India-US Trade Deal जल्द होगी फाइनल, Tariff 15-16% तक कम हो जाएगा

India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चली आ रही ट्रेड डील (India-US Trade Deal) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। 22 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापक ट्रेड समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है, जिसमें अमेरिका भारतीय निर्यात पर टैरिफ (Tariffs Reduction) को मौजूदा 50% से घटाकर 15-16% करने पर सहमत हो सकता है। यह जानकारी मिंट (Mint Report) ने दी, जिसमें कहा गया कि समझौते का फोकस ऊर्जा और कृषि क्षेत्र पर होगा। क्या यह कदम भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा? आइए जानें पूरी डिटेल।

डील की मुख्य बातें: ऊर्जा और कृषि पर जोररिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित ट्रेड डील में शामिल हैं:

  • टैरिफ में कमी: अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 15-16% तक कम करेगा, जो भारतीय निर्यातकों के लिए राहत होगी।
  • ऊर्जा क्षेत्र: भारत रूस से कच्चे तेल के आयात (Oil Imports from Russia) को धीरे-धीरे कम करेगा, जो अमेरिका की रणनीति से मेल खाता है।
  • कृषि खोलना: भारत अमेरिकी मक्का और सोयामील जैसे गैर-जेनेटिकली मॉडिफाइड उत्पादों के आयात को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि यह समझौता इस महीने के अंत में होने वाली ASEAN समिट (ASEAN Summit October 2025) में ट्रंप और मोदी को सूचित किया जा सकता है, हालांकि दोनों की उपस्थिति अभी पक्की नहीं है।

भारत-यूएस ट्रेड वार्ता 2020 में रुक गई थी, जब भारत ने अपनी कृषि और डेयरी बाजारों को खोलने से इनकार कर दिया था। लेकिन हाल के महीनों में दोनों देशों ने बातचीत को फिर से शुरू किया। मिंट के अनुसार, “सौदे के व्यापक पहलू तय हो गए हैं, लेकिन संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक सहमति अभी बाकी है।” भारत का निर्यात अमेरिका को 70 बिलियन डॉलर सालाना है, और यह डील इसे और बढ़ा सकती है।

अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल आयात कम करे, जो वर्तमान में भारत की ऊर्जा जरूरतों का 40% है। बदले में, भारत को अमेरिकी ऊर्जा उत्पादों तक बेहतर पहुंच मिलेगी। यह कदम वैश्विक ऊर्जा बाजार (Global Energy Market) और भारत की ऊर्जा नीति पर असर डालेगा।

ट्रेड विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy Boost) को बढ़ावा देगी। सीआईआई के अध्यक्ष रंजन भट्टाचार्य (Ranjan Bhattacharya) ने कहा, “टैरिफ में कमी से निर्यातकों को फायदा होगा, लेकिन कृषि क्षेत्र में समझौता चुनौतीपूर्ण होगा।” अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी इसे सकारात्मक कदम बताया।

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