MP: हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी ने अनपढ़, आदिवासी होने की वजह से किया रेप

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Jabalpur High Court News: यह मामला खंडवा जिले के 30-31 अक्टूबर 2022 की रात का है। चार साल की बच्ची अपनी झोपड़ी में सो रही थी, जब वह अचानक गायब हो गई। जांच में राजकुमार का मोबाइल सर्विलांस पर डाला गया, जिससे उसकी लोकेशन मिली और उसे गिरफ्तार किया गया। उसने बच्ची को सुनसान जगह पर ले जाकर रेप किया।

Jabalpur High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने 4 साल की बच्ची से रेप के दोषी राजकुमार की फांसी की सजा को 25 साल के कारावास में बदल दिया है। जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने कहा कि दोषी निरक्षर और आदिवासी पृष्ठभूमि से है, और बचपन में शिक्षा के अभाव में उसने यह अपराध किया।

30-31 अक्टूबर 2022 की रात की घटना

यह मामला खंडवा जिले के 30-31 अक्टूबर 2022 की रात का है। चार साल की बच्ची अपनी झोपड़ी में सो रही थी, जब वह अचानक गायब हो गई। परिजनों ने तलाश शुरू की तो वह घर के पास आम के बगीचे में मरणासन्न हालत में मिली। प्राथमिक उपचार के बाद उसे इंदौर रेफर किया गया, जहां लंबे इलाज से उसकी जान बची।

पुलिस की कार्रवाई और ट्रायल कोर्ट का फैसला

पुलिस ने 24 घंटे के भीतर आरोपी राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया। अप्रैल 2023 में ट्रायल कोर्ट ने रेप और हत्या के प्रयास के आरोप में उसे फांसी की सजा सुनाई। राजकुमार (20) खालवा का रहने वाला था और जसवाड़ी रोड पर राजपूत ढाबे में काम करता था। उसने बच्ची को सुनसान जगह पर ले जाकर रेप किया, फिर हत्या की नीयत से उसका गला घोंटा और मरा समझकर झाड़ियों में फेंक दिया।

स्निफर डॉग की मदद से बच्ची को ढूंढा

परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने स्निफर डॉग की मदद से बच्ची को ढूंढा। जांच में राजकुमार का मोबाइल सर्विलांस पर डाला गया, जिससे उसकी लोकेशन मिली और उसे गिरफ्तार किया गया। उसने अपराध कबूल करते हुए बच्ची की लोकेशन बताई, जहां से उसे जिंदा बरामद किया गया।

डीएनए रिपोर्ट के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं

ट्रायल कोर्ट में बचाव पक्ष ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं है। हालांकि, पुलिस ने डीएनए को वैज्ञानिक साक्ष्य मानते हुए दोष सिद्ध किया।

हाईकोर्ट ने कहा- फांसी की सजा उचित नहीं

हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि बच्ची से रेप और हत्या का प्रयास क्रूर कृत्य है, लेकिन दोषी की पारिवारिक पृष्ठभूमि और गलत संगत को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा उचित नहीं है। इसलिए, सजा को 25 साल के कठोर कारावास में बदला गया।

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