Israel Hamas war: क्यों कहा नेतन्याहू ने कि थोड़े समय के लिए रोक सकते हैं जंग?

Israel Hamas war

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फ़ोन पर बातचीत कर इजराइल हमास युद्ध में ‘टेक्निकल पॉज’ की संभावनाओं पर चर्चा की. गाजा में मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए ले सकते हैं विराम।

क्या हुई दोनों राजनेताओं के बिच बात?

फ़ोन पर दोनों नेताओं ने हमास के बंधक बनाए गए बच्चों और कई अमेरकी नागरिकों के रिहाई को लेकर की जा रही कोशिशों पर भी बातचीत की. राष्ट्रपति बाइडेन ने इजराइल और हमास के बिच जारी जंग से इज़राइली नागरिकों की सुरक्षा के बात को भी दोहराया। उन्होंने साथ ही फिलिस्तनी नागरिकों की सुरक्षा और युद्ध में लोगों को होने वाले नुकसान को कम करने की आवश्यकता पर भी बात की. दोनों नेताओं ने युद्ध के इलाकों में फंसे नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के साथ ही जरूरतमंदों तक मदद पहुँचाने पर भी चर्चा की.

युद्धवीराम के लिए साफ़ मना कर चुके हैं नेतन्याहू

रीडआउट में नहीं बताया कि इसपर नेतन्याहू ने क्या जवाब दिया। हालाँकि, वे पहले ही युद्धविराम के लिए मना कर चुके हैं. द गार्जियन की लाइव रिपोर्ट में बताया गया कि नेतन्याहू ने युद्ध को लेकर पहले ही मना कर दिया है और कहा है कि युद्ध खत्म होने के बाद गाजा पर अनिश्चित काल के लिए साशन करेंगे।

इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से एक इंटरव्यू में जब सवाल पूछ गया कि युद्ध खत्म होने के बाद गाज़ा पर किसका साशन होगा तो उन्होंने इसके जवाब में बताया कि इजराइल के पास अनिश्चित समय के लिए गाज़ा की पूरी सुरक्षा जिम्मेदारी हो सकती है. वे आगे बोले, सभी ने देखा भी है कि अगर ये जिम्मेदारी हमारी नहीं होती तो क्या होता। उन्होंने कहा, कि उनके पास सुरक्षा जिम्मेदारियां नहीं होने के करण ही हमास ने इतना बड़ा हमाल किया, जिसके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

इजराइल पर हुए हमले के एक महीने होगये हैं. इसी मौके पर आज इज़राइली लोग जेरूसेलम में इकट्ठा हुए और यहाँ 7 अक्टूबर को हुए हमले में मारे गए 1400 लोगों के लिए मोमबत्तियां जलाई। वहीँ, दूसरी तरफ फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया की इजराइल हमास के इस युद्ध में अबतक 10,022 फिलिस्तीनी लोग मारे जा चुके हैं. इनमे से 4,104 सिर्फ बच्चे हैं.

वहीँ, फिलिस्तानी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र (UN) एजेंसी, UNRWA के 88 कर्मचारियों ने भी इस युद्ध में अपनी जान गवाई है.

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