Indira Gandhi:भारत की आयरन लेडी के कुछ दिलचस्प किस्से

Indira Gandhi : आज 19 नवंबर को पूरा देश इंदिरा गाँधी को याद कर रहा है . पिता के राजनीति में प्रवेश के बाद नन्ही इंदिरा को 3 – 4 वर्ष की उम्र से ही घर में राजनितिक माहौल मिला . महात्मा गाँधी भी उनके घर इलाहाबाद आते थे . काफी कम लोग जानते है कि इंदिरा गाँधी ने बचपन में ही अपनी एक सेना बना ली थी .

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19 November History in Hindi: आज 19 नवंबर को भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्मदिन है . इंदिरा गाँधी भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिनका व्यक्तित्व हमेशा चर्चा में रहा .

पार्टी के अलावा विपक्ष के लोग भी उनका नाम बड़े ही सम्मान के साथ लेते रहे हैं . बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने कई ऐसे अहम फैसले लिए जिनकी वजह से उन्हें ‘आयरन लेडी ‘ कहा गया . आपको बता दे की मोरारजी देसाई ने उन्हें गूगीं गुड़िया कहा था .

इलाहाबाद में जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर 19 नवंबर 1917 को बेटी का जन्म हुआ . . उनके दादा मोतीलाल नेहरू ने इंदिरा नाम रखा और पिता ने उनके सलोने रूप के कारण उसमें प्रियदर्शिनी भी जोड़ दिया. फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली.

बचपन में बनाई वानर सेना

इंदिरा गाँधी 11 वर्ष की हो चुकी थी . उस समय कमला नेहरू की तबीयत खराब रहती थी . इंदिरा बचपन से निडर स्वभाव की थी. वह भी अपने पिता और दादा जी की तरह देश सेवा करना चाहती थी , पर एक अबोध बालिका समझकर किसी ने भी उनका हौसला नहीं बढ़ाया .

वह इससे बिल्कुल भी हतोत्साहित न हुईं. उन्होंने आस-पास के बच्चों को बुलाकर एक भाषण दिया. इंदिरा ने तय किया वे बच्चों की सहायता से एक संगठन तैयार करेंगी. उन्होंने आस-पास के साहसी बच्चों को इकट्ठा करके एक संगठन बनाया और इसका नाम रखा गया ‘वानर सेना’.

मजेदार बात यह थी कि जल्द ही करीब 6000 बच्चों ने इसकी सदस्यता ग्रहण कर ली थी . वानर सेना कांग्रेस के लिए काम करने लगी . बच्चे कांग्रेस के पर्चे बांटते और घायलों की सहायता करते .यह अंग्रेजों का दौर था. यह सब देखकर जवाहरलाल को लगा कि इंदिरा देश के माहौल के हिसाब से स्वयं को तैयार कर रही हैं. इंदिरा का बचपन बीत रहा था और राजनीतिक हलचल बढ़ती जा रही थी. खाली समय में वह चरखा चलाती थी. 

कई फैसलों पर होती है आलोचना

आपको बता दे कि सियासत की माहिर इंदिरा के कुछ फैसले विवादित भी रहे. प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सिफारिश पर देश में लगाए गए आपातकाल को उन्हीं फैसलों में गिना जाता हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपनी सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा. एक अन्य विवादित फैसला उनकी मौत की वजह बना. जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई के बाद उनके अपने सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी.

इन फैसलों को आज भी याद करता है देश

बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969)

19 जुलाई, 1969 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया। यह अध्यादेश देश के 14 निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए था। इन 14 बैंकों में देश का करीब 70 फीसदी जमा था।

अध्यादेश पारित होने के बाद इन बैंकों का मालिकाना हक सरकार के पास चला गया। ऐसा आर्थिक समानता को बढ़ावा देने के लिए किया गया। इस अध्यादेश को बैंकिंग कंपनी था। उसके बाद इसी नाम से एक कानून आया।

पाकिस्तान के दो टुकड़े (1971)

इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को ऐसा जख्म दिया है जिसकी टीस हमेशा उसको महसूस होती रहेगी। पाकिस्तान के लिए यह जख्म 1971 के बांग्लादेश युद्ध के रूप में था जिसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए।

पाकिस्तान के सैन्य शासन ने पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों पर जुल्म की इंतहा कर दी थी। उसके नतीजे में करीब 1 करोड़ शरणार्थी भागकर भारत में चले आए थे। बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई बल्कि उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी बनाया था।

ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)

जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक भारत का बंटवारा करवाना चाहते थे। उनलोगों की मांग थी कि पंजाबियों के लिए अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाया जाए। भिंडरावाले के साथी गोल्डन टेंपल में छिपे हुए थे।

उन आतंकियों को मार गिराने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ चलाए थे। इस ऑपरेशन में भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया गया। साथ ही कुछ आम नागरिक भी मारे गए थे। बाद में इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

ऑपरेशन मेघदूत

1984 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था और पाकिस्तान की कब्र खोदी थी। इस ऑपरेशन की मंजूरी इंदिरा गांधी ने ही दी थी। दरअसल पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी जिसकी जानकारी भारत को लग गई। भारत ने उससे पहले सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई और इस ऑपरेशन का कोड नाम ‘ऑपरेशन मेघदूत’ था।

1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण

18 मई, 1974 भारतीय इतिहास का अहम दिन था। इसी दिन भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरत में डाल दिया था। इस ऑपरेशन का नाम स्माइलिंग बुद्धा था।

यह भी देखें :https://youtu.be/dcIsUOFK9u4?si=Jlre-jwM1GXysYUp

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