Karnataka HC verdict: कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी मौजूदा CM सिद्धारमैया से स्तीफा मांग रही है। आपको बता दे कि 2011 में कांग्रेस भी इसी तरह भूमि घोटाले में फंसे तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का इस्तीफा मांग रही थी. तब येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था. बड़ा सवाल है कि क्या सिद्धारमैया का हाल ही भी येदियुरप्पा जैसा ही होगा?
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे है। राज्यपाल के बाद अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी कह दिया है कि मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) जमीन घोटाले की जांच होनी चाहिए. सिद्धारमैया और उनकी पत्नी इस केस में आरोपी हैं. दोनों पर फर्जी कागजात लगाकर मुआवजा लेने का आरोप है.
येदियुरप्पा जैसा केस का पैटर्न
आपको बता दे कि 2011 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे बीएस येदियुरप्पा. अवैध खनन घोटाले में घिरे येदियुरप्पा पर कर्नाटक के दो वकीलों ने कथित भूमि घोटाला का आरोप लगाया. यह भूमि राजधानी बेंगलुरु के आसपास की थी. दोनों वकीलों ने राज्यपाल और लोकायुक्त को इसके लिए पत्र लिखा.उस वक्त राज्यपाल थे कांग्रेस के हंसराज भारद्वाज. भारद्वाज ने तुरंत ही केस चलाने और जांच करने की परमिशन दे दी. उनके इस फैसले पर सवाल भी उठे.
हालांकि, राज्यपाल से परमिशन मिलने के बाद लोकायुक्त ने येदियुरप्पा के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी लोकायुक्त की तरफ से पहले येदियुरप्पा के खिलाफ वारंट निकाला गया और फिर उनकी जमानत खारिज कर दी गई.जेल जाने की नौबत देख येदियुरप्पा सियासी तौर पर बैकफुट पर आ गए. बीजेपी हाईकमान के कहने पर उन्होंने सीएम की कुर्सी छोड़ दी. अक्तूबर 2011 में येदियुरप्पा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. वे करीब एक महीने तक जेल में रहे.
पार्टी के भीतर की कलह
2023 में जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तब सिद्धारमैया के साथ-साथ डीके शिवकुमार भी सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी दी गई. ऐसे में अब जिस तरह की राजनीतिक परिस्थितियां कर्नाटक में बनती दिख रही है, उससे शिवकुमार की दावेदारी फिर से सामने आ सकती है.
हालांकि, यह सब जांच एजेंसी की कार्रवाई पर तय होगा. जांच एजेंसी अगर सिद्धारमैया को गिरफ्तार करती है तो उनके लिए सीएम की कुर्सी बचाए रखना मुश्किल हो सकता है.
सर्वोच्च अदालत पर नजर
सिद्धारमैया हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में इसके संकेत भी दिए हैं. हाईकोर्ट ने उन्हें आज दोपहर 2 बजे तक आदेश देने की बात कही है.
सिद्धारमैया की दलील है कि राज्यपाल ने जो आदेश दिए हैं, वो संविधान के दायरे से बाहर जाकर दिए हैं. ऐसे आदेश नहीं दिए जा सकते हैं. दरअसल, राज्यपाल ने कैबिनेट की सिफारिश नहीं मिलने के बावजूद मुडा स्कैम में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे.
क्या है मुडा स्कैम ?
कर्नाटक में मुडा स्कैम की गूंज इसी साल जुलाई में सुनाई दी है. बीजेपी के आरोप के मुताबिक कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी ने मैसूर शहरी प्राधिकरण से मिलने वाली जमीन के मुआवजे का गलत तरीके से लाभ लिया.
आरोप के मुताबिक मैसूर शहरी प्राधिकरण उन लोगों को जमीन या मुआवजे का लाभ देता है, जिनकी जमीम विकास के लिए ली जाती है. सिद्धारमैया की पत्नी ने जाली दस्तावेज के जरिए 55.8 करोड़ रुपये की जमीन हासिल की.
इस काम में मुख्यमंत्री ने भी पत्नी की मदद की. वहीं सिद्धारमैया का कहना है कि यह मामला बीजेपी सरकार के वक्त का है. ऐसे में पद का कोई दुरुपयोग मैंने नहीं किया है. बीजेपी राजनीतिक आरोप लगा रही है.
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