भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसा कई बार हुआ है जब राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पद में रहते हुए जेल जाना पड़ा है. कश्मीर के पीएम शेख अब्दुल्ला, आंध्रप्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू, तमिलनाडु की पूर्व मुख्य मंत्री जयललिता, हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला, झारखंड के मधु कोणा बिहार के जगन्नाथ मिश्रा और लालू प्रसाद यादव भी जेल गए और हाल ही में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भी जेल भेजे गए हैं. लेकिन इन सभी लोगों में एक चीज़ कॉमन है जो अरविंद केजरीवाल को इन सभी से अलग भी कर देती है. वो चीज़ है जेल से सरकार चलाना। ये भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है जब कोई मुख़्यमंत्री जेल से ही सरकार चला रहा है. बाकी अबतक जितने भी मुख्य मंत्री जेल गए उन्होंने इस्तीफा देकर अपने उत्तराधकारी को सीएम बना दिया। जैसे लालू प्रसाद यादव ने जेल जाने से पहले इस्तीफा देकर अपनी पत्नी को राज्य की कमान सौंप दी थी.
खैर केजरीवाल तिहाड़ जेल से सरकार चला रहे हैं. और यही बात भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है. पार्टी के लोग मांग कर रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल को अब दिल्ली सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, वैसे एक जमाना था जब खुद अरविंद केजरीवाल इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखते थे. केजरीवाल इस बात की वकालत करते थे कि अगर किसी पद में बैठे शख्स के खिलाफ जांच चल रही है तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। वैसे केजरीवाल के इस तरह के कई वीडियोस हैं जिनमे वो ये कहते दिखाई दे रहे हैं कि मैं तो जूती की नोक पर इस्तीफा रखकर चलता हूं. केजरीवाल पहले इतने ईमानदार नेता हुआ करते थे कि जनता के सामने आकर ये तक बोल देते थे कि अगर मैं कुछ गलत करूं तो मुझे भी जेल भेज देना।
हैरानी की बात ये है कि दिल्ली शराब निति घोटाला कांड में फंसने के बाद केजरीवाल ने अपने दिए हर उपदेश के उलट काम करना शुरू कर दिया। मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हुए तो बीजेपी को दोष दिया, खुद का नाम केस में फंसा तो भी केंद्र सरकार को दोष दिया, कोर्ट ने जेल भेजा तो भी केंद्र सरकार को दोष दिया और जब बात इस्तीफे पर आई तो अपनी जूती में इस्तीफा रखकर चलने वाले केजरीवाल ने जेल से ही सरकार चलाने का फैसला कर लिया।
जेल ही चलेगी सरकार
बहरहाल केजरीवाल का जेल से सरकार चलाना उनकी पार्टी का इंटरनल मामला है. कानून में ऐसा कुछ नहीं लिखा है कि कोई मुख्य मंत्री जेल में रहते हुए सरकार नहीं चला सकता, उसका इस्तीफा देना न देना उसकी मर्जी है जबतक की दोष सिद्ध न हो जाए. हालांकि जेल से सरकार चलाना व्यावहारिक रूप से अनुचित लगता है. आपको राज्य में चल रही गतिविधियों की पर्याप्त जानकारी नहीं मिल पाती है, आप अफसरों के साथ मीटिंग नहीं कर पाते हैं, सरकारी फाइलों को लाने-ले जाने के लिए कोर्ट से इजाजत मांगनी पड़ती है. और विशेष सुविधाओं के लिए LG से अनुमति लेनी पड़ती है. लेकिन अरविंद केजरीवाल इन तमाम दिक्कतों का सामना करने के लिए तैयार है मगर इस्तीफा देने के लिए कतई राजी नहीं हो रहे हैं.
तीसरी याचिका पर 50 हजार जुर्माना
केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर आम आदमी पार्टी के पूर्व MLA संदीप कुमार, दिल्ली हाईकोर्ट गए थे. जहां उनकी याचिका को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया गया कि जेल से सरकार चलाना कानूनी रूप से कोई गलत काम नहीं है. इसके बाद संदीप ने दोबारा याचिका लगाई और हाईकोर्ट ने इधर फटकार लगा दी. कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में जुडी तीसरी याचिका अदालत के सामने पेश हुई तो याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्मना लगा दिया जाएगा। यानी कानूनी रूप से अरविंद केजरीवाल से इस्तीफा नहीं लिया जा सकता। इस मामले को लेकर दिल्ली में भाजपाइयों ने प्रदर्शन किया तो दिल्ली पुलिस ने उनपर वॉटर केनन का इस्तेमाल किया गया और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया.
केजरीवाल के इस्तीफे को लेकर चल रही मांग के संबंध में हाल ही में बेल पर बाहर आए आप सांसद संजय सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल आज सीएम पद से इस्तीफा दे दें तो ये लोग आम आदमी पार्टी को ख़तम कर देंगे, हमारे मंत्री जेल चले जाएंगे, पंजाब के सीएम जेल चले जाएंगे फिर ये लोग उनसे भी इस्तीफा मांगने लगेंगे।
बात करें अरविंद केजरीवाल की कस्टडी को लेकर तो दिल्ली सीएम को अभी राहत मिलने की उम्मीद नहीं नज़र आ रही है. हाईकोर्ट ने ED के एक्शन को सही बताते हुए कहा है कि ED ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर कुछ गलत नहीं किया है उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए गए हैं. अब केजरीवाल अपनी गिरफ़्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.