादित बयान दे रहे थे। इससे बसपा के फ्यूचर पर असर पड़ रहा था। इसीलिए आकाश को चुनाव से दूर कर दिया गया।