Aurangzeb tomb news: मुग़ल बादशाह औरंगजेब को लेकर सियासत हमेशा ही गरम रहती है, जबसे फिल्म छावा आई है यह तब से यह और भी तेज हो गई है। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में मुग़ल बादशाह औरंगजेब की कब्र स्थित है, जिसे गिराए जाने की मांग की जा रही है। जिसे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का भी समर्थन मिल रहा है। जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में यह मामला तूल पकड़ने लगा है।
क्या बोले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा – मुझे और सबको भी लगता है औरंगजेब की कब्र को ढहा दिया जाए, लेकिन कुछ काम कानून के दायरे में रहकर किए जाते हैं, क्योंकि उस कब्र को संरक्षण मिला हुआ है, कांग्रेस के कार्यकाल में औरंगजेब की कब्र को भारतीय पुरातत्व संरक्षण मिला हुआ है, मुख्यमंत्री के बयान के बाद कई बीजेपी नेताओं द्वारा भी ऐसी मांगे की जाने लगी है, जिसके बाद यह सवाल उठना लाज़मी है, क्या औरंगजेब की कब्र गिरने वाली है।
अबू आजमी के बयान से हुई विवाद की शुरुआत
औरंगजेब पर ताज़ा विवाद अबू आजमी के बयान से शुरू हुआ, जब 3 मार्च को अबू आजमी ने औरंजेब की तारीफ की थी। उन्होंने अपने बयान में कहा था, औरंगजेब कोई क्रूर बादशाह नहीं था, बल्कि उसने कई मंदिरों का निर्माण करवाया था, उनके इस दावे भरे बयान के बाद खूब राजनैतिक विवाद हुआ और उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र तक के लिए निलंबित कर दिया गया है।
शिवाजी राजे के वंशज ने की मांग
अबू आजमी के इस बयान के बाद 7 मार्च को शिवाजी महाराज के वंशज सतारा राजपरिवार के सदस्य और बीजेपी से सांसद उदयनराजे भोंसले ने औरंगजेब के मकाबरे को ढहाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था- जो लोग औरंगजेब की कब्र में जाते हैं, उसे श्रद्धांजलि देते हैं, उन्हें उस कब्र को अपने घर ले जाना चाहिए, लेकिन औरंजेब का महिमा मंडन और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, वह एक लूटेरा था।
उन्होंने औरंगजेब की कब्र जेसीबी मशीन भेज कर ढहा देने की मांग की, बता दें महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने भी इससे पहले कब्र ढहाने की मांग की थी,
कौन था औरंगजेब
औरंगजेब 6 वां मुग़ल बादशाह था, जिसने 31 जुलाई 1658 से लेकर 3 मार्च 1707 तक अपनी मृत्युपर्यंत लगभग 49 वर्षों तक हिंदुस्तान का शासक रहा, एक लंबे पारिवारिक संघर्ष के बाद उसने अपने भाइयों को युद्ध में पराजित करने के बाद अपने भाइयों की हत्या करवाई और पिता को कैद करके वह शासक बना था। अपने पूर्ववर्ती शासकों की अपेक्षाकृत वह कम सहिष्णु था, उसके समय में हिंदुओं पर जजिया कर पुनः लगाया गया था, कई मंदिर भी तोड़े गए थे। इसके अलावा औरंगजेब का शासनकाल विद्रोहों का काल माना जाता है, उसके राज में बहुत ही विद्रोह हुए, जिनसे वह अंत तक जूझता रहा, दक्कन में मराठों के विरुद्ध उसने एक दीर्घ अभियान की शुरुआत की थी, जहाँ उसकी मृत्यु भी हुई, उसकी इच्छानुसार उसे खुल्दाबाद में उसके गुरु ख्वाजा सैय्यद जैनुद्दीन के मकाबरे में बहुत सादगी से दफनाया गया था। अपनी मृत्यु के इतनों वर्षों बाद भी वह राजनीति का हॉट टॉपिक बना हुआ है।