Indian Army Day 2024: 15 जनवरी, ये दिन है देश के अभिमान, देश की शान भारत के वीर सपूतों का। आज के दिन हम याद करते हैं अपने सेना के पराक्रम को,अदम्य साहस को,उनकी वीरता को. हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है, जो देश की सुरक्षा को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहती है. जंग के मैदान में दुश्मनों को धूल चटाना हो, देश में किसी बड़ी त्रासदी आने के बाद रेस्क्यू करना हो या आपात स्थिति में जल्द से जल्द जरूरतमंद लोगों के पास मदद पहुंचानी हो, हर वक्त, हर परिस्थिति में देश के जवान अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. इस दिन देश की वीरता,शौर्य और कुर्बानियों को याद किया जाता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि भारतीय सेना दिवस मनाने की तिथि 15 जनवरी ही क्यों रखी गई? आखिर भारतीय सेना दिवस को मनाने की शुरुआत कब से हुई? नहीं न, तो आइये हम बताते हैं आपको।
के एम करियप्पा (K.M Cariyappa) का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटका में हुआ था और उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा माडीकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में ली थी. साल 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
साल 1953 में जब के एम रिटायर हुए तो उन्होंने रिटायरमेंट के बाद न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बतौर हाई कमिश्नर काम किया। वे यूनाइटेड किंगडम स्थित Camberly के इम्पीरियल डिफेन्स कॉलेज में ट्रेनिंग लेने वाले पहले भारतीय थे. ऐसा बताया जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उनके पिता से डर था लेकिन जनरल करियप्पा के सम्बन्ध नेहरू और इंदिरा से काफी अच्छे थे.
बात 1965 के भारत-पाक युद्ध की है। युद्ध का आखिरी दिन था और उसी दिन स्क्वाड्रन लीडर केसी करियप्पा, जो की के एम करियप्पा (K.M Cariyappa) के बेटे थे और एएस सहगल और कुक्के सुरेश को पाकिस्तानी ठिकानों पर बमबारी करने को कहा गया. लेकिन जैसे ही बमबारी का पहला चक्कर शुरू हुआ कि पाकिस्तानी सैनिकों ने एंटी एयरक्राफ्ट गन से एएस सहगल के विमान पर हमला कर दिया। हालांकि इस हमले में एएस सहगल तो बच गए लेकिन उन्हें वापस बेस कैंप जाना पड़ा था. सहगल के कैम्प लौटने के बाद जंग के मैदान में केसी करियप्पा और कुक्के डटे रहे और अपने दुश्मनों के ठिकानों को तहस-नहस करने में जुटे रहे. लेकिन ,करियप्पा का विमान लगातार पाकिस्तानी गोलियों का शिकार होता रहा. कुछ ही देर बाद करियप्पा का विमान क्षतिग्रस्त होगया और आग के गोलों की तरह पाकिस्तानी इलाके में जा गिरा। गिरने के बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेरकर हिरासत में ले लिया।
पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान को जैसे ही यह पता चला कि इस घटना में केएम करियप्पा (K.M Cariyappa) के बेटे को पाकिस्तानी सैनिकों ने हिरासत में ले लिया है तो उन्होंने तुरंत रेडियो से अनाउंसमेंट करा दी कि केएम करियप्पा (K.M Cariyappa) के बेटे को सेना ने हिरासत में ले लिया गया है. उन्होंने भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त के जरिये केएम करियप्पा तक जानकारी पहुंचाई कि यदि वे चाहे तो उनके उनके बेटे को छोड़ा जा सकता है लेकिन अपने उसूलों के पक्के केएम करियप्पा ने इससे साफ़ मना कर दिया। उन्होंने कहा केसी करियप्पा केवल मेरा नहीं ये सम्पूर्ण देश का बेटा है अतः उसके साथ भी अन्य युद्धबंदियों जैसा ही व्यवहार किया जाए. अगर उन्हें उसे छोड़ना है तो फिर अन्य युद्धबंदियों को भी छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि सारे युद्धबंदी मेरे बेटे जैसे हैं. उसमे मेरा बेटा कोई खास नहीं है.