Indore News: प्रशासन ने तय किया है कि शहर में कहीं भी भिक्षावृत्ति की सटीक सूचना देने वाले को 1000 रुपये का इनाम दिया जाएगा। सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर शिवम वर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए विस्तृत रणनीति तैयार की गई। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि शहर में कहीं भी भिक्षावृत्ति दोबारा शुरू न हो, इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
Indore News in Hindi: इंदौर, जो लगातार स्वच्छता में नंबर वन शहर बना हुआ है, अब देश का पहला भिक्षुक मुक्त शहर भी है। इस पहचान को बनाए रखने के लिए कलेक्टर शिवम वर्मा ने भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान को और सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने तय किया है कि शहर में कहीं भी भिक्षावृत्ति की सटीक सूचना देने वाले को 1000 रुपये का इनाम दिया जाएगा।
सख्त रणनीति के साथ अभियान
सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में कलेक्टर शिवम वर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए विस्तृत रणनीति तैयार की गई। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि शहर में कहीं भी भिक्षावृत्ति दोबारा शुरू न हो, इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा,
“इंदौर की स्वच्छता के साथ सामाजिक स्वच्छता भी हमारी प्राथमिकता है। भिक्षुक मुक्त इंदौर एक संवेदनशील और आत्मनिर्भर समाज की दिशा में बड़ा कदम है।”
प्रमुख स्थानों पर विशेष निगरानी
बड़ा गणपति, रेलवे स्टेशन, सत्य साईं चौराहा, प्रमुख मठ-मंदिरों, आश्रमों और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। भिक्षावृत्ति की सूचना के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। सटीक सूचना देने पर 1000 रुपये का इनाम दिया जाएगा।
पुनर्वास के लिए रेस्क्यू टीम का गठन
भिक्षुकों के पुनर्वास और सहायता के लिए जिला प्रशासन ने महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम, होमगार्ड, श्रम विभाग, राजकीय बाल संरक्षण आश्रम और विशेष पुलिस किशोर इकाई के अधिकारियों को शामिल कर विशेष रेस्क्यू टीमें बनाई हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि दो-तीन टीमें शहर में लगातार कार्रवाई करें ताकि भिक्षावृत्ति पूरी तरह रोकी जाए। साथ ही, भिक्षावृत्ति करने वालों को आजीविका से जोड़ने की योजनाएं भी बनाई जाएं।
विशेष दिशा-निर्देश
- रेस्क्यू टीमें यह सुनिश्चित करें कि पूर्व में भिक्षावृत्ति छोड़ चुके लोग दोबारा इस ओर न लौटें।
- नशे में संलिप्त किशोर और युवाओं, जो आपराधिक प्रवृत्ति के हैं, को सुधार गृह भेजकर काउंसलिंग की जाए।
- सार्वजनिक स्थानों पर “बच्चों को भीख नहीं, सीख दीजिए” और “आओ मिलकर भिक्षावृत्ति मुक्त इंदौर बनाएं” जैसे संदेश लिखे जाएं।
- गलियों और चौराहों पर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाए, जिसमें छात्र-छात्राएं और सामाजिक संस्थाएं शामिल हों।
800 भिक्षुकों का पुनर्वास
राजकीय बाल संरक्षण आश्रम के सुपरिटेंडेंट दिनेश मिश्रा ने बताया कि इंदौर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए चलाए गए विशेष अभियान में 6500 से अधिक भिक्षुकों की पहचान की गई। इनमें बच्चे, किशोर, युवा, वृद्ध और बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं। अभियान के तहत 4500 लोगों को रेस्क्यू किया गया, जिसमें से 800 का पुनर्वास किया गया। इनमें 115 बच्चे और किशोर थे। 172 बच्चों को विभिन्न स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया।