Javed Akhtar Statement On Ram Mandir: रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) की फिल्म एनिमल (Javed Akhtar Statement On Animal) में औरतों के साथ किए गए दुर्व्यवहार पर बोलने के बाद हिंदी फिल्मों के गीतकार और कवी जावेद अख्तर का एक और स्टेटमेंट सामने आया है. उन्होंने राम मंदिर के विषय में एक बयान दिया है, जिसमें उनका कहना है कि, “अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट ने ही फैसला दिया है कि अयोध्या में मंदिर बनना चाहिए, फिर इस पर हंगामा करने का कोई मतलब नहीं है। यह दुनिया का सबसे बड़ा उत्सव है। जश्न मनाने में कोई बुराई नहीं है।”
दरअसल, हाल ही में वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए अजंता-एलोरा फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे थे. जहां जावेद अख्तर ने राम मंदिर, उर्दू भाषा और अजंता-एलोरा की गुफाओं के बारे में काफी कुछ कहा था. जिसके बारे में आज हम आपको इस आर्टिकल से बताएंगे। तो चलिए आपको बताते हैं.
यह भी पढ़े: https://shabdsanchi.com/bollywood-celebrities-have-been-invited-for-the-inauguration-of-ram-temple/
जावेद अख्तर ने उर्दू भाषा पर क्या कहा?
जब जावेद अख्तर से ये सवाल किया गया कि उर्दू को धर्मनिरपेक्ष भाषा माना जाता है। आज की स्थिति के बारे में आप क्या सोचते हैं? तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, “उर्दू कभी भी मौलवियों की भाषा नहीं थी। 1798 में जब कुरान का अनुवाद किया गया तो मौलवियों ने इसके खिलाफ फतवा जारी कर दिया। उन्होंने इसे घटिया भाषा तक करार दे दिया। मौलवियों ने आपत्ति जताई कि पवित्र कुरान को ऐसी भाषा कैसे दी जा सकती है, लेकिन यह शुरू से ही व्यापक विचारधारा वाले, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील लोगों की भाषा है। यह भाषा पंजाब, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश में बोली और लिखी जाती है। यह एक ऐसी भाषा है जो पहले दिन से ही प्राचीन रीति-रिवाजों का खंडन करती है, लेकिन कुछ लोग मुसलमानों से नफरत करते हैं, इसलिए इस भाषा को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। यह किसी धर्म की नहीं बल्कि क्षेत्र की भाषा है।
जावेद अख्तर ने कहा, “मैं एक बूंद भी…”
जावेद अख्तर एक कवी होने के साथ-साथ लेखक भी हैं. इन्होंने सिनेमा जगत को अपने लेखन से एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं. जैसे कि शोले, जादूगर, डॉन आदि. इसी बीच उनसे एक और सवाल किया गया कि ऐसा क्यों है कि कला जगत के लोग विशेषकर अधिकांश शायर शराबी होते हैं? तो इस पर उन्होंने कहा कि “अधिकांश शायर लोग शराबी हो सकते हैं, लेकिन मैं एक बूंद भी नहीं पीता। बहुत से लोग बिना शायर हुए ही शराब पीते हैं। यह एक गंभीर समस्या है। गांवों और शहरों में शराब की वजह से बहुत से लोग मर जाते हैं। क्या ये सभी कवि हैं? ऐसा कुछ भी नहीं है।”
अजंता की मूर्तियां देखना चाहते हैं जावेद
इसके बाद जावेद अख्तर से आखरी सवाल पूछा गया की क्या आपने आफरीन गाने कि लाइन जिस्म अजंता की मूरत जैसा कोई..अजंता की गुफाएं देखकर लिखीं हैं? तो इस पर बड़ा ही अच्छा उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि, जब मैंने ये लाइनें लिखीं, तब तक अजंता-एलोरा की गुफाएं नहीं देखी थीं। ये लाइनें मैंने तस्वीरें देखकर लिखी हैं। मैंने पहली बार एलोरा की गुफाओं को देखा और अवाक रह गया। ये मूर्तियां 600 सालों से कई पीढ़ियों द्वारा बनाई गई हैं। कैसा जुनून होगा उन लोगों में, जिन्होंने इतनी असाधारण सुंदरता को मूर्त रूप दिया। मैं इस बात से आश्चर्यचकित हूं कि उन्होंने किस तरह से उन मूर्तियों को आकार दिया है। अब मैं अजंता की मूर्तियां भी देखना चाहूंगा।’