Salwan Momika Murder : इराकी कुरान जलाने वाले Salwan Momika की गोली मारकर हत्या, जाने कौन था सलवान मोमिका ?

Salwan Momika Murder : इराकी कुरान जलाने वाले सलवान मोमिका की स्वीडन में गोली मारकर हत्या कर दी गई है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, सलवान मोमिका को सोडरतालजे के होव्सजो में गोली मारी गई। गोलीबारी की सूचना मिलने के बाद स्वीडिश अधिकारी मौके पर पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सलवान की हत्या का वीडियो कथित तौर पर सीसीटीवी में कैद हो गया है, क्योंकि बताया जा रहा है कि वह गोलीबारी से कुछ देर पहले लाइव-स्ट्रीम पर आया था। वहां की पुलिस ने पुष्टि की है कि मृतक सलवान मोमिका (38) है।

इराकी कुरान जलाने वाला सलवान कौन था? who was Salwan Momika

इराक निवासी सलवान मोमिका इस्लामी विचारों और मान्यताओं का आलोचक है। मोमिका ने कहा कि वह स्वीडन के नाटो में शामिल होने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इस्लाम का विरोध करने के लिए कुरान जलाना चाहता था। कुरान जलाने से पहले उसने कहा था, स्वीडन जागो। यह लोकतंत्र है। मोमिका द्वारा कुरान जलाने के बाद कई मुस्लिम देशों ने इसकी कड़ी निंदा की थी।

कुरान जलाने की अनुमति क्यों दी गई? Salwan Momika Murder

आपको बता दें, स्वीडन पुलिस ने कुरान जलाने की अनुमति ऐसे समय में दी है, जब महज 2 हफ्ते पहले स्वीडिश अपील कोर्ट ने कुरान जलाने पर पुलिस की रोक को खारिज कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने स्टॉकहोम में इराक दूतावास के बाहर कुरान जलाने की अपील को खारिज कर दिया था। इसके बाद लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले फरवरी में भी पुलिस ने इराक दूतावास के बाहर कुरान जलाने पर रोक लगाई थी। इसके पीछे वजह बताई गई थी कि इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है।

सालवान मोमिका 2018 में इराक से स्वीडन पहुंचे

खुद को एक्टिविस्ट कहने वाले सालवान मोमिका इराक के रहने वाले थे। उन्होंने 2018 में इराक छोड़कर दूसरे देश में शरण ली थी। उन्होंने 2023 में कई मौकों पर कुरान जलाकर इस्लाम के खिलाफ विरोध जताया। पिछले साल सितंबर में स्वीडन के माल्मो शहर में भी हिंसा भड़क उठी थी, जब लोग उन्हें कुरान जलाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे।

शरण के लिए दिए गए फर्जी दस्तावेज | Salwan Momika Murder

स्वीडन के खिलाफ मुस्लिम देश तब विरोध कर रहे थे, जब उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सालवान मोमिका जैसे लोगों द्वारा कुरान जलाने को सही ठहराया था। स्वीडिश पुलिस ने भी उनके खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए आरोप पत्र दाखिल किया था। स्वीडन ने बाद में कहा कि उन्होंने शरण लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा किए थे। बाद में वे नॉर्वे चले गए

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